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Bhopal VIT Update: सीहोर स्थित वेल्लोर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (VIT) में पढ़ने वाले 17,121 छात्रों की सेहत के साथ गंभीर लापरवाही का मामला सामने आया है। जांच में खुलासा हुआ है कि विश्वविद्यालय परिसर में लंबे समय से घटिया और असुरक्षित खाना परोसा जा रहा था। इसके कारण छात्र लगातार बीमार पड़ रहे थे और कई को अस्पताल में भर्ती तक कराना पड़ा। विवाद बढ़ने के बाद खाद्य एवं औषधि प्रशासन की टीम ने कैंपस में पहुंचकर कैटरिंग व्यवस्था की जांच की।
32 सैंपल की जांच में चौंकाने वाले तथ्य
खाद्य सुरक्षा अधिकारियों ने यूनिवर्सिटी में भोजन उपलब्ध कराने वाले 5 कैटर्स के कुल 32 सैंपल लिए। इनमें 18 सैंपल लीगल कैटेगरी के तहत और 14 सैंपल सर्विलांस के रूप में जांच के लिए भेजे गए। लैब रिपोर्ट में सामने आया कि राजमा, उड़द दाल, तुअर दाल, आटा, मैदा और चावल जैसे रोजाना परोसे जाने वाले खाद्य पदार्थ मानकों पर खरे नहीं उतरे। कई सैंपल को फेल और अनसेफ घोषित किया गया।
कीटनाशक और इंसेक्टिसाइड के अवशेष मिले
लैब रिपोर्ट के अनुसार, कई खाद्य सैंपल में पेस्टीसाइड और इंसेक्टिसाइड के अवशेष पाए गए। इन खतरनाक रसायनों की मौजूदगी के कारण 12 सैंपल को सीधे अनसेफ और सब-स्टैंडर्ड श्रेणी में रखा गया। यह स्थिति छात्रों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा मानी जा रही है। सर्विलांस सैंपल में भी दाल, आटा, मसाले और पैक्ड फूड आइटम में गुणवत्ता संबंधी खामियां सामने आईं।
छात्रों के आंदोलन के दौरान देखें कैंपस की कुछ तस्वीरें...
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5 में से 4 कैटर्स फेल
जांच रिपोर्ट में यह भी स्पष्ट हुआ कि 5 कैटर्स में से 4 के सैंपल फेल पाए गए। जिन कैटरिंग एजेंसियों के खिलाफ कार्रवाई की संभावना बन रही है, उनमें जेएमबी कैटरर्स, रेसेंस प्राइवेट लिमिटेड, ए.बी. कैटरिंग और सफल सिनर्जी शामिल हैं। रिपोर्ट से यह संकेत मिला है कि नियमित निगरानी के बावजूद कैटरिंग व्यवस्था में गुणवत्ता बनाए रखने में गंभीर चूक हुई है।
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स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार इस तरह का दूषित भोजन खाने से फूड प्वाइजनिंग, दस्त, उल्टी, पेट दर्द, बुखार, आंतों का संक्रमण, टायफाइड और लिवर से जुड़ी बीमारियां हो सकती हैं। छात्रों के लगातार बीमार पड़ने की शिकायतें इसी ओर इशारा कर रही थीं, जिसे अब जांच रिपोर्ट ने भी सही ठहराया है।

वीआईटी ने अपने ऊपर लगे आरोप को निराधार बताया
वीआईटी में 25 नवंबर की रात हुई हिंसक घटना के बाद यह मामला और गंभीर हो गया था। इसके बावजूद उच्च शिक्षा विभाग और एमपी निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग यानी एमपीयूआरसी (MPURC) की ओर से अब तक कोई ठोस कार्रवाई सामने नहीं आई है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने जारी शो-कॉज नोटिस का जवाब देते हुए आरोपों को निराधार और भ्रामक बताया है। साथ ही, प्रशासन ने व्यक्तिगत सुनवाई का अवसर देने और नोटिस वापस लेने की मांग सरकार से की है।
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