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Jabalpur SAF 6th BattalionTA Scam: जबलपुर की 6वीं एसएएफ (स्पेशल आर्म्ड फोर्स) बटालियन में हुए करोड़ों के ट्रैवलिंग अलाउंस (Traveling Allowance) घोटाले ने पुलिस विभाग में हड़कंप मचा दिया है। शुरुआती जांच में जहां सिर्फ 10–12 लोग शामिल थे, वहीं अब आरक्षकों की संख्या बढ़कर 25 के पार पहुंच गई है। कुछ जवानों के खातों में सैलरी की तुलना में कई गुना ज्यादा रकम मिली है।
हैरान करने वाली बात ये है कि कुछ सालों की नौकरी वाले जवानों की बैंक खाते में लाखों रुपए मिले। इस बड़े टीए घोटाले में फंसने के बाद एक आरक्षक ने आत्महत्या कर ली, जबकि एक आरोपी फरार होकर शादी रचा चुका है। अब मामले में कलेक्टर और SAF कमांडेंट ने अलग-अलग टीम बनाकर जांच तेज कर दी है। 20 से अधिक जवानों के खाते फ्रीज किए गए हैं।
SAF बटालियन में बड़ा भ्रष्टाचार उजागर
जबलपुर की 6वीं SAF बटालियन में यात्रा भत्ता (TA) घोटाले का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है। शुरुआत में 10–12 कर्मियों का नाम सामने आया था, लेकिन जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी, 20–25 आरक्षक और प्रधान आरक्षक इसके घेरे में आ गए हैं। कई जवानों के खातों में उनकी सैलरी से 200 गुना ज्यादा तक रकम जमा मिली है।
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7 साल की नौकरी और बैंक खाते में 55 लाख
जांच में सामने आया कि कॉन्स्टेबल अभिषेक झारिया के खाते में 582 TA बिलों के जरिए चकित कर देने वाले 55 लाख रुपए ट्रांसफर किए गए। हैरानी की बात यह है कि उसकी 7 साल की पूरी सैलरी और एरियर मिलाकर भी कुल रकम 26 लाख से ज्यादा नहीं बनती। रकम में इस असामान्य अंतर ने अधिकारियों के कान खड़े कर दिए। घोटाले का असली खेल तब उजागर हुआ, जब स्टेट फाइनेंस इंटेलिजेंस सेल ने बैंक खातों की जांच की और इस भारी-भरकम भुगतान का खुलासा हुआ।
एक ने की आत्महत्या, दूसरे फरार होकर रचाई शादी
यात्रा भत्ता घोटाला उजागर होने के बाद आरोपियों में अफरा-तफरी मच गई। आरक्षक सत्यम और अभिषेक को निलंबित कर दिया गया। आरोपों और बढ़ते दबाव के बीच अभिषेक ने 12 नवंबर को ट्रेन के सामने कूदकर आत्महत्या कर ली थी। जिससे पूरा विभाग हैरान रह गया।
वहीं दूसरी तरफ, सत्यम शर्मा, जो घोटाले का मुख्य आरोपी माना जा रहा है, जांच शुरू होते ही गायब हो गया। कुछ समय बाद उसकी छिंदवाड़ा में होने वाली शादी का कार्ड सामने आया, जिसमें 22 नवंबर की तारीख थी।
सत्यम ने अपनी शादी की जानकारी विभाग को नहीं दी थी। अब उसके खिलाफ विभागीय कार्रवाई के साथ-साथ गुमशुदगी और फरारी दोनों मामलों में कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
भत्ते के नाम पर करोड़ों का खेल!
अब तक की जांच में यह पाया गया कि कई जवानों को केवल यात्रा भत्ते के नाम पर 10–10 लाख रुपए का भुगतान किया गया। SAF में आरक्षक का शुरुआती वेतन 23–25 हजार होता है, लेकिन कई जवानों के खाते में वेतन से कई गुना अधिक भुगतान मिला है।
स्टेट फाइनेंस इंटेलिजेंस सेल की जांच में ऐसे चौंकाने वाले तथ्य सामने आए कि अधिकारी भी हैरान रह गए। जांच में पाया गया कि कई आरक्षकों के बैंक खातों में उनकी मूल सैलरी से 200 गुना अधिक रकम पड़ी थी। सिर्फ TA बिल के जरिए ही 12 आरक्षकों के खातों में 10–10 लाख रुपए से ज्यादा जमा कर दिए गए थे।
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एक खाते में बार-बार भुगतान
स्टेट फाइनेंस इंटेलिजेंस सेल की रिपोर्ट में सामने आया कि—
- अभिषेक झारिया को 2018–19 से अब तक 55 लाख TA दिए गए।
- नीतेश पटेल को 335 TA देयकों से 30.51 लाख मिले।
कई कर्मचारी ऐसे हैं जिनका ट्रांसफर दूसरे जिलों में हो चुका है। उन्हें नोटिस देकर बुलाया जा रहा है।
जांच रिपोर्ट के अनुसार, 6वीं बटालियन SAF रांझी, जबलपुर में यात्रा भत्ता, चिकित्सा भत्ता और FVC देयकों के नाम पर कर्मचारियों को निर्धारित सीमा से कई गुना अधिक भुगतान किया जाता रहा। यह गड़बड़ी लंबे समय तक बिना पकड़े चलती रही और बाद में सामने आए आंकड़ों ने विभाग में हलचल मचा दी।
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कलेक्टर और SAF कमांडेंट ने बनाई जांच टीम
घोटाले की गंभीरता बढ़ने पर SAF कमांडेंट सिद्धार्थ चौधरी ने 3 सदस्यीय जांच टीम बनाकर 20 से अधिक आरोपियों के बयान दर्ज किए। साथ ही कोष लेखा विभाग ने पूरा मामला जबलपुर कलेक्टर को भेज दिया। इसके बाद जबलपुर कलेक्टर राघवेंद्र सिंह ने जिला पंचायत CEO के नेतृत्व में 6 सदस्यीय विशेष जांच टीम गठित की है।
टीम को निर्देश दिया गया है कि वह जल्द से जल्द अपनी विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करे। कोष लेखा विभाग ने कलेक्टर को भेजे पत्र में पूरे मामले की गहराई से जांच कर तथ्य सामने लाने की मांग की है। मामले में 20 से ज्यादा आरक्षकों के बैंक खाते फ्रीज कर दिए गए हैं।
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घोटाले का मास्टरमाइंड कौन?
जांच में खुलासा हुआ कि SAF का बाबू सत्यम शर्मा ही घोटाले का मास्टरमाइंड है। वह 50% कमीशन पर TA राशि ट्रांसफर करवाता था। पकड़े जाने से बचने के लिए कैश में हिस्सा लेता था। उसके खाते में जांच के दौरान सिर्फ 2.60 लाख मिले, बाकी रकम कैश में ले चुका था। फिलहाल मामले में कलेक्टर और SAF कमांडेंट ने अलग-अलग टीम बनाकर जांच तेज कर दी है।
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