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Trishul Construction EOW Case: त्रिशूल कंस्ट्रक्शन के मालिक राजेश शर्मा को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। उनके खिलाफ आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) में दर्ज एफआईआर को निरस्त करने वाले मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने स्टे लगा दिया है। शीर्ष अदालत ने मामले को गंभीर मानते हुए सभी संबंधित पक्षों को नोटिस जारी किए हैं और अगली सुनवाई तक किसी भी तरह की कार्रवाई पर रोक के निर्देश दिए हैं।
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हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट की सख्ती
सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश शासन को नोटिस जारी किया था, जिसे शासन की ओर से स्वीकार कर लिया गया है। इसके अलावा राजेश शर्मा, उनकी पत्नी की फर्म ट्राइडेंट मल्टी वेंचर्स (Trident Multi Ventures), राजेश तिवारी और दीपक तुलसानी को भी नोटिस भेजे गए हैं। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि अगली सुनवाई तक मामले में कोई भी दंडात्मक या प्रशासनिक कार्रवाई नहीं की जाएगी। इस केस की अगली सुनवाई 30 जनवरी 2026 को तय की गई है।
28 जुलाई 2025 को हाईकोर्ट ने की थी एफआईआर निरस्त
इससे पहले 28 जुलाई 2025 को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने ईओडब्ल्यू द्वारा दर्ज एफआईआर को निरस्त कर दिया था। यह आदेश जस्टिस विशाल मिश्रा ने पारित किया था। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि पूरा विवाद निजी सिविल विवाद से जुड़ा हुआ है और शिकायत दुर्भावनापूर्ण नीयत से दर्ज कराई गई। कोर्ट का मानना था कि किसी लाभ की मंशा से आपराधिक मामला बनाया गया, जो न्यायिक प्रक्रिया के दुरुपयोग की श्रेणी में आता है।
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ईओडब्ल्यू जांच में क्या सामने आया
ईओडब्ल्यू के अनुसार चिंता सिंह मारण की ग्राम महुआखेड़ा में 12.46 एकड़ कृषि भूमि है। यह जमीन पहले न्यायालयीन विवाद में थी, लेकिन हाईकोर्ट के आदेश के बाद उनके नाम ट्रांसफर हुई। जून 2023 में कस्तूरबा नगर निवासी राजेश शर्मा ने यह जमीन खरीदने का अनुबंध किया और बाद में इसे अपनी पत्नी की फर्म ट्राइडेंट मल्टी वेंचर्स के नाम रजिस्ट्री करवा ली।
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रजिस्ट्री और भुगतान को लेकर गंभीर आरोप
जांच में सामने आया कि रजिस्ट्री की प्रति किसान को उपलब्ध नहीं कराई गई। जमीन की कीमत 2.86 करोड़ रुपए दर्शाई गई। रजिस्ट्री दस्तावेजों में दीपक तुलसानी को अधिकृत बताया गया, जबकि वे अधिकृत नहीं थे। राजेश शर्मा ने बैंक ऑफ इंडिया (Bank of India) से भुगतान संभव न होने का हवाला देकर आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank) में नया खाता खुलवाया। आरोप है कि बैंक कर्मचारी किसान से बार-बार अंगूठा निशान और हस्ताक्षर कराते रहे। इस खाते से रकम धीरे-धीरे राजेश तिवारी के खाते में ट्रांसफर होती रही, जिस पर ईओडब्ल्यू ने आपराधिक अनियमितताओं का आरोप लगाया है।
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