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Bhopal SIR Update: टारगेट पूरा करने के चक्कर में 2.26 लाख नाम नो मैपिंग में डाले, चुनाव आयोग से पड़ी फटकार

भोपाल में SIR के दौरान 2.26 लाख वोटर नो-मैपिंग में डाल दिए गए थे। आयोग की फटकार के बाद 15 हजार नामों की रीचेकिंग शुरू, टीमें रात-दिन जांच में जुटीं।

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Wasif Khan
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Bhopal SIR: भोपाल में SIR (Special Integrated Revision) के दौरान बड़ी लापरवाही सामने आई है। टारगेट पूरा करने की जल्दबाजी में बीएलओ ने हजारों वोटरों के नाम बिना पुख्ता वजह के नो-मैपिंग में डाल दिए। मामला आयोग तक पहुंचा तो सख्त निर्देश जारी हुए और विभाग में हड़कंप मच गया। अब गलती सुधारने के लिए टीमें टेंट लगाकर रात-दिन स्क्रीनिंग कर रही हैं।

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नो-मैपिंग में 2.26 लाख नाम, फटकार के बाद 15 हजार की रीचेकिंग

जिले में 7 दिसंबर को नो-मैपिंग वाले वोटरों की संख्या 2 लाख 26 हजार 586 दर्ज की गई थी, जो कुल डेटा का लगभग 10.66 प्रतिशत बनती है। आयोग ने जब यह आंकड़ा देखा तो बीएलओ को तुरंत गलत प्रविष्टियां सुधारने को कहा। आदेश स्पष्ट था कि बिना ठोस कारण किसी भी नाम को नो-मैपिंग में न रखा जाए। इसके बाद बीएलओ ने तेज गति से काम करते हुए 15 हजार 311 नामों को रीचेकिंग में डाल दिया। अगले चार दिनों तक इन सभी एंट्री की दोबारा जांच होगी। जिन इलाकों से सबसे ज्यादा शिकायतें आईं, वहां फील्ड टीमें भेज दी गई हैं।

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डेटा को लेकर आयोग सख्त

आयोग पहले ही साफ कर चुका है कि गलत डेटा डालना गंभीर गलती मानी जाएगी और जिम्मेदार कर्मचारियों पर कार्रवाई हो सकती है। मंगलवार (9 दिसंबर) को संशोधन के बाद नो-मैपिंग वाले नाम घटकर 2 लाख 11 हजार 275 रह गए, जो अब कुल वोटरों का 9.94 प्रतिशत है। कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह के मुताबिक, जिले में अभी 2029 पोलिंग बूथ हैं और आयोग ने 260 नए बूथ की अनुमति दे दी है। जल्द ही कुल बूथ की संख्या 2289 हो जाएगी।

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गणना प्रपत्र से जुड़ी जरूरी बातें

SIR के दौरान गणना प्रपत्र ऑनलाइन जमा हुआ है या नहीं, इसकी जानकारी जल्द ECI ऐप और वेबसाइट पर उपलब्ध होगी। बीएलओ घर-घर जाकर भी इसकी पुष्टि करेंगे। जिन लोगों ने अब तक गणना प्रपत्र जमा नहीं किया है, वे 11 दिसंबर तक इसे दे सकते हैं। तय समय में प्रपत्र न देने पर नाम वोटर लिस्ट से हट सकता है और दोबारा जोड़ने के लिए फॉर्म-6 भरना पड़ेगा। दूसरे राज्यों से आने वाले लोगों को पहले अपने राज्य से नाम कटवाना होगा, फिर यहां फॉर्म-6 और जरूरी दस्तावेज देकर नाम जुड़वाया जाएगा। गणना प्रपत्र भरना हर वोटरके लिए अनिवार्य रखा गया है।

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नाम कट जाए, या ड्राफ्ट लिस्ट में न आए तो क्या करें? जाने पूरी डिटेल...

जिन लोगों के नाम SIR डिजिटलाइजेशन में कट चुके हैं या कटने वाले हैं, उनका क्या होगा?
अगर आपका नाम वोटर लिस्ट से हट गया है या हटने की श्रेणी में आ गया है, तो इसका मतलब है कि आपका रिकॉर्ड या तो गलत मिला, अधूरा था, या पुराने डेटा से मैच नहीं हुआ। लेकिन इससे आपका मताधिकार खत्म नहीं होता। आपको दोबारा दस्तावेज जमा करके अपना नाम सूची में जोड़ने का मौका मिलेगा। प्रशासन ऐसे सभी मतदाताओं को सुनवाई का अवसर देता है।
जिनका फॉर्म भरने का समय खत्म हो चुका है, वे अब कैसे सत्यापन कराएंगे?
अगर समय निकल चुका है, तब भी विकल्प बंद नहीं हुए हैं। आप अपने क्षेत्र के बूथ-लेवल ऑफिसर (BLO) या इलेक्शन ऑफिस (ERO) से संपर्क करके फॉर्म-6 जमा कर सकते हैं। BLO आपके दस्तावेजों के आधार पर आपका एड्रेस और पहचान सत्यापित कर सकते हैं। यानी प्रक्रिया खत्म नहीं होती, केवल अतिरिक्त समय और दस्तावेज की जरूरत होती है।
जिनका नाम ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में नहीं आएगा, क्या वे खुद से दोबारा ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं?
हां, बिल्कुल कर सकते हैं। ड्राफ्ट लिस्ट में नाम न आने का मतलब केवल यह है कि आपकी प्रविष्टि अभी स्वीकार नहीं हुई। आप स्वयं नया आवेदन ऑनलाइन जमा कर सकते हैं। इसके लिए आपको नए मतदाता पंजीकरण वाला फॉर्म-6 भरना होगा।
ऑनलाइन आवेदन कैसे करें? पूरी प्रक्रिया क्या है?
ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया सीधी है। राष्ट्रीय मतदाता सेवा पोर्टल (NVSP) nvsp.in पर जाएं। Register as new user पर क्लिक करें और मोबाइल नंबर से लॉगिन बनाएं। Form 6- New Voter Registration चुनें। अपनी जन्मतिथि, पता, पहचान प्रमाण और निवास प्रमाण अपलोड करें। फॉर्म सबमिट कर दें। सबमिशन के बाद BLO आपके पते पर आकर सत्यापन करेगा। सत्यापन ठीक मिलने पर आपका नाम दोबारा मतदाता सूची में जुड़ जाएगा।
अगर किसी मतदाता का डेटा ‘No Mapping’ में गया है, उसका क्या होगा?
No Mapping का मतलब यह है कि आपका पुराना रिकॉर्ड डिजिटल डॉक्यूमेंट से मैच नहीं हुआ। ऐसे मतदाताओं को 50 दिन तक सुनवाई का समय मिलेगा। इस दौरान, आप दस्तावेज जमा करके अपने नाम का सत्यापन करा सकते हैं। BLO/ERO आपकी उपस्थिति, पता और पहचान जांचेंगे। अगर दस्तावेज मिल जाते हैं, तो नाम सूची में बना रहेगा। यदि दस्तावेज उपलब्ध नहीं होते, तो नाम काटा जा सकता है। लेकिन बाद में भी आप फॉर्म-6 से नाम जुड़वा सकते हैं।

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मध्यप्रदेश की मंदसौर पुलिस का काला कारनामा सामने आया है। यहां की पुलिस पर 12वीं क्लास के टॉपर छात्र को बस से उठाकर NDPS एक्ट के तहत अफीम तस्करी के केस में फंसाने का आरोप है। इंदौर हाईकोर्ट बेंच ने मंगलवार, 9 दिसंबर को सुनवाई की। इस दौरान मंदसौर एसपी विनोद कुमार मीणा कोर्ट में पेश हुए और स्वीकार किया कि युवक को पकड़ने वाली पुलिस टीम मल्हारगढ़ थाने की ही थी। उन्होंने कोर्ट को यह भी बताया कि मामले में निर्धारित जांच प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। इसके चलते पूरी खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें।

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