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भोपाल के गांधी भवन में जैविक उत्सव: बापू का सपना जैविक खेती, मोटे अनाज, सब्जियों से लेकर बालाघाट चिन्नौर के चावल आकर्षण का केंद्र

भोपाल के गांधी भवन में 3 दिन के लिए जैविक उत्सव लगाया गया है। जैविक खेती महात्मा गांधी का सपना है। यहां मोटे अनाज, सब्जियों से लेकर बालाघाट चिन्नौर के चावल आकर्षण का केंद्र हैं।

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Rahul Garhwal
Bhopal Gandhi Bhawan Jaivik Utsav Organic Vegetables Balaghat Chinnor Rice hindi news

Bhopal Gandhi Bhawan Jaivik Utsav: मोटे अनाज, जैविक सब्जियां, दालें और बालाघाट चिन्नौर के चावल समेत और भी बहुत कुछ खास आपको भोपाल के गांधी भवन में मिलने वाला है। 3 दिनों के लिए यहां जैविक उत्सव लगाया गया है। प्रदेश के अलग-अलग जिलों से आए खास जैविक प्रोडक्ट्स आप खरीद सकते हैं। 

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जैविन खेती के फायदे बताना उद्देश्य

जैविक उत्सव का उद्देश्य जैविक खेती को सरल भाषा में समझाना, साथ ही उससे जुड़े फायदों के बारे में लोगों को बताना है। जैविक उत्सव की शुरुआत प्रार्थना से हुई और संत कबीरदास का भजन 'झीनी रे झीनी' भी गाया गया।

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जैविक उत्सव शुभारंभ कार्यक्रम

जैविक खेती बापू महात्मा गांधी का सपना

जैविक उत्सव में महात्मा गांधी के विचारों को भी राजेश दीवान ने याद किया। उन्होंने कहा कि गांधी जी ने कहा था कि उनके सपनों के भारत में शुद्ध पानी, अच्छी मिट्टी और साफ हवा होनी चाहिए। आज प्रदूषण और रसायनों के कारण ये तीनों खतरे में हैं। इसलिए जैविक खेती, गांधी जी के इसी सपने को पूरा करने की दिशा में एक मजबूत कदम है।

बालाघाट - चिन्नौर के चावल आकर्षण का केंद्र

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बालाघाट चिन्नौर चावल

जैविक उत्सव में 'एक जिला-एक उत्पाद' की सोच पर चर्चा हुई। इस योजना का मतलब है कि हर जिले की पहचान उसका खास उत्पाद है। अगर किसी जिले को जैविक चावल के लिए जाना जाए, तो वहां के किसानों की आमदनी और भी बढ़ेगी और स्थानीय रोजगार भी पैदा होगा। यह योजना जैविक खेती को मजबूती देने के साथ-साथ गांवों की अर्थव्यवस्था को भी मजबूत करती है। जैविक उत्सव में 'बालाघाट - चिन्नौर के चावल' मुख्य आकर्षण का केंद्र हैं। ये पॉलिश वाले चावल के मुकाबले ज्यादा पौष्टिक होते हैं।

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rice
श्री अमृतम् चावल

महिलाएं बनीं आत्मनिर्भर

कार्यक्रम को संबोधित आर.के. पालीवाल ने नई जैविक खेती में महिलाओं की भूमिका के बारे में भी बताया। गांवों में महिलाएं अब स्वयं सहायता समूहों (self help group) के जरिए जैविक उत्पाद तैयार कर रही हैं। वे बीज से लेकर पैकिंग और बिक्री तक का काम संभाल रही हैं। आधुनिक तकनीक जैसे मोबाइल और ऑनलाइन माध्यम से वे अपने उत्पाद सीधे लोगों तक पहुंचा रही हैं। इससे महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं और परिवार की आय भी बढ़ रही है।

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जैविक दालें

सेहत को लेकर जागरूक हुए लोग

जैविक उत्सव में ये भी बताया गया कि आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग अपनी सेहत को लेकर जागरूक हो रहे हैं। रासायनिक खाने से होने वाली बीमारियों के कारण लोग अब जैविक भोजन की ओर बढ़ रहे हैं। जैविक उत्पाद न केवल स्वाद में अच्छे होते हैं, बल्कि शरीर को अंदर से मजबूत भी बनाते हैं। यह एक स्वस्थ और संतुलित जीवनशैली की ओर कदम है।

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जैविक चना और लहसुन

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उत्सव के बाद जैविक उत्पाद कहां मिलेंगे

जैविक उत्सव खत्म होने के बाद भी लोग जैविक उत्पाद खरीद सकते हैं। भोपाल के गांधी भवन में हर रविवार को जैविक मंडी लगती है | यहां आपको जैविक अनाज, दालें, चावल और सब्जियां मिल जाती हैं। इसके अलावा किसान उत्पादक संगठन और महिला समूह सीधे लोगों को जैविक सामान उपलब्ध कराते हैं। कुछ भरोसेमंद ऑनलाइन प्लेटफॉर्म भी है जहां से आप जैविक प्रोडक्ट्स मंगा सकते हैं।

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