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Codeine Cough Syrup Case: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर उत्तर प्रदेश में कोडीनयुक्त कफ सिरप की अवैध सप्लाई चेन के खिलाफ बड़ा अभियान चलाया गया है। एफएसडीए की जांच में सामने आया कि कई जिलों में इस कफ सिरप का गैर-चिकित्सीय उपयोग तेजी से बढ़ रहा था। मामला गंभीर होते ही प्रदेशभर में एक साथ छापेमारी शुरू की गई।
52 जिलों में छापेमारी
प्रदेश के 52 जिलों में एफएसडीए की टीमों ने 332 से अधिक थोक औषधि विक्रय प्रतिष्ठानों की जांच की। इस दौरान 161 फर्मों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। 36 जिलों में अवैध डायवर्जन का खुलासा होने के बाद पुलिस और एसटीएफ ने 79 मामले दर्ज कर अब तक 85 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। जांच में यह भी सामने आया कि 700 करोड़ रुपये से अधिक की संदिग्ध सप्लाई की गई थी, जिसे अब गहराई से खंगाला जा रहा है। illegal cough syrup supply
सुपर स्टॉकिस्ट और होलसेल डीलरों से डील
अवैध सप्लाई चेन की जड़ तक पहुंचने के लिए झारखंड, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में भी जांच की गई। यहां सुपर स्टॉकिस्ट और होलसेल डीलरों के बीच कारोबारी रिश्तों के सबूत मिले। इन जानकारियों के आधार पर यूपी में बड़े स्तर पर क्रैकडाउन शुरू किया गया, जिसमें कई अहम सुराग मिले। UP codeine syrup crackdown
हाई कोर्ट ने याचिकाएं खारिज कीं
कोडीनयुक्त सिरप के नशे में बढ़ते उपयोग को देखते हुए एनडीपीएस (NDPS) और भारतीय न्याय संहिता (BNS) के तहत कड़ी कार्रवाई की गई। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भी इन मामलों में एनडीपीएस एक्ट के तहत मुकदमा चलाने को सही ठहराया और 22 आरोपियों की रिट याचिकाएं खारिज कर दीं। कोर्ट ने आरोपियों के गिरफ्तारी पर रोक लगाने वाली याचिकाओं को भी अस्वीकार कर दिया। Codeine Cough Syrup Yogi government action
अगले माह रिपोर्ट सौंपने की तैयारी
मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रदेश सरकार ने एक विशेष जांच दल (SIT) गठित किया है। यह टीम सभी तकनीकी और वित्तीय पहलुओं की जांच कर रही है और सूत्रों के अनुसार, अगले महीने अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंप सकती है। वहीं, पुलिस और एसटीएफ का अभियान अभी भी जारी है। NDPS case UP
FSDA ने लाइसेंसिंग सिस्टम में सुधार के लिए भेजा प्रस्ताव
एफएसडीए मुख्यालय ने थोक औषधि विक्रय लाइसेंसिंग सिस्टम को और सख्त तथा पारदर्शी बनाने के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा है। इसमें प्रतिष्ठानों की जियो टैगिंग, भंडारण क्षमता की पुष्टि और फोटोग्राफिक दस्तावेज शामिल करने की बात कही गई है। प्रस्ताव में यह भी सुझाव दिया गया है कि तकनीकी कर्मचारियों के अनुभव प्रमाण पत्र का सत्यापन ड्रग इंस्पेक्टर द्वारा अनिवार्य किया जाए।
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केंद्र सरकार को भी भेजा जा रहा है प्रस्ताव
कोडीनयुक्त कफ सिरप के निर्माण, बल्क सप्लाई और निगरानी के लिए केंद्र सरकार से नई अधिसूचनाओं और दिशा-निर्देश जारी करने का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है, ताकि ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
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