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Bhopal GMC Controversy Update:भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज में रैगिंग और हिंसा से जुड़ा मामला थमने के बजाय और उलझता जा रहा है। 4 दिसंबर की देर रात कैंटीन परिसर में हुए हमले के बाद कॉलेज की एंटी रैगिंग कमेटी और पुलिस, दोनों ने अपनी कार्रवाई तेज कर दी है। शिकायत में जिन छात्रों के नाम दर्ज हैं, उन सभी सीनियर्स और बैचमेट्स को नोटिस जारी हो चुके हैं। दूसरी तरफ FIR वापस लेने की बातचीत ने विवाद को और गहरा दिया है। बता दें, कैंटीन विवाद के बाद कॉलेज प्रबंधन ने 15 एमबीबीएस छात्रों को सस्पेंड किया था।
बयान दर्ज करने की तैयारी
सोमवार (8 दिसंबर) को GMC भोपाल की एंटी रैगिंग कमेटी की बैठक हुई। इसमें सेकेंड ईयर छात्र पारस मरैया की शिकायत के आधार पर चिन्हित सीनियर और बैचमेट छात्रों को नोटिस जारी कर दिए गए। कमेटी ने तय किया है कि मंगलवार (9 दिसंबर) को सभी छात्रों को बुलाकर उनके बयान ऑन रिकॉर्ड दर्ज किए जाएंगे। इस पूरी प्रक्रिया की रिपोर्ट बनाकर एंटी रैगिंग सेल को भेजी जाएगी, जिससे आगे की कार्रवाई तय होगी।
उधर, पुलिस ने FIR दर्ज होने के बाद पारस का मेडिकल लीगल केस (MLC) भी तैयार कर लिया है। बुधवार (10 दिसंबर) को पुलिस आरोपी छात्रों को नोटिस देकर बयान दर्ज करेगी। पुलिस और कमेटी दोनों के स्तर पर जांच शुरू होने के कारण नए खुलासों की आशंका है।
क्या है पूरा मामला
घटना सुधा अमृत कैंटीन के सामने 4 दिसंबर की रात लगभग 1:15 बजे की है। सेकेंड ईयर के डे-कॉलर छात्र पारस मरैया अपने सीनियर युगीन चौधरी और बैचमेट निधि तोमर के साथ वहां गया था। इसी दौरान उसके बैचमेट और हॉस्टल में रहने वाले पुष्पेंद्र सिंह ने फोन करके अन्य छात्रों को बुला लिया। थोड़ी ही देर में अजय ब्राह्मणे, शिवम महावर, देव रघुवंशी, विवेक मालवीय और अमन पांडे मौके पर पहुंच गए।
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पहुंचते ही उन्होंने पारस पर अभद्र भाषा का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया और विरोध करते ही उस पर हमला कर दिया। इसी दौरान अमन लोहे की रॉड लेकर आया और पारस के सिर पर जोरदार वार किया, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया और उसके सिर से खून बहने लगा। पारस को बचाने की कोशिश करते हुए सीनियर युगीन चौधरी भी हमले की चपेट में आ गए। आरोप है कि हमलावरों ने युगीन पर भी रॉड और मुक्कों से वार किए।
घटना के दौरान मौजूद छात्रा निधि तोमर और छात्र तरुण ने बीच-बचाव किया और किसी तरह दोनों को मौके से दूर ले गए, जिससे मामला और बिगड़ने से बच गया।
FIR वापस लेने की चर्चा
घटना के बाद एक नई स्थिति सामने आई है। मामले से जुड़े कुछ छात्र अपने परिजन के साथ डीन ऑफिस पहुंचे और FIR वापस लेने की दिशा में बात की। कहा जा रहा है कि वे नहीं चाहते कि किसी छात्र के करियर पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़े। हालांकि, पारस मरैया की ओर से अभी तक FIR वापस लेने पर कोई अंतिम सहमति नहीं दी गई है। कॉलेज प्रबंधन इन चर्चाओं के बीच बैकफुट पर दिखाई दे रहा है, वहीं पुलिस और एंटी रैगिंग कमेटी अपने स्तर पर जांच को आगे बढ़ा रही है।
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