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Action Against IAS Santosh Verma: मध्यप्रदेश कैडर के आईएएस अधिकारी संतोष कुमार वर्मा पर अब बड़े प्रशासनिक कार्रवाई होने के आसार नजर आ रहे हैं। हाल ही में भोपाल में आयोजित मध्य प्रदेश अनुसूचित जाति-जनजाति अधिकारी एवं कर्मचारी संघ (अजाक्स-AJAKS) के प्रांतीय अधिवेशन में ब्राह्मण समाज को लेकर की गई उनकी कथित अभद्र और आपत्तिजनक टिप्पणी के बाद मामला तूल पकड़ गया है। इस बयान को सामाजिक समरसता के खिलाफ बताते हुए राज्य सरकार ने केंद्र सरकार को पत्र भेजकर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई पर विचार करने का अनुरोध किया है।
सामान्य प्रशासन विभाग (कार्मिक) की अवर सचिव (Under Secretary) फरहीन खान ने शनिवार (12 दिसंबर) को भारत सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DoPT) के एआईएस डिवीजन (AIS Division) के सचिव को पत्र भेजा है। इसमें आईएएस संतोष वर्मा को भारतीय प्रशासनिक सेवा से हटाने या यूं कहें कि उनका आईएएस अवॉर्ड वापस लेने की बात कही गई है।
ब्राह्णण अपनी बेटियां हमारे बेटों के लिए दान करेंः अजाक्स अध्यक्ष वर्मा
— Bansal News Digital (@BansalNews_) November 24, 2025
आरक्षण का लाभ तब तक मिलते रहना चाहिए जब तक ब्राह्मण अपनी बेटियां हमारे बेटों के लिए दान न करने लगे। उनसे रोटी-बेटी का संबंध व्यवहार में न आ जाए- संतोष वर्मा (IAS), भोपाल में अजाक्स ( अनुसूचित जाति-जनजाति… pic.twitter.com/X1yrdMIE0B
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पत्र में उल्लेख किया गया है कि 23 नवंबर 2025 को भोपाल में हुए कार्यक्रम में संतोष वर्मा के बयान से ब्राह्मण समाज की भावनाएं आहत हुईं और प्रदेश में सामाजिक तनाव की स्थिति बनी। इसके बाद विभिन्न सामाजिक संगठनों, कर्मचारी संघों और जनप्रतिनिधियों ने शासन को ज्ञापन सौंपकर आरोप लगाया कि एक अखिल भारतीय सेवा अधिकारी से अपेक्षित मर्यादित और संतुलित आचरण का उन्होंने उल्लंघन किया है।
पत्र में दर्ज हैं ये आरोप
इस पत्र में आईएएस संतोष वर्मा पर लगाए कई आरोप लगाए गए हैं। ये सभी बातें उसी आधिकारिक पत्र में शामिल हैं, जो राज्य सरकार ने केंद्र को भेजा है।
23 नवंबर 2025 को भोपाल में अजाक्स (AJAKS) के प्रांतीय अधिवेशन में संतोष वर्मा ने ऐसा बयान दिया, जिससे सामाजिक समरसता को ठेस पहुंची। पत्र में साफ लिखा है कि उनके वक्तव्य से आपसी वैमनस्य बढ़ा और प्रदेश में सामाजिक तनाव पैदा हुआ।
पत्र में कहा गया है कि एक आईएएस अधिकारी से जिस संतुलित, संयमित और मर्यादित आचरण की अपेक्षा होती है, संतोष वर्मा का बयान उसके विपरीत था। इसी वजह से कई संगठनों ने उन्हें सेवा से हटाने की मांग की। संतोष वर्मा जब राज्य प्रशासनिक सेवा से आईएएस पदोन्नति के लिए विचार में आए, उस समय उनके खिलाफ एक अपराध का मामला लंबित था। इस कारण उनकी ईमानदारी प्रमाणित नहीं हो सकी थी। उन्होंने 6 अक्टूबर 2020 का एक ऐसा कोर्ट ऑर्डर प्रस्तुत किया, जिसमें खुद को दोषमुक्त बताया गया। बाद में पुलिस जांच में सामने आया कि ऐसा कोई आदेश अदालत ने दिया ही नहीं था।
पत्र में आरोप है कि इसी कथित दोषमुक्ति आदेश के आधार पर उनकी संनिष्ठा प्रमाणित की गई और उन्हें आईएएस अवॉर्ड दिया गया, जबकि वह आदेश असल में मौजूद ही नहीं था।
इस फर्जी कोर्ट ऑर्डर को लेकर अपराध क्रमांक 155/2021 दर्ज किया गया। इसमें यह सामने आया कि न्यायालयीन आदेश कूटरचित था।
फर्जी आदेश के मामले में संतोष वर्मा को जुलाई 2021 में गिरफ्तार किया गया। जिला अदालत और हाई कोर्ट से जमानत नहीं मिली। बाद में सुप्रीम कोर्ट से उन्हें जमानत मिली।
48 घंटे से अधिक पुलिस हिरासत में रहने के कारण उन्हें अखिल भारतीय सेवाएं (अनुशासन एवं अपील) नियम, 1969 के तहत निलंबित किया गया।
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उनके खिलाफ चार्जशीट जारी हुई, जवाब असंतोषजनक पाया गया और 4 सितंबर 2024 को विधिवत विभागीय जांच शुरू की गई, जो अभी पूरी नहीं हुई है।
पत्र का सबसे अहम बिंदु यही है कि जिस 6 अक्टूबर 2020 के आदेश के आधार पर संतोष वर्मा की ईमानदारी प्रमाणित की गई, वह आदेश वास्तविक नहीं था और आज भी उस पर अदालत में मामला चल रहा है।
इन्हीं सभी तथ्यों के आधार पर राज्य सरकार ने केंद्र से अनुरोध किया है कि संतोष वर्मा की आईएएस में पदोन्नति द्वारा की गई नियुक्ति पर दोबारा विचार किया जाए और जरूरत पड़े तो उन्हें पद से तत्काल हटाया जाए।
मुख्यमंत्री ने कार्रवाई के दिए आदेश
बता दें, मध्य प्रदेश में अमर्यादित आचरण और फर्जी दस्तावेज के आरोपों से घिरे IAS अधिकारी संतोष वर्मा पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शुक्रवार (11 दिसंबर) को बड़ा एक्शन लिया था। मुख्यमंत्री ने इस प्रकरण का सख्त संज्ञान लेते हुए सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) को तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री के निर्देशों के अनुपालन में, संतोष वर्मा को तत्काल उनके मौजूदा पद से हटाकर GAD पूल में अटैच कर दिया गया। इसके साथ ही, मुख्यमंत्री ने उनकी IAS पदोन्नति को फर्जी करार देते हुए, उनकी सेवा बर्खास्तगी का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजने के लिए आवश्यक प्रक्रिया शुरू करने के भी निर्देश दिए।
अब जानिए पूरा मामला क्या है
IAS संतोष वर्मा ने विवादित बयान 23 नवंबर को भोपाल में मध्य प्रदेश अनुसूचित जाति-जनजाति अधिकारी एवं कर्मचारी संघ (AJAKS) के एक सम्मेलन के दौरान दिया था। उन्होंने आरक्षण व्यवस्था पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि जब तक सामाजिक समरसता पूरी तरह स्थापित नहीं हो जाती और ‘जब तक कोई ब्राह्मण अपनी बेटी मेरे बेटे को दान न कर दे’ या उससे रोटी-बेटी का संबंध न बना ले, तब तक आरक्षण जारी रहना चाहिए।
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यह टिप्पणी सामने आते ही, पूरे प्रदेश में ब्राह्मण समाज और अन्य सवर्ण संगठनों (जैसे सपाक्स) में भारी आक्रोश फैल गया। इस बयान को जातिवादी, अभद्र और सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने वाला बताते हुए, जगह-जगह विरोध प्रदर्शन किए गए, पुतले जलाए गए और वर्मा की तत्काल बर्खास्तगी एवं गिरफ्तारी की मांग को लेकर पुलिस थानों में शिकायतें दर्ज कराई गईं।
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— Bansal News Digital (@BansalNews_) November 27, 2025
सरकार ने जारी किया था कारण बताओ नोटिस
विवाद बढ़ने के बाद, सरकार ने वर्मा के खिलाफ कारण बताओ नोटिस (Show Cause Notice) जारी किया। नोटिस में कहा गया है कि उनका बयान अखिल भारतीय सेवा (आचरण) नियम का उल्लंघन है, जिससे सामाजिक समरसता को ठेस पहुंची है। उनसे 7 दिन के भीतर जवाब मांगा गया था। अब जाकर प्रदेश सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग (कार्मिक) ने केंद्र सरकार (कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग) को पत्र लिखकर पद से हटाने की मांग की है।
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