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सीबीआई की छापेमारी: नोटों का कागज बनाने वाली इकाई में मेडिकल क्लेम घोटाला, भोपाल-इंदौर समेत CBI की देशभर में एक साथ रेड

नोटों का कागज बनाने वाली सिक्योरिटी पेपर मिल में मेडिकल क्लेम घोटाला सामने आया। CBI ने भोपाल समेत कई शहरों में दर्जनभर ठिकानों पर छापे मारे।

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Wasif Khan
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Security Paper Mill CBI Raid: भारतीय मुद्रा के कागज का निर्माण करने वाली अत्यंत संवेदनशील इकाई सिक्योरिटी पेपर मिल में बड़ा और सनसनीखेज मेडिकल क्लेम घोटाला सामने आया है। इस मामले में CBI ने शनिवार (20 दिसंबर) को देशभर में एक साथ कार्रवाई करते हुए करीब एक दर्जन ठिकानों पर छापे मारे। जांच एजेंसी ने न केवल अहम दस्तावेज जुटाए, बल्कि घोटाले में शामिल संदिग्ध लोगों से घंटों पूछताछ भी की।

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कई राज्यों में एक साथ हुई कार्रवाई

सीबीआई की इस बड़ी कार्रवाई का दायरा मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र तक फैला रहा। भोपाल, इंदौर, देवास और नर्मदापुरम के साथ-साथ महाराष्ट्र के नासिक में एक साथ छापेमारी की गई। एजेंसी की अलग-अलग टीमें सुबह से ही संदिग्ध ठिकानों पर पहुंचीं और फाइलों, बिलों तथा डिजिटल रिकॉर्ड (Digital Records) की गहन जांच की। सूत्रों के अनुसार, छापेमारी के दौरान कई महत्वपूर्ण दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस जब्त किए गए हैं।

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अधिकारी, कर्मचारी और केमिस्ट जांच के घेरे में

इस घोटाले में सिक्योरिटी पेपर मिल से जुड़े कुछ अधिकारी और कर्मचारी जांच एजेंसी के निशाने पर आए हैं। इनके अलावा थोक दवा सप्लायर, निजी केमिस्ट (Chemist) और मेडिकल क्लेम से जुड़े फील्ड स्टाफ की भूमिका भी संदिग्ध मानी जा रही है। सीबीआई ने छापेमारी के दौरान कई लोगों से अलग-अलग स्तर पर पूछताछ की है।

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2022-23 के मेडिकल क्लेम में गड़बड़ी

जांच एजेंसी के मुताबिक मेडिकल क्लेम से जुड़ा यह पूरा मामला वित्तीय वर्ष 2022-23 का है। आरोप है कि इस अवधि में चिकित्सा दावों के नाम पर बड़े पैमाने पर अनियमितताएं की गईं। मिल के कुछ कर्मचारियों ने एक पूर्व संविदा चिकित्सा अधिकारी और निजी दवा विक्रेताओं के साथ मिलीभगत कर फर्जी और बढ़ा-चढ़ाकर मेडिकल बिल तैयार किए।

महंगी दवाओं के नाम पर फर्जीवाड़ा

प्राथमिक जांच में सामने आया है कि बिना ठोस चिकित्सीय आवश्यकता के महंगी दवाएं (Expensive Medicines) लिखी गईं। इसके बाद चुनिंदा केमिस्टों के माध्यम से ऊंचे दामों पर बिल बनाए गए और उन्हें मेडिकल क्लेम के तहत पास कराया गया। नियमों को नजरअंदाज कर भुगतान स्वीकृत किए जाने से सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचने की आशंका जताई जा रही है।

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विजिलेंस जांच से खुली परतें

सूत्रों के अनुसार इस घोटाले का खुलासा पहले आंतरिक सतर्कता यानी विजिलेंस (Vigilance) जांच में हुआ था। रिपोर्ट सामने आने के बाद मामला सीबीआई मुख्यालय तक पहुंचा। इसके बाद भोपाल यूनिट ने प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू की। प्रारंभिक पड़ताल में बड़े स्तर पर गड़बड़ी के संकेत मिलने के बाद एजेंसी ने छापेमारी का फैसला किया।

जांच के दौरान बैंक लेनदेन (Bank Transactions), मेडिकल बिलिंग पैटर्न और क्लेम अप्रूवल प्रक्रिया की भी बारीकी से पड़ताल की जा रही है।

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