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MP हाईकोर्ट का आदेश: स्टेट बार काउंसिल ऑफ मध्यप्रदेश की सचिव गीता शुक्ला की नियुक्ति अवैधानिक, LDC के पद पर होंगी रिवर्ट

स्टेट बार काउंसिल ऑफ मध्यप्रदेश की सचिव गीता शुक्ला की नियुक्ति को MP हाईकोर्ट ने अवैधानिक करार दिया है। हाईकोर्ट ने आदेश में कहा कि अधिवक्ता अधिनियम का उल्लंघन हुआ है।

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Rahul Garhwal
MP High Court order State Bar Council of MP Secretary Geeta Shukla appointment illegal hindi news

MP High Court Geeta Shukla Appointment Illegal: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने एक अहम आदेश में कहा कि अधिवक्ता अधिनियम का उल्लंघन करते हुए स्टेट बार काउंसिल ऑफ मध्यप्रदेश की सचिव गीता शुक्ला की नियुक्ति की गई है, जोकि अवैधानिक है। हाईकोर्ट ने राज्य अधिवक्ता परिषद के उन दोनों आदेशों को निरस्त कर दिया जिसके तहत गीता शुक्ला को पहले सहायक सचिव और बाद में सचिव पद पर नियुक्त किया गया था।

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LDC के पद पर रिवर्ट होंगी गीता शुक्ला

हाईकोर्ट ने गीता शुक्ला को वापस एलडीसी के पद पर रिवर्ट करने के आदेश दिए। कोर्ट ने 2 महीने के अंदर नियमानुसार योग्य उम्मीदवार की सहायक सचिव और सचिव के पद पर नियुक्ति करने के निर्देश दिए। साथ ही कोर्ट ने कहा कि 2 महीने के लिए किसी योग्य उम्मीदवार को एड्हॉक सचिव नियुक्त करें।

अधिवक्ता अधिनियम का उल्लंघन

चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की खंडपीठ ने कहा कि सचिव का पद एक महत्वपूर्ण पद है और इस पद पर नियुक्ति के लिए योग्यताएं नियमों द्वारा निर्धारित की गई हैं। नियुक्ति से पहले इन्हें पूरा करना अनिवार्य है। कोर्ट ने कहा कि स्टेट बार काउंसिल ने गीता शुक्ला को सहायक सचिव के पद पर पदोन्नत किया और फिर उन्हें सचिव के पद पर नियुक्त किया। स्पष्ट रूप से यह कार्रवाई अधिवक्ता अधिनियम, 1961, मध्य प्रदेश राज्य बार काउंसिल नियमों के विभिन्न प्रावधानों का उल्लंघन है।

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State Bar Council of MP geeta shukla
स्टेट बार काउंसिल ऑफ मध्यप्रदेश

9 जुलाई 2024 को सचिव बनाई गईं थीं गीता शुक्ला

स्टेट बार काउंसिल ने 31 जनवरी 2022 को गीता को एलडीसी के पद से सहायक सचिव के पद पर पदोन्नत किया। इसके बाद 9 जुलाई 2024 को उन्हें सचिव बना दिया गया। स्टेट बार के ही कुछ सदस्यों शैलेंद्र वर्मा, अहदुल्ला उसमानी, हितोषी जय हर्डिया, अखंड प्रताप सिंह और नरेन्द्र जैन ने गीता की नियुक्ति को चुनौती दी। दलील दी गई कि गीता को बिना योग्यता आउट ऑफ टर्न प्रमोशन दिया गया, जोकि अवैधानिक है।

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12वीं रैंक पर थीं गीता, बना दिया सहायक सचिव

हाईकोर्ट में लगाई याचिका में कहा गया कि कर्मचारियों की पदोन्नति बार काउंसिल की आम सभा द्वारा कार्यकारी समिति की सिफारिश पर योग्यता और वरिष्ठता के आधार पर की जाती है। सहायक सचिव के पद पर नियुक्ति के लिए अधिवक्ताओं से आवेदन आमंत्रित किए गए थे। कई अधिवक्ताओं ने आवेदन किया। गीता ने भी आवेदन किया और बताया कि उन्हें 8 वर्षों का वकालत का अनुभव है। परीक्षा 1 मार्च 2019 को आयोजित की गई थी। परीक्षा में टॉप करने वाले अभ्यर्थी को 40 अंक मिले थे, जबकि गीता को केवल 5 अंक मिले थे। गीता की रैंक 12वीं थी। परीक्षा के आधार पर नियुक्ति नहीं देकर तत्कालीन स्टेट बार अध्यक्ष ने गीता को सहायक सचिव बना दिया।

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