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MGNREGA
Modi Cabinet Decisions: शुक्रवार को मोदी सरकार कैबिनेट Modi Cabinet Decisions 2025 की बैठक हुई, इस बैठक में दुनिया की सबसे बड़ी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना मनरेगा MGNREGA का नाम बदलने का फैसला किया है। इसे अब ‘पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना’ (Pujya Bapu Gramin Rozgar Yojana) कहा जाएगा। नाम बदलने का उद्देश्य ग्रामीण रोजगार की पहचान और महात्मा गांधी के मूल्यों को सम्मान देना बताया जा रहा है। नया नाम केंद्रीय कैबिनेट की मंज़ूरी के साथ प्रभावी होगा।
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— Bansal News Digital (@BansalNews_) December 12, 2025
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क्या बदला गया है और क्यों?
भारत सरकार ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (Mahātma Gandhi National Rural Employment Guarantee Act – MGNREGA) का नाम बदलने का बड़ा निर्णय लिया है। अब इस योजना को ‘पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना’ (Pujya Bapu Gramin Rozgar Yojana) कहा जाएगा, जिसका प्रस्ताव केंद्रीय कैबिनेट (Union Cabinet) में मंज़ूरी के लिए रखा गया और इसे स्वीकृति दे दी गई है। सरकारी सूत्रों के अनुसार नाम बदलने का मकसद इस योजना को नई पहचान देना और इसे ग्रामीण विकास की दिशा में और मजबूती के साथ जोड़ना बताया जा रहा है। ‘पूज्य बापू’ शब्द महात्मा गांधी के प्रति सम्मान का प्रतीक माना जाता है, जिससे योजना की सामाजिक भूमिका और व्यापक रूप से समझ में आएगी।
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मनरेगा क्या है?
मनरेगा योजना को साल 2005 में लागू किया गया था और इसे मूल रूप से नेशनल रूरल एम्प्लॉयमेंट गारंटी एक्ट (National Rural Employment Guarantee Act – NREGA) कहा जाता था। बाद में इसे महात्मा गांधी के नाम से जोड़कर MGNREGA बना दिया गया। यह योजना भारत की प्रमुख सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में से एक है, जिसका लक्ष्य ग्रामीण परिवारों को प्रति वर्ष कम से कम 100 दिनों का रोजगार सुनिश्चित करना है। योजना का उद्देश्य यह है कि ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले इच्छुक वयस्कों को अपरिष्कृत मैन्युअल काम के रूप में रोजगार मिले, जिससे उनकी आजीविका सुरक्षित रहे और वे आने वाले मौसम और मुश्किल समय में आर्थिक रूप से सक्षम रहें।
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नए नाम का क्या अर्थ है?
‘पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना’ नाम का चयन महात्मा गांधी के प्रति सम्मान से जुड़ा है। गांधीजी को देश में ग्रामीण विकास और ग्राम स्वराज के महत्व का प्रतीक माना जाता है। इस नए नाम से यह संदेश भी जाएगा कि योजना न सिर्फ रोजगार प्रदान करती है बल्कि ग्रामीण जीवन की गरिमा और स्वतंत्रता में विश्वास रखती है।
क्या बदल जाएगा योजना का ढांचा?
वर्तमान में उपलब्ध रिपोर्ट के अनुसार सिर्फ नाम में बदलाव (Renaming) ही प्रस्तावित है, योजना के नियम, रोजगार दिन, मजदूरी दर, या अन्य लाभों में तत्काल कोई बड़ा बदलाव नहीं बताया गया है। हालांकि, कुछ स्रोतों में संकेत दिया गया है कि भविष्य में रोजगार गारंटी के दिनों को और बढ़ाया जा सकता है और मजदूरी दरों को भी संशोधित किया जा सकता है ताकि ग्रामीण आजीविका अधिक सुदृढ़ हो सके।
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