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Mandsaur News: मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले में सामने आया अफीम तस्करी का मामला अब केवल मादक पदार्थ की बरामदगी या एक आरोपी तक सीमित नहीं रह गया है। यह केस अब पुलिस की कार्यप्रणाली, जांच प्रक्रिया और जवाबदेही पर सीधा सवाल खड़ा कर रहा है। राजस्थान के प्रतापगढ़ का रहने वाला 18 वर्षीय छात्र सोहनलाल को अफीम तस्करी के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था, अब हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणियों के बाद सुर्खियों में है। पुलिस द्वारा दी गई एक गलत जानकारी और उसके बाद सामने आए वीडियो ने पूरे मामले की दिशा बदल दी है।
बस से उतारकर थाने ले जाने का आरोप
पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक, सोहनलाल मंदसौर से राजस्थान के प्रतापगढ़ जा रहा था। इसी दौरान रास्ते में उसे पकड़ा गया और उसके पास से 2 किलो 714 ग्राम अफीम बरामद होने का दावा किया गया। पुलिस ने युवक के खिलाफ एनडीपीएस एक्ट (NDPS Act) के तहत मामला दर्ज किया। अगले दिन 30 अगस्त 2025 को उसे न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया।
हालांकि, इस गिरफ्तारी को लेकर परिजनों का आरोप शुरू से ही अलग रहा। उनका कहना है कि सोहनलाल को बस से जबरन उतारकर 3 से 4 लोगों ने पकड़ा और सीधे मल्हारगढ़ थाने ले जाया गया। इस दावे के सामने आने के बाद पुलिस की कहानी पर सवाल उठने लगे।
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गिरफ्तारी की जगह को लेकर विरोधाभास
मामले में सबसे बड़ा विरोधाभास पुलिस की कागजी कार्रवाई में सामने आया। दस्तावेजों में उल्लेख किया गया कि सोहनलाल की गिरफ्तारी श्मशान के सामने से की गई। जबकि परिजन लगातार यह कहते रहे कि युवक को बस से उतारा गया था। यही अंतर आगे चलकर पूरे केस का टर्निंग पॉइंट बन गया।
हाईकोर्ट में वीडियो से बदली तस्वीर
कक्षा 12वीं में फर्स्ट डिवीजन से पास हुए सोहनलाल के परिजनों ने एडवोकेट हिमांशु ठाकुर के माध्यम से यह मामला हाईकोर्ट तक पहुंचाया। सुनवाई के दौरान एक वीडियो साक्ष्य पेश किया गया। इस वीडियो में सादी वर्दी में पुलिसकर्मी युवक को बस से जबरन उतारते हुए दिखाई दे रहे हैं।
इस वीडियो ने पुलिस के उस दावे को कमजोर कर दिया, जिसमें गिरफ्तारी श्मशान के सामने से होना बताया गया था। वीडियो सामने आते ही हाईकोर्ट ने पुलिस की भूमिका पर सख्त सवाल किए और मामले को गंभीर लापरवाही बताया।
छह पुलिसकर्मी सस्पेंड
हाईकोर्ट की कड़ी टिप्पणी के बाद पुलिस विभाग में कार्रवाई की गई। थाना प्रभारी सहित कुल 6 पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है। यह कार्रवाई गलत जानकारी देने और जांच में लापरवाही के आरोपों के चलते की गई है।
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