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MP Bhavantar Bhugtan Yojana Mustard and Groundnut MSP: मध्य प्रदेश को आत्मनिर्भर और समृद्ध बनाने के संकल्प के साथ विधानसभा के 69वें स्थापना दिवस पर आयोजित विशेष सत्र में किसानों के लिए खुशियों की सौगात दी गई। सहकारिता मंत्री विश्वास कैलाश सारंग ने विधानसभा में हुई चर्चा के दौरान बताया कि राज्य सरकार अब सरसों और मूंगफली को भी भावांतर योजना के दायरे में लाने की तैयारी कर रही है। इसके साथ ही, किसानों को खाद के लिए कतारों में न लगना पड़े, इसके लिए उर्वरकों की होम डिलीवरी शुरू करने का प्रयास भी तेज कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में जल्द ही मौसम आधारित बीमा योजना शुरू की जाएगी।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में मध्यप्रदेश सरकार विकसित राष्ट्र @2047 बनाने में पूरी तरह प्रयासरत है। सभी के प्रयासों से साल 2047 की तस्वीर और तकदीर उन्नत होगी। वर्ष 2026 को मध्य प्रदेश में 'कृषि वर्ष' के रूप में मनाया जाएगा।
एमपी के लिए कृषि और सहकारिता का नया अध्याय
मध्य प्रदेश विधानसभा के 69 साल पूरे होने के अवसर पर आयोजित एक दिवसीय विशेष सत्र में प्रदेश के भविष्य की रूपरेखा रखी गई। सहकारिता मंत्री विश्वास कैलाश सारंग ने "विकसित भारत @2047" के लक्ष्य को दोहराते हुए कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलावों का जिक्र किया।
भावांतर योजना का विस्तार और बीमा कवच
मंत्री सारंग ने बताया कि सरकार किसानों की आय सुनिश्चित करने के लिए भावांतर योजना का दायरा बढ़ा रही है। अब इसमें सरसों और मूंगफली को भी शामिल किया जाएगा। इसके अलावा, किसानों को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए जल्द ही 'मौसम आधारित बीमा योजना' लागू की जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रशासनिक खर्चों में कटौती कर सरकार ने 1600 करोड़ रुपए की बचत की है, जिसका लाभ सीधे किसानों को मिलेगा।
पिछड़ेपन से आत्मनिर्भरता तक का सफर
मंत्री विश्वास सारंग ने भारत के कृषि इतिहास को लेकर कहा कि स्वतंत्रता से पूर्व देश की खेती की स्थिति दयनीय थी। उस दौर में 85 प्रतिशत आबादी अपनी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर थी, लेकिन सिंचाई के साधनों के अभाव और मानसून पर अत्यधिक निर्भरता के कारण उत्पादकता बेहद निम्न स्तर पर थी। आजादी के शुरुआती वर्षों में भी खेती की यह पिछड़ी स्थिति और वर्षा पर निर्भरता हमारे लिए एक बड़ी चुनौती बनी रही।
प्रमुख क्रांतियों का हुआ जिक्र
- हरित क्रांति (Green Revolution): 1960 के दशक में डॉ. एमएस स्वामीनाथन के नेतृत्व में हुई हरित क्रांति ने आधुनिक बीजों, उर्वरकों और उन्नत सिंचाई प्रणालियों के माध्यम से देश को खाद्यान्न संकट से उबारा और हमें आत्मनिर्भर बनाया।
- श्वेत क्रांति (White Revolution): सहकारिता के सामर्थ्य को दर्शाते हुए डॉ. वर्गीज कुरियन और त्रिभुवनदास पटेल (काका पटेल) ने दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में क्रांति ला दी, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई मजबूती मिली।
- नीली क्रांति (Blue Revolution): मत्स्य पालन के क्षेत्र में डॉ. हीरालाल चौधरी और डॉ. अरुण कृष्णन के योगदान ने भारत को जल-संसाधनों के बेहतर उपयोग और मछली उत्पादन में नई दिशा प्रदान की।
मंत्री सारंग ने जोर देकर कहा कि आज की सरकार इन सभी क्रांतियों के सामूहिक लाभ को एक साथ जोड़कर (Synchronize) मध्य प्रदेश के किसानों की समृद्धि का नया मार्ग प्रशस्त कर रही है।
सरकारी योजनाओं से समृद्ध हो रहा किसान
मंत्री सारंग ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, मुख्यमंत्री कृषि उन्नति योजना, रानी दुर्गावती श्रीअन्न प्रोत्साहन योजना", ई-विकास (वितरण एवं कृषि उर्वरक आपूर्ति समाधान), परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY) नेशनल मिशन ऑन नेचुरल फार्मिंग (NMNF) के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित एवं बढ़ावा देने के लिए योजना संचालित है। किसानों का भी जैविक खेती के प्रति रुझान बढ़ा है।
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बीज और खाद व्यवस्था में बड़ा बदलाव
मध्य प्रदेश के सहकारिता क्षेत्र में 'एमपी चीता बीज ब्रांड' ने सफलता के नए कीर्तिमान रचे हैं। महज 6 माह के भीतर इस ब्रांड ने 200 करोड़ रुपये का टर्नओवर पार कर लिया है। किसानों की सुविधा के लिए अब उर्वरकों (खाद) की होम डिलीवरी करने की योजना पर भी काम चल रहा है।
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सहकारिता और दुग्ध उत्पादन को नई ऊँचाई
दुग्ध उत्पादन को दोगुना करने के लिए सरकार ने 'दुग्ध समृद्धि अभियान' शुरू किया है। इसके लिए मध्य प्रदेश शासन और राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) के बीच ऐतिहासिक अनुबंध पर सहमति बनी है। मंत्री ने स्पष्ट किया कि 'सांची' ब्रांड को और अधिक सशक्त बनाया जाएगा। साथ ही, गौवंश की रक्षा के लिए कानून को और कड़ा किया गया है, जिसके तहत गौवंश के अवैध परिवहन में प्रयुक्त वाहनों को राजसात किया जाएगा।
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तकनीक और नवाचार का संगम
आने वाले वर्ष में 'नमो ड्रोन दीदी' योजना के तहत 1066 किसान ड्रोन महिला स्व-सहायता समूहों को दिए जाएंगे। पराली प्रबंधन के लिए सीबीजी (CBG) प्लांट लगाए जा रहे हैं ताकि अपशिष्ट से कमाई हो सके। मंत्री सारंग ने यह भी घोषणा की कि वर्ष 2026 को 'कृषि वर्ष' के रूप में मनाया जाएगा।
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