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Gwalior News: ग्वालियर जिले में शिक्षा विभाग और पुलिस प्रशासन की कार्यप्रणाली पर बड़े सवाल खड़े हो गए हैं। पनिहार थाना क्षेत्र में फर्जी डीएड अंकसूची के आधार पर नियुक्त 33 शिक्षकों की शिकायत ढाई साल पहले दर्ज हुई थी, लेकिन आज तक न तो एफआईआर हुई और न ही कोई ठोस कार्रवाई। शिकायतकर्ता का आरोप है कि मामला थाने में ही दबा दिया गया, जबकि जिन शिक्षकों पर आरोप लगाए गए थे, वे अब भी स्कूलों में नौकरी कर रहे हैं।
शिकायत के बावजूद जांच नहीं आगे बढ़ी
अगस्त 2023 में RTI एक्टिविस्ट संकेत साहू ने पनिहार थाना पहुंचकर 33 शिक्षकों की कथित फर्जी डीएड अंकसूची का पूरा मामला उजागर किया था। शिकायत के साथ उन्होंने अंकसूची की प्रतियां भी पुलिस को सौंपी थीं। प्रारंभिक जांच में चार शिक्षकों की अंकसूची सही पाई गई, लेकिन बाकी शिक्षकों के दस्तावेजों में गंभीर गड़बड़ियां मिलीं।
इसके बाद जांच का दायरा बढ़ा और छह माह के भीतर फर्जी अंकसूची का आंकड़ा 70 तक पहुंच गया। इसी दौरान चयन समिति के कुछ नाम भी सामने आए, जिन पर गलत दस्तावेजों के आधार पर पदस्थापन की जिम्मेदारी का आरोप लगा। RTI एक्टिविस्ट का कहना है कि जांच आगे बढ़ती दिखते ही आरोपी शिक्षक और समिति सदस्यों ने मिलकर प्रक्रिया को दबा दिया।
कई नाम जांच के दायरे में
शिकायत में जिन 33 शिक्षकों के नाम दर्ज हुए थे, उनमें विष्णु कुमार, राजेंद्र शाक्य, सुमति प्रकाश, अंबरीश सिंह तोमर, लता भार्गव, उर्मिला सोनवाने, बलवान सिंह, माधवी कुशवाह, रविंद्र शर्मा, श्याम कुमार गोस्वामी, सुरेंद्र सिंह राजपूत, सविता भदौरिया, बबीता देवी, शशि भदौरिया, राजेश कुमार, शैलेंद्र सिंह, कल्पना शर्मा, सीमा सिंघल, नीतू तोमर, राजेंद्र कुमार शर्मा, राजहंस सिंह तोमर, अजय कुमार पाठक, अजय सिंह राजपूत, मोहसिन कुरैशी, अंजू कौशिक, राजेश जाटव, मिथलेश यादव, देवेंद्र कुशवाह, सरोज गोस्वामी, रामवीर पाल, मीरा यादव, दीक्षा सिकरवार और सुनील जाटव शामिल हैं। इनमें से कई को 2017 में भी संदिग्ध दस्तावेजों के चलते शिकायत झेलनी पड़ी थी, लेकिन कुछ मामलों में कार्रवाई आगे नहीं बढ़ सकी।
शिक्षा विभाग की जानकारी अधूरी
जिला शिक्षा अधिकारी का कहना है कि उन्हें मामले की सूचना केवल पत्रों के माध्यम से मिली थी, लेकिन पुलिस ने न तो पूर्ण विवरण भेजा और न ही विधिवत अपडेट उपलब्ध कराया। उन्होंने बताया कि यह मामला गंभीर है और विभाग को स्पष्ट जानकारी ही नहीं मिली कि किन शिक्षकों की अंकसूचियां फर्जी पाई गईं।
दूसरी ओर एक्टिविस्ट संकेत साहू का आरोप है कि पुलिस प्रशासन जानबूझकर मामले को लंबित रखे हुए है। उनका कहना है कि कुछ शिक्षक प्रभाव के चलते कार्रवाई रुकवा दे रहे हैं और एफआईआर दर्ज ही नहीं होने दे रहे।
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