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Viksit Bharat Ji Ram Ji Scheme: ग्रामीण भारत की सबसे बड़ी रोजगार योजना मनरेगा को लेकर केंद्र सरकार बड़ा कदम उठाने की तैयारी में है। सरकार मौजूदा महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून की जगह एक नया ग्रामीण रोजगार कानून लाने पर काम कर रही है। यह बदलाव विकसित भारत 2047 (Viksit Bharat 2047) के विजन के तहत किया जा रहा है। नई योजना का नाम, काम के दिन, भुगतान प्रणाली और फंडिंग स्ट्रक्चर में अहम बदलाव देखने को मिल सकते हैं। ऐसे में गांवों में रहने वाले करोड़ों परिवारों के बीच यह सवाल उठ रहा है कि मनरेगा की जगह आने वाली नई योजना उनके लिए क्या बदलेगी।
नया कानून, नया नाम और नई पहचान
सरकार जिस नए कानून को लाने की तैयारी में है, उसका नाम Viksit Bharat Guarantee for Rozgar and Ajeevika Mission Gramin Bill 2025 रखा गया है। इसे शॉर्ट में VB G RAM G Bill कहा जा रहा है। बिल के पास होते ही यह मौजूदा मनरेगा कानून की जगह ले लेगा। पहले इस योजना का नाम पुज्य बापू ग्रामीण रोजगार योजना रखे जाने की चर्चा थी, लेकिन अब इसे विकसित भारत जी राम जी (Viksit Bharat Ji Ram Ji) नाम दिए जाने की जानकारी सामने आ रही है।
गारंटीड काम के दिन बढ़ाने की तैयारी
नई ग्रामीण रोजगार योजना में सिर्फ नाम ही नहीं बदलेगा, बल्कि काम के दिनों में भी बदलाव की तैयारी है। अभी मनरेगा के तहत हर ग्रामीण परिवार को साल में 100 दिन का गारंटीड रोजगार मिलता है। सूत्रों के मुताबिक, नई योजना में इस सीमा को बढ़ाकर 125 दिन करने पर विचार किया जा रहा है। सरकार का तर्क है कि इससे ग्रामीण आय में बढ़ोतरी होगी और मजदूरों को ज्यादा समय तक काम मिलने की संभावना बनेगी। नई स्कीम का फोकस केवल मजदूरी देने तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि रोजगार के अवसर बढ़ाने पर होगा।
पेमेंट सिस्टम होगा ज्यादा तेज
नई योजना में मजदूरी भुगतान व्यवस्था (Payment System) को भी सरल और तेज बनाने की बात कही गई है। मौजूदा मनरेगा व्यवस्था में काम पूरा होने के बाद मजदूरी का भुगतान 15 दिनों के भीतर किया जाता है। नए बिल में वीकली पेमेंट सिस्टम (Weekly Payment System) लागू करने का प्रस्ताव है। इसके तहत मजदूरों को हर हफ्ते या फिर काम पूरा होने के अधिकतम 15 दिनों के भीतर भुगतान करना अनिवार्य होगा। सरकार का दावा है कि इससे भुगतान में देरी की शिकायतें कम होंगी और मजदूरों को समय पर पैसा मिल सकेगा।
काम न मिलने पर मिलेगा बेरोजगारी भत्ता
नई योजना में बेरोजगारी भत्ते (Unemployment Allowance) को लेकर भी स्पष्ट प्रावधान रखे जाने की बात सामने आई है। अगर किसी ग्रामीण परिवार को तय समय के भीतर काम नहीं मिलता है, तो उसे बेरोजगारी भत्ता देना जरूरी होगा। सरकार का कहना है कि इससे रोजगार गारंटी का मकसद मजबूत होगा और स्थानीय प्रशासन की जवाबदेही भी तय होगी।
फंडिंग पैटर्न में भी आएगा बदलाव
मनरेगा के तहत अभी योजना का पूरा खर्च केंद्र सरकार उठाती है। लेकिन नई योजना में फंडिंग सिस्टम (Funding System) बदल सकता है। प्रस्ताव के मुताबिक कुछ राज्यों में केंद्र सरकार 90 फीसदी और राज्य सरकार 10 फीसदी खर्च वहन करेगी। वहीं अन्य राज्यों में यह अनुपात 60 फीसदी केंद्र और 40 फीसदी राज्य का हो सकता है।
ग्रामीण रोजगार व्यवस्था पर पड़ेगा असर
मनरेगा की जगह नई योजना आने से ग्रामीण रोजगार व्यवस्था में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। नाम, काम के दिन, भुगतान और फंडिंग से जुड़े ये प्रस्ताव गांवों में रोजगार की दिशा और दशा दोनों को प्रभावित करने वाले माने जा रहे हैं। सरकार इसे विकसित भारत के लक्ष्य से जोड़कर देख रही है, जबकि ग्रामीण इलाकों में लोग इस बात को लेकर चर्चा कर रहे हैं कि नई व्यवस्था उनके लिए कितनी फायदेमंद साबित होगी।
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