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Mohan Sarkar ke 2 Saal CM ke 6 Bade Faisle: मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने 2023 में सत्ता संभालने के बाद कई फैसलों से परंपरागत राजनीतिक रूढ़ियों को तोड़ा है। जिसमें शाजापुर कलेक्टर को हटाने वाला फैसला,मध्यप्रदेश गान बजने पर न खड़े होने के फैसले शामिल हैं। चलिए जानते हैं और कौन से हैं वे फैसले, जिन्होंने राजनीति में चली आ रही परंपराओं को तोड़ा है।
1. शाजपुर कलेक्टर किशोर कन्याल को हटाया था
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मध्य प्रदेश के शाजापुर में बड़ा एक्शन लेते हुए मुख्यमंत्री मोहन यादव ने शाजापुर कलेक्टर किशोर कन्याल हटा दिया था। इसी के साथ सीएम मोहन यादव ने यह संदेश देने की कोशिश की थी कि राज्य में किसी भी स्तर पर लापरवाही या अनुशासनहीनता को सहन नहीं किया जाएगा। ऐसे आचरण के खिलाफ सरकार बिना देरी किए कार्रवाई करने को तैयार है। शाजापुर जिलाधिकारी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था जिसमें वह एक बैठक के दौरान एक ड्राइवर से उसकी औकात पूछते नजर आ रहे थे। हालांकि अपनी गलती का एहसास होने के बाद जिलाधिकारी किशोर कान्याल ने इस बात के लिए अफसोस भी जताया था। शाजापुर कलेक्टर किशोर कन्याल ने ड्राइवर्स एसोसिएशन की बैठक बुलाई थी। इस दौरान कलेक्टर ने कहा, 'मैं साफ कह रहा हूं कोई भी कानून को अपने हाथ में नहीं लेगा।'
2. गुना हादसे के बाद हुआ था एक्शन
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27 दिसंबर 2023 को गुना में हुए बस हादसे के बाद एक्शन लेते हुए पहली राज्य परिवहन आयुक्त संजय कुमार झा का निलंबित किया गया था। आपको बता दें गुना-एरोन रोड पर 27 दिसंबर 2023 को भीषण हादसे में एक बस की डंपर से टक्कर के बाद आग लग गई थी। जिसमें 13 लोगों की जलकर मौत हो गई थी। शव आग में बुरी तरह जल जाने के कारण उनकी पहचान करना मुश्किल हो गया था। इसलिए उनकी पहचान के लिए डीएनए टेस्ट कराया था।
इस हादसे के दूसरे दिन मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कड़ा कदम उठाते हुए राज्य परिवहन आयुक्त संजय कुमार झा, गुना कलेक्टर तरुण राठी और पुलिस अधीक्षक विजय खत्री का तबादला कर दिया था। इसके साथ ही गुना के क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी रवि बरेलिया और जिले के मुख्य नगरपालिका अधिकारी बी.डी. कटरोलिया को निलंबित करने के भी आदेश दिए।
3. राज्य गान पर नया रुख (जनवरी 2024)
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शिवराज सिंह चौहान सरकार की चार साल पुरानी परंपरा के उलट, जनवरी 2024 में भोपाल के रविंद्र भवन में आयोजित एक प्रमुख कार्यक्रम के दौरान मोहन यादव ने मध्यप्रदेश गान बजने पर खुद नहीं खड़े हुए। उन्होंने मंच से अधिकारियों-कर्मचारियों को भी बैठे रहने का इशारा किया और स्पष्ट बयान दिया कि राज्य गान या कोई अन्य गीत राष्ट्रीय गान व राष्ट्रगीत के समकक्ष नहीं है, इसलिए खड़े होने की अनिवार्यता सिर्फ राष्ट्रीय प्रतीकों तक सीमित रहनी चाहिए। इस कदम से राजनीतिक हलचल मची और इसे पुरानी सांस्कृतिक परंपरा तोड़ने का पहला बड़ा संकेत माना गया।
4. बेटे की सामूहिक शादी (नवंबर 2025)
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30 नवंबर 2025 को उज्जैन के क्षिप्रा नदी तट पर आयोजित मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के तहत सामूहिक विवाह सम्मेलन में सीएम मोहन यादव ने अपने छोटे बेटे डॉ. अभिमन्यु यादव की शादी कराई। इस कार्यक्रम में करीब 21 अन्य गरीब जोड़ों का भी विवाह हुआ। ये मुख्यमंत्री परिवार के लिए अभूतपूर्व था। पारंपरिक राजपरिवारों या नेताओं की शानदार 'डेस्टिनेशन वेडिंग' से हटकर इस सादगी भरे कदम को फिजूलखर्ची रोकने, सामाजिक समरसता बढ़ाने और लाड़ली लक्ष्मी जैसी योजनाओं को व्यक्तिगत स्तर पर प्रमोट करने का प्रतीक माना गया, जिसकी देशभर में चर्चा हुई।
5. 17 धार्मिक नगरों में शराबबंदी (जनवरी 2025)
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जनवरी 2025 की कैबिनेट बैठक में प्रस्ताव पास कर 17 प्रमुख धार्मिक नगरों और तीर्थस्थलों में जैसे उज्जैन, महेश्वर, ओंकारेश्वर, मैहर आदि में सभी शराब दुकानों को स्थायी रूप से बंद करने का ऐतिहासिक फैसला लिया। दुकानों को कहीं शिफ्ट किए बिना इन क्षेत्रों की नगर पालिका, परिषद या पंचायत सीमाओं में शराब की बिक्री पूरी तरह प्रतिबंधित कर दी गई। इसे अप्रैल 2025 तक लागू कर दिया गया। जिसे राज्य स्तर पर चरणबद्ध शराबबंदी की मजबूत शुरुआत माना गया, जो धार्मिक भावनाओं को प्राथमिकता देते हुए आर्थिक प्रभावों को भी संभालने वाला कदम माना गया।
6. लाउडस्पीकर पर सख्ती (दिसंबर 2024)
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दिसंबर 2024 में शपथग्रहण के तुरंत बाद जारी पहले बड़े आदेशों में सभी धार्मिक स्थलों, मस्जिदों, मंदिरों और सार्वजनिक आयोजनों पर निर्धारित डेसिबल से अधिक लाउडस्पीकर तथा डीजे सिस्टम पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया। 2024 के अंत और 2025 की शुरुआत में इंदौर, शाजापुर जैसे जिलों में प्रशासन ने सैकड़ों स्पीकर हटाए, जिससे 77 से ज्यादा मामले दर्ज हुए। यह शोर प्रदूषण नियंत्रण को कानून-व्यवस्था का अभिन्न हिस्सा बनाने जैसा था, जो पारंपरिक धार्मिक आयोजनों पर सख्ती के लिहाज से असामान्य राजनीतिक साहस दिखाता है।
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