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आकृति ग्रुप को बड़ी राहत: ट्रिब्यूनल ने परियोजनाएं छीनने का आदेश किया निरस्त, कहा- परियोजनाओं के हस्तांतरण की प्रक्रिया कानून के अनुरूप नहीं

भोपाल ट्रिब्यूनल ने आकृति ग्रुप की परियोजनाएं गृह निर्माण बोर्ड को सौंपने का आदेश रद्द किया, रेरा की प्रक्रिया को कानून के खिलाफ माना। पढ़ें पूरी खबर...

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Wasif Khan
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MP Real Estate Tribunal: मध्य प्रदेश रियल एस्टेट अपीलेट ट्रिब्यूनल ने रियल एस्टेट सेक्टर से जुड़ा एक अहम फैसला सुनाया है। ट्रिब्यूनल ने आकृति ग्रुप की परियोजनाओं को मध्य प्रदेश गृह निर्माण एवं अधोसंरचना विकास बोर्ड को सौंपने से जुड़े सभी आदेशों को रद्द कर दिया है। यह फैसला 24 दिसंबर 2025 को सुनाया गया, जिसमें ट्रिब्यूनल ने साफ कहा कि परियोजनाओं के हस्तांतरण की प्रक्रिया कानून के अनुरूप नहीं थी।

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रेरा के 2023 के आदेश को बताया गलत

मामले की पृष्ठभूमि साल 2023 से जुड़ी है, जब मध्य प्रदेश रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी ने आदेश जारी कर आकृति ग्रुप के प्रोजेक्ट्स को मध्य प्रदेश गृह निर्माण एवं अधोसंरचना विकास बोर्ड को पूरा करने के लिए सौंप दिया था। रेरा का तर्क था कि प्रमोटर ने परियोजनाओं से तय सीमा से अधिक धन निकाला और उसका दुरुपयोग किया। इसी आदेश के खिलाफ आकृति ग्रुप ने अपील दायर की थी।

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हस्तांतरण प्रक्रिया में कानून का पालन नहीं

अपील पर सुनवाई करते हुए ट्रिब्यूनल ने रेरा के आदेश को पूरी तरह गलत ठहराया। ट्रिब्यूनल ने कहा कि किसी भी रियल एस्टेट परियोजना को दूसरे विभाग या एजेंसी को सौंपने से पहले कानून में तय प्रक्रिया का पालन अनिवार्य है। इस मामले में न तो प्रमोटर को पर्याप्त अवसर दिया गया और न ही वैधानिक प्रक्रिया पूरी की गई। इसी आधार पर ट्रिब्यूनल ने हस्तांतरण को अमान्य करार दिया।

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गलत सीए सर्टिफिकेट बना फैसले की वजह

आकृति ग्रुप की ओर से पैरवी कर रहे वकील संभव सोगानी ने बताया कि कंपनी शुरू से ही अपनी परियोजनाएं खुद पूरी करने के लिए तैयार थी। रेरा ने जिस आधार पर धन के दुरुपयोग का निष्कर्ष निकाला था, वह एक गलत सीए सर्टिफिकेट पर आधारित था। बाद में उसी प्रमाण-पत्र पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी, लेकिन इसके बावजूद रेरा ने अपने आदेश में उसे आधार बनाया।

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प्रोजेक्ट्स को लेकर कानूनी लड़ाई जारी

ट्रिब्यूनल के फैसले के बाद यह साफ हो गया है कि रेरा का आदेश प्रक्रिया और तथ्यों दोनों स्तर पर कमजोर था। इस निर्णय से आकृति ग्रुप को अपनी परियोजनाओं पर फिर से नियंत्रण मिलने का रास्ता खुला है, जबकि रियल एस्टेट सेक्टर में नियामक संस्थाओं की भूमिका और अधिकारों को लेकर नई बहस भी शुरू हो गई है।

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