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Unnao Rape Case: उन्नाव रेप केस में दोषी पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा झटका दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा दी गई जमानत पर रोक लगा दी है। अदालत ने कहा कि वह हाईकोर्ट के आदेश पर अस्थायी रोक लगाने के पक्ष में है।
केंद्र सरकार और CBI की आपत्ति के बाद कोर्ट ने यह निर्णय लिया। इस बीच सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि पीड़िता की उम्र 16 वर्ष से भी कम थी, इसलिए यह मामला अत्यंत गंभीर सजा की श्रेणी में आता है। उन्होंने कहा कि IPC की धारा 376(2) के तहत न्यूनतम 20 वर्ष और अधिकतम जैविक जीवन के अंत तक कारावास की सजा निर्धारित है। इस मामले की अगली सुनवाई 4 हफ्ते बाद होगी। सुप्रीम कोर्ट ने दो हफ्ते बाद रिपोर्ट मांगी है।
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— Bansal News Digital (@BansalNews_) December 29, 2025
हाईकोर्ट द्वारा दी गई राहत पर उठे सवाल
दिल्ली हाईकोर्ट ने सेंगर को इस आधार पर राहत दी थी कि वह सात साल से अधिक समय से जेल में है और उसकी अपील की सुनवाई लगातार टल रही है। कोर्ट ने माना कि सुनवाई में देरी उसके अधिकारों को प्रभावित कर रही है। हालांकि, यह भी उल्लेख किया गया कि सेंगर के खिलाफ पीड़िता के पिता की हत्या का मामला भी लंबित है। अब सुप्रीम कोर्ट यह तय करेगा कि हाईकोर्ट का आदेश न्यायिक प्रक्रिया के अनुरूप था या नहीं।
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CBI और केंद्र की दलीलें कोर्ट के सामने
सुनवाई के दौरान CBI की ओर से सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि यह मामला केवल धारा 376 तक सीमित नहीं है, बल्कि पॉक्सो एक्ट (POCSO Act) के प्रावधान भी लागू होते हैं, क्योंकि पीड़िता नाबालिग थी। उन्होंने कहा कि सेंगर एक जनप्रतिनिधि था, ऐसे में गंभीर अपराध में उसे दी गई राहत आगे अन्य मामलों के लिए गलत नजीर बन सकती है। CBI ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की कि हाईकोर्ट का आदेश स्थगित किया जाए।
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सुप्रीम कोर्ट में शुरू हुई विस्तृत सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्काल सुनवाई शुरू कर दी है। तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि ट्रायल कोर्ट ने सेंगर को स्पष्ट रूप से धारा 376 के तहत दोषी ठहराया था, और ऐसे अपराध में कम सजा का आधार नहीं हो सकता। अदालत अब यह तय करेगी कि जमानत रद्द करने पर अंतिम फैसला क्या होगा।
क्या है पूरा मामला ?
उन्नाव रेप केस 2017 में उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में सामने आया, जब 17 वर्षीय नाबालिग लड़की ने भाजपा के पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर सामूहिक बलात्कार का आरोप लगाया। मामले ने तब और तूल पकड़ा जब पीड़िता के पिता की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हुई, जिसके लिए सेंगर और अन्य आरोपियों को दोषी पाया गया। 2019 में सुनवाई के दौरान पीड़िता और उसका परिवार एक गंभीर सड़क हादसे का शिकार हुआ, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई और पीड़िता गंभीर रूप से घायल हुई। अदालत ने विस्तृत जांच और सुनवाई के बाद दिसंबर 2019 में सेंगर को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
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दिल्ली हाईकोर्ट ने सेंगर की जमानत की निलंबित
हालिया घटनाक्रम में, 23 दिसंबर 2025 को दिल्ली हाई कोर्ट ने सेंगर की सजा को निलंबित करते हुए उन्हें जमानत दे दी, यह कहते हुए कि उन्होंने पर्याप्त समय जेल में बिताया है और उनकी अपील अभी लंबित है। इस फैसले ने बड़े स्तर पर विरोध और बहस को जन्म दिया। इसके बाद CBI ने हाई कोर्ट के निर्णय को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, यह तर्क देते हुए कि POCSO कानून के तहत सेंगर को लोक सेवक मानना गलत है।
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