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Ken Mandakini River Link Project:मध्यप्रदेश में नदी जोड़ो योजनाओं की श्रृंखला में अब एक और बड़ा कदम जुड़ने वाला है। केन-बेतवा लिंक और पार्वती-कालीसिंध-चंबल प्रोजेक्ट के बाद अब केन नदी को चित्रकूट की मंदाकिनी नदी से जोड़ने की प्रक्रिया तेज हो गई है। इस प्रस्ताव की अवधारणा दीनदयाल शोध संस्थान ने रखी थी, जिसे दोनों राज्यों मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश ने मंजूरी दे दी है। सरकारी स्तर पर प्रारंभिक ड्राफ्ट तैयार भी हो चुका है।
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कैसे जुड़ेगी दोनों नदियां
प्रस्ताव अनुसार केन नदी का 250 एमसीएम (Million Cubic Metres) पानी मंदाकिनी में छोड़ा जाएगा। इसमें दोनों राज्यों का बराबर हिस्सा तय किया गया है। केन-बेतवा परियोजना से मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश 125-125 एमसीएम पानी मंदाकिनी की ओर डायवर्ट करने के लिए संयुक्त समझौता करेंगे। अगले चरण में दोनों सरकारें उच्च स्तरीय बैठक में तकनीकी और प्रशासनिक मसलों पर निर्णय लेंगी, जिसके बाद मध्यप्रदेश औपचारिक प्रस्ताव केंद्र को भेजेगा।
बांध और नहर का पूरा ढांचा
इस योजना में पन्ना जिले के पतने-अबेर क्षेत्र में एक छोटा बांध बनेगा जिसकी क्षमता 250 एमसीएम होगी। इसी बांध से 110 किलोमीटर लंबी नहर निकलेगी, जो सतना जिले के मझगवां क्षेत्र में तैयार हो रहे दौरी सागर बांध के जलग्रहण क्षेत्र में मिलेगी। यहीं से यह मंदाकिनी नदी से जुड़ेगी। नहर का 90 किलोमीटर हिस्सा ओपन कैनाल होगा और करीब 20 किलोमीटर टनल की संरचना में जाएगा।
दौरी सागर बांध के डाउनस्ट्रीम में लगभग आठ किलोमीटर दूर स्थित शबरी वाटरफॉल पर 25 मेगावाट क्षमता वाला हाइड्रो पावर प्लांट लगाने का प्रस्ताव भी रखा गया है।
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कितनी होगी प्रोजेक्ट की लागत
पूरे प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत 4000 करोड़ रुपए से अधिक मानी जा रही है। इसमें 90 प्रतिशत खर्च केंद्र सरकार वहन कर सकती है, जबकि शेष 10 प्रतिशत राशि दोनों राज्य आपसी अनुपात में वहन करेंगे।
मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश दोनों को मिलने वाले लाभ
योजना के लागू होने पर चित्रकूट विधानसभा क्षेत्र में लगभग 18 हजार हेक्टेयर भूमि सिंचाई योग्य हो जाएगी और 25 मेगावाट स्वच्छ हाइड्रो पावर उत्पादन संभव होगा। इसी तरह उत्तर प्रदेश के हिस्से को 125 एमसीएम पानी मिलेगा, जिससे चित्रकूट जिले में करीब 20 हजार हेक्टेयर सिंचाई क्षमता विकसित हो सकेगी।
चित्रकूट हर वर्ष करोड़ों श्रद्धालुओं का केंद्र है। मंदाकिनी में स्वच्छ जल की उपलब्धता से स्नान और धार्मिक गतिविधियों की गुणवत्ता में सुधार होगा, जिसे दोनों राज्यों ने इस प्रोजेक्ट का साझा लाभ माना है।
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