Advertisment

अरावली पर्वतमाला केस: सुप्रीम कोर्ट ने अपने ही फैसले पर लगाई रोक, केंद्र समेत अन्य संबंधित राज्यों को नोटिस जारी कर मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने अरावली पहाड़ियों की नई परिभाषा पर उठे विवाद को गंभीर मानते हुए 20 नवंबर 2025 के अपने आदेश पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने सभी संबंधित राज्यों और केंद्र सरकार से विस्तृत जवाब मांगते हुए मामले की दोबारा समीक्षा शुरू कर दी है।

author-image
Shaurya Verma
Aravalli Hills Case SC Verdict new definition sends notice central governmnet delhi gujarat rajasthan hindi zxc

Aravalli Hills Case SC Verdict: अरावली पहाड़ियों की परिभाषा को लेकर चल रहे विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने अब मामले को नए सिरे से देखने का फैसला किया है। चीफ जस्टिस सूर्यकांत की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच ने सुनवाई करते हुए दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान समेत सभी संबंधित राज्यों को नोटिस जारी कर उनका जवाब मांगा है। अदालत ने केंद्र सरकार को भी नोटिस भेजा है। केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता इस मामले में कोर्ट की सहायता कर रहे हैं।

Advertisment

सुप्रीम कोर्ट ने अरावली पर 20 नवंबर 2025 को दिए गए अपने ही आदेश पर फिलहाल रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा कि अरावली की परिभाषा (Aravalli Definition) को लेकर उठे सवालों पर पहले निष्पक्ष और स्वतंत्र विशेषज्ञों की राय ली जानी जरूरी है। अदालत ने माना कि नई परिभाषा से कई भ्रम पैदा हो सकते हैं, इसलिए पूरे मामले का विस्तृत पुनर्मूल्यांकन किया जाएगा। इस मामले की अगली सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में 21 जनवरी 2026 को होगी।  Mining Ban Aravalli 

बिना विशेषज्ञ राय के फैसला लागू नहीं

सुनवाई के दौरान CJI सूर्यकांत ने कहा कि कोर्ट का कोई भी आदेश लागू करने से पहले एक निष्पक्ष और स्वतंत्र एक्सपर्ट की राय पर विचार करना अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि यह जरूरी समझा जाए कि क्या नई परिभाषा अरावली की संरचनात्मक मजबूती को कमजोर कर रही है और क्या इससे गैर-अरावली क्षेत्रों का दायरा बढ़ाकर अनियंत्रित माइनिंग को रास्ता मिल सकता है।

CJI ने टिप्पणी की कि नई व्याख्या से उत्पन्न कानूनी और पर्यावरणीय खालीपन (regulatory gap) को भरने के लिए गहन अध्ययन के साथ एक विस्तृत सर्वे आवश्यक है। अदालत ने कहा कि स्पष्ट दिशानिर्देश तभी जारी किए जाएंगे जब विशेषज्ञों की राय उपलब्ध होगी।

Advertisment

नई माइनिंग लीज पूरी तरह बंद

केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने राज्यों को स्पष्ट दिशानिर्देश जारी करते हुए अरावली रेंज में सभी नई माइनिंग लीज पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया है। मंत्रालय ने कहा कि यह रोक अरावली की अखंडता को बचाने और अनियंत्रित खनन गतिविधियों को रोकने के लिए अनिवार्य है।

इसके साथ ही इंडियन काउंसिल ऑफ फॉरेस्ट्री रिसर्च एंड एजुकेशन को अरावली क्षेत्र में उन नए जोन की पहचान करने का काम सौंपा गया है जहां खनन पर पूर्ण प्रतिबंध होना चाहिए। मंत्रालय ने कहा कि दिल्ली से गुजरात तक फैली इस पर्वत श्रृंखला की सुरक्षा उत्तर भारत के जल-परिस्थितिकी संतुलन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

SC ने उठाए 5 बड़े सवाल  

अरावली रेंज की नई परिभाषा को लेकर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पांच महत्वपूर्ण सवाल सामने रखे, जिनका उद्देश्य यह समझना है कि क्या 100 मीटर ऊंचाई और 500 मीटर की दूरी पर आधारित परिभाषा पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य को कमजोर कर सकती है। कोर्ट ने पूछा कि क्या इस नई परिभाषा से गैर-अरावली क्षेत्रों का दायरा अचानक बढ़ गया है, जिससे खनन गतिविधियों को अप्रत्यक्ष राहत मिल सकती है। Aravalli Environmental Protection

Advertisment

बेंच ने यह भी सवाल उठाया कि यदि दो अरावली क्षेत्र 100 मीटर या उससे अधिक ऊंचाई के हों और उनके बीच 700 मीटर का अंतर हो, तो क्या उस बीच के क्षेत्र में नियंत्रित खनन (regulated mining) की अनुमति दी जानी चाहिए। कोर्ट ने पर्यावरणीय निरंतरता को बनाए रखने के लिए विस्तृत इकोलॉजिकल आकलन की जरूरत बताई।

लंबे समय से कोर्ट में लंबित अरावली मामला

यह विवाद पुराने और महत्वपूर्ण टीएन गोदावर्मन थिरुमुलपद मामले से जुड़ा है, जिसमें पर्यावरण संरक्षण से संबंधित कई फैसले सालों से जारी किए जाते रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 29 पन्नों के फैसले में कहा था कि अरावली के कोर और अछूते क्षेत्रों में खनन हमेशा प्रतिबंधित रहेगा, जबकि कुछ विशेष परिस्थितियों में वैज्ञानिक और सतत खनन (sustainable mining) की अनुमति दी जा सकती है।

कोर्ट ने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया था कि अरावली के उन क्षेत्रों की पहचान स्पष्ट रूप से की जाए जहां खनन बिल्कुल नहीं होगा और किन क्षेत्रों में इसे विशेष वैज्ञानिक मानकों के आधार पर ही अनुमति दी जा सकती है। अब सुप्रीम कोर्ट ने नई परिभाषा पर रोक लगाते हुए इस पूरे ढांचे को पुनः मूल्यांकन के लिए खोल दिया है।   

Advertisment

ये भी पढ़ें - उन्नाव रेप केस: पूर्व  बीजेपी विधायक कुलदीप सेंगर को झटका, SC ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले पर लगाई रोक

Aravalli Hills Case Aravalli Definition Mining Ban Aravalli Aravalli Environmental Protection Aravalli Hills Case SC Verdict
Advertisment
WhatsApp Icon चैनल से जुड़ें