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Bhopal GMC Controversy Update:भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज में हुई हिंसा अब कॉलेज की सीमा से निकलकर राज्य स्तर की जांच तक पहुंच चुकी है। बुधवार (3 दिसंबर) देर रात कैंटीन में हुए हमले के बाद कॉलेज प्रबंधन ने 15 एमबीबीएस छात्रों को सस्पेंड किया था। पुलिस ने इनमें से छह छात्रों के खिलाफ शनिवार को एफआईआर दर्ज कर ली। घटना को जूनियर्स रैगिंग से जोड़कर देख रहे हैं, जिससे कॉलेज प्रशासन और एंटी रैगिंग सिस्टम पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।
दी गई धमकी
हमले के बाद आरोपियों ने धमकी दी कि अगली बार कैंपस में दिखे तो जान से मार देंगे। घायल पारस घटना के तुरंत बाद थाना पहुंच गया और पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने उसकी शिकायत के आधार पर मारपीट, धमकी और रैगिंग से जुड़े प्रावधानों में छह छात्रों के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पुलिस अब घटना स्थल, CCTV फुटेज और प्रत्यक्षदर्शियों के बयान इकट्ठा कर रही है।
जूनियर्स इसे रैगिंग बता रहे हैं
घटना के बाद जूनियर छात्रों में डर और नाराजगी दोनों है। कई छात्रों का कहना है कि यह मामला साफ तौर पर रैगिंग से जुड़ा है और लंबे समय से हॉस्टल में जूनियर्स पर दबाव बनाया जा रहा था। दो दिन पहले भी हॉस्टल में रूम को लेकर सीनियर और जूनियर छात्रों के बीच कहासुनी हुई थी। पीड़ित छात्र ने एंटी रैगिंग कमेटी की हेल्पलाइन पर शिकायत की है। कमेटी की बैठक सोमवार को होगी, जिसमें घटना की विस्तृत जांच की जाएगी।
कॉलेज की डीन डॉ. कविता एन सिंह ने बताया कि जिन छात्रों के नाम FIR में दर्ज किए गए हैं, वे आगे भी सस्पेंड रहेंगे। कॉलेज प्रशासन ने इसे गंभीर अनुशासनहीनता की श्रेणी में रखा है और कहा कि इसे सामान्य विवाद मानना गलत होगा।
कॉलेज की रिपोर्ट अब चिकित्सा शिक्षा विभाग तक पहुंची
हिंसा का मामला सामने आने के बाद कॉलेज प्रबंधन ने इसकी विस्तृत रिपोर्ट चिकित्सा शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को भेज दी है। रिपोर्ट में घटना की पूरी टाइमलाइन, घायल छात्रों की स्थिति, आरोपियों की सूची और कॉलेज द्वारा की गई त्वरित कार्रवाई का उल्लेख है। इससे यह मामला अब राज्य स्तर पर निगरानी में आ गया है।
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रिपोर्ट में यह भी दर्ज है कि घटना में एमबीबीएस 2023 और 2024 बैच के कई छात्र प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से शामिल पाए गए। कॉलेज ने आपात बैठक बुलाकर प्रारंभिक जांच की और दोषी छात्रों को तत्काल निलंबित किया।
राज्य स्तर पर सख्त निगरानी की तैयारी
विभागीय अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि इस मामले की स्वतंत्र जांच पर विचार किया जा रहा है। संभव है कि एक राज्य स्तरीय समिति गठित की जाए, जो यह जांच करेगी कि कैंपस में एंटी रैगिंग गाइडलाइन्स का पालन किस हद तक किया जा रहा है। विभाग का मानना है कि मेडिकल कॉलेजों में इस तरह की घटनाएं शिक्षा प्रणाली की साख को नुकसान पहुंचाती हैं और इन्हें पूरी गंभीरता से रोकने की जरूरत है।
घटना की शुरुआत कैसे हुई
ईदगाह हिल्स में रहने वाले 22 वर्षीय पारस मरैया (मूल रूप से मुरार ग्वालियर निवासी) एमबीबीएस सेकंड ईयर का डे-स्कॉलर है। पारस के मुताबिक, बुधवार रात करीब 1 बजकर 15 मिनट पर वह अपने सीनियर युगीन चौधरी और बैचमेट निधि तोमर के साथ कैंटीन में मैगी खाने गया था। कैंटीन में मौजूद बैचमेट और हॉस्टलर पुष्पेंद्र सिंह ने फोन कर अपने साथियों को बुला लिया। थोड़ी देर में अजय ब्राह्मणे, शिवम महावर, देव रघुवंशी, विवेक मालवीय और अमन पांडे कैंटीन पहुंच गए और पारस को गालियां देना शुरू कर दिया।
पारस ने विरोध किया तो सभी ने उस पर हमला कर दिया। अमन वहां लोहे की रॉड लेकर लौटा और उसने पारस के सिर पर वार कर दिया। चोट लगते ही पारस लहूलुहान हो गया। बीच-बचाव करने आए सीनियर युगीन चौधरी पर भी रॉड से हमला किया गया। दोनों को लगातार पीटा गया और कैंटीन में मौजूद छात्रा निधि तोमर और छात्र तरुण ने किसी तरह विवाद को रोकने की कोशिश की।
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