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Ken Betwa Link Project: देश की पहली नदी जोड़ परियोजना केन-बेतवा लिंक (Ken-Betwa Link Project) को लेकर मध्य प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार के सामने एक अहम प्रस्ताव रखा है। भूमि अधिग्रहण में आ रही दिक्कतों और ग्रामीण विरोध की आशंका को देखते हुए राज्य सरकार ने नहर के स्वरूप में बदलाव का अनुरोध किया है। प्रस्ताव में कहा गया है कि पारंपरिक ओपन कैनाल की जगह नहर को जमीन के भीतर टनल या पाइप कंड्यूइट के रूप में बनाया जाए, ताकि खेती, आबादी और पर्यावरण पर असर कम हो।
ओपन कैनाल की जगह टनल नहर का प्रस्ताव
मौजूदा योजना के तहत केन-बेतवा लिंक की नहर 218 किलोमीटर लंबी है। संशोधित प्रस्ताव में इसे घटाकर 149 किलोमीटर करने की बात कही गई है। यानी नहर की लंबाई करीब 69 किलोमीटर कम हो जाएगी। राज्य सरकार का कहना है कि टनल या पाइप कंड्यूइट प्रणाली अपनाने से पानी जमीन के नीचे से बहेगा और ऊपर खेती जारी रह सकेगी। इससे किसानों को जमीन खोने का डर नहीं रहेगा और परियोजना को सामाजिक स्वीकार्यता मिलेगी।
भूमि अधिग्रहण में प्रभावित होंगे 109 गांव
सरकार के अनुसार वर्तमान ओपन नहर योजना में लगभग 2690 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहित करनी पड़ेगी। इसके चलते 109 गांव सीधे प्रभावित होंगे। जबकि टनल या पाइप कंड्यूइट नहर बनने पर भूमि अधिग्रहण घटकर सिर्फ 203 हेक्टेयर रह जाएगा। दावा किया गया है कि इस मॉडल में कोई भी गांव प्रभावित नहीं होगा, जिससे ग्रामीणों का विरोध कम होगा और परियोजना तेजी से आगे बढ़ सकेगी।
सिंचाई क्षमता में होगा बड़ा इजाफा
राज्य सरकार ने केंद्र को बताया है कि मौजूदा योजना के तहत केन-बेतवा लिंक से करीब 4.5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा मिल पाएगी। लेकिन यदि टनल या पाइप कंड्यूइट मॉडल अपनाया गया, तो सिंचाई का दायरा बढ़कर 6.12 लाख हेक्टेयर तक पहुंच सकता है। यानी करीब डेढ़ लाख हेक्टेयर अतिरिक्त क्षेत्र में पानी पहुंचाया जा सकेगा। सरकार का दावा है कि यह बदलाव पहले से तय लागत के भीतर ही किया जा सकता है।
पाइप कंड्यूइट नहर क्या होती है
पाइप कंड्यूइट प्रणाली में पानी को खुली नहर के बजाय जमीन के नीचे पाइप या टनल के माध्यम से बहाया जाता है। इससे पानी का रिसाव कम होता है, रखरखाव आसान रहता है और भूमि उपयोग पर असर न्यूनतम होता है। इसी मॉडल को केन-बेतवा लिंक में अपनाने का सुझाव दिया गया है।
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78 मेगावाट का होगा बिजली उत्पादन
संशोधित प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि मौजूदा योजना से लगभग 78 मेगावाट बिजली उत्पादन संभव है। लेकिन टनल या पाइप नहर प्रणाली अपनाने पर 200 मेगावाट तक ऊर्जा उत्पादन किया जा सकता है, यानी करीब ढाई गुना बढ़ोतरी। इसके साथ ही समय की बचत का भी तर्क दिया गया है। खुले नहर तंत्र को तैयार करने में 20 से 30 साल लग सकते हैं, जबकि कंड्यूइट नहर 6 से 7 साल में पूरी की जा सकती है। यह अनुभव बरगी और बाणसागर नहर प्रणालियों के निर्माण से लिया गया बताया गया है।
केंद्रीय जल आयोग को भेजा गया प्रस्ताव
संशोधित केन-बेतवा लिंक प्रस्ताव केंद्रीय जल आयोग (Central Water Commission) को भेज दिया गया है। आयोग ने इस पर विस्तार से चर्चा और प्रेजेंटेशन के लिए राज्य सरकार को बुलाया है। जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट ने कहा है कि यदि यह प्रस्ताव मंजूर होता है, तो भूमि अधिग्रहण कम होगा और ग्रामीणों का सहयोग मिलेगा।
सिंचाई परियोजनाओं पर भी सरकार का फोकस
इधर जल संसाधन विभाग और एनवीडीए (NVDA) प्रदेश में 453 सिंचाई परियोजनाओं को पूरा करने में जुटे हैं। इनमें 42 बड़ी, 66 मध्यम और 345 छोटी परियोजनाएं शामिल हैं, जिन पर करीब 87 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे। अगले एक से दो साल में इन परियोजनाओं के पूरा होने पर 25 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा मिलने का दावा किया गया है।
इससे प्रदेश का कुल सिंचाई रकबा बढ़कर 68 से 70 लाख हेक्टेयर तक पहुंच जाएगा। इसके अलावा 177 नए प्रोजेक्ट भी चिन्हित किए गए हैं। केन-बेतवा लिंक से बुंदेलखंड के 10 जिलों की करीब 44 लाख आबादी को लाभ मिलने की बात कही गई है, जबकि पार्वती-कालीसिंध-चंबल (Parvati-Kalisindh-Chambal) परियोजना से मालवा-निमाड़ क्षेत्र के विकास की उम्मीद जताई गई है।
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