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Bhopal ED Raid Update: भोपाल में प्रवर्तन निदेशालय ने भारतीय खाद्य निगम के सहायक ग्रेड-1 किशोर मीणा के खिलाफ की गई कार्रवाई को आगे बढ़ाते हुए उनकी करोड़ों की संपत्तियों को जब्त कर लिया है। ईडी ने यह कदम मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत उठाया। मीणा के खिलाफ दर्ज अभियोजन शिकायत पर विशेष पीएमएलए (धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002) कोर्ट ने संज्ञान लेने के बाद जब्ती की प्रक्रिया शुरू हुई।
सीबीआई की एफआईआर से शुरू हुआ मामला
मामले की शुरुआत सीबीआई द्वारा दर्ज एफआईआर से हुई, जब किशोर मीणा एफसीआई भोपाल में सहायक ग्रेड-1 के पद पर कार्यरत थे। उन पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत 4.05 करोड़ रुपए की आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का आरोप लगा।
ईडी की जांच में खुलासा हुआ कि मीणा ने अपने अवैध धन में से 95 लाख रुपए एक बिल्डर को 24 प्रतिशत सालाना ब्याज पर उधार दिए थे। बिल्डर ने यह राशि लौटाते हुए 27.50 लाख रुपए सीबीआई के पास जमा कराए, जबकि 67.50 लाख रुपए सीधे मीणा के एचडीएफसी बैंक खाते में जमा किए। इस बैंक खाते पर ईडी ने 7 फरवरी 2024 को लियन (Lien) लगा दिया।
सीबीआई कोर्ट ने पाया दोषी
23 अक्टूबर 2024 को विशेष सीबीआई कोर्ट ने किशोर मीणा को लोक सेवक के रूप में अनुपातहीन संपत्ति रखने का दोषी करार दिया और उनकी संपत्ति जब्त करने का आदेश दिया। कोर्ट के आदेश के तहत ईडी ने कुल 3,29,49,140 रुपए की राशि जब्त की, जिसमें मीणा की व्यक्तिगत संपत्ति से मिली रकम, बिल्डर द्वारा जमा की गई 27.50 लाख रुपए और एचडीएफसी बैंक खाते में पड़े 67.50 लाख रुपए शामिल हैं। ईडी के अनुसार यह कार्रवाई अवैध कमाई के प्रवाह को रोकने के लिए की गई है और आगे की जांच अभी जारी है।
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मई 2021 में की गई थी शिकायत
27 मई 2021 को सीबीआई को संदीप कपूर सिक्योरिटीज के फील्ड मैनेजर शिवदयाल द्विवेदी की शिकायत मिली थी, जिसमें एफसीआई भोपाल के अधिकारियों पर लंबित बिलों की मंजूरी के लिए रिश्वत मांगने का आरोप लगाया गया। जांच के दौरान जब मीणा की तलाशी ली गई तो उनके पास 60,840 रुपए नकद मिले। बाद में घर की तलाशी में लगभग 3 करोड़ रुपए की नकदी, 387 ग्राम सोना, 670 ग्राम चांदी और संपत्तियों के कई दस्तावेज बरामद हुए। इन सभी साक्ष्यों के आधार पर जांच एजेंसियों ने माना कि किशोर मीणा ने पद का दुरुपयोग कर अवैध संपत्ति जुटाई।
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मध्यप्रदेश हाईकोर्ट (MP High Court) ने पश्चिम क्षेत्र बिजली कंपनी में क्लास-3 और क्लास-4 पदों की भर्ती परीक्षा (MP Electricity Company Recruitment Exam) से जुड़ी याचिकाओं पर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने परीक्षा में पूछे गए सवाल नंबर 16 और 25 के गलत अंकन को लेकर दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए परीक्षा आयोजक को आपत्तियों का विशेषज्ञों से पुनः परीक्षण कराने के निर्देश दिए हैं। जस्टिस दीपक खोत की एकलपीठ ने एमपी ऑनलाइन को आदेश दिया है कि याचिकाकर्ताओं की आपत्तियों का विशेषज्ञों के माध्यम से परीक्षण कराया जाए। कोर्ट ने कहा है कि यदि जरूरी हो तो मॉडल आंसर की को भी संशोधित किया जाए। इस प्रोसेस के पूरा होने तकपूरी खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें।
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