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MP High Court News: प्रदेश के कर्मचारियों के लिए बड़ी राहत, हाई कोर्ट ने एडहॉक सेवा को माना पेंशनयोग्य

मप्र हाई कोर्ट ने कहा कि एडहॉक सेवा को भी पेंशन के लिए मान्य माना जाए। कृत्रिम ब्रेक को सेवा व्यवधान नहीं माना जाएगा। हजार से अधिक कर्मचारियों को लाभ मिलेगा।

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Wasif Khan
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MP High Court News: मप्र हाई कोर्ट के एक महत्त्वपूर्ण निर्णय ने प्रदेश के हजार से अधिक कर्मचारियों की उम्मीदें जगाई हैं। अदालत ने साफ किया कि एडहॉक सेवा अवधि को भी पेंशन और अन्य रिटायरमेंट लाभों में शामिल किया जाएगा। यह फैसला प्रो. अरुण प्रकाश बुखारिया की याचिका पर सुनवाई के दौरान आया।

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एडहॉक सेवा को निरंतर माना जाएगा

जस्टिस दीपक खोत की बेंच ने कहा कि तदर्थ यानी एडहॉक अवधि में दिखाए गए दो या तीन दिन के कृत्रिम ब्रेक को सेवा व्यवधान नहीं माना जा सकता। कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया कि 1977 से 2009 तक की पूरी सेवा अवधि को निरंतर सेवा माना जाए और उसी आधार पर पेंशन जारी की जाए।

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फैसले के बाद प्रदेश में वे कर्मचारी जो वर्षों तक एडहॉक आधार पर काम करते रहे, उन्हें पेंशन के दायरे में आने का रास्ता मिल गया है। एडहॉक सेवा अस्थायी नियुक्ति होती है, जिसे किसी पद को तुरंत भरने के लिए किया जाता है, जब तक नियमित नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी न हो। इस आदेश से लगभग एक हजार से अधिक कर्मचारियों को सीधा लाभ मिलने की संभावना है।

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मध्यप्रदेश हाईकोर्ट (MP High Court) ने पश्चिम क्षेत्र बिजली कंपनी में क्लास-3 और क्लास-4 पदों की भर्ती परीक्षा (MP Electricity Company Recruitment Exam) से जुड़ी याचिकाओं पर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने परीक्षा में पूछे गए सवाल नंबर 16 और 25 के गलत अंकन को लेकर दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए परीक्षा आयोजक को आपत्तियों का विशेषज्ञों से पुनः परीक्षण कराने के निर्देश दिए हैं। जस्टिस दीपक खोत की एकलपीठ ने एमपी ऑनलाइन को आदेश दिया है कि याचिकाकर्ताओं की आपत्तियों का विशेषज्ञों के माध्यम से परीक्षण कराया जाए। कोर्ट ने कहा है कि यदि जरूरी हो तो मॉडल आंसर की को भी संशोधित किया जाए। इस प्रोसेस के पूरा होने तकपूरी खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें।

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