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(रिपोर्ट- पंकज श्रीवास्तव, गुना)
Guna Delivery In Bus: गुना जिले से एक ऐसी घटना सामने आई है, जिसने एक साथ इंसानियत और अमानवीयता दोनों के चेहरे दिखा दिए। सोमवार-मंगलवार (21-22 दिसंबर) की दरमियानी रात चलती बस में एक गरीब महिला ने बच्चे को जन्म दिया। वक्त पर पहुंची 108 एंबुलेंस सेवा ने मां और नवजात की जान बचाई, लेकिन उसी बस के कर्मचारियों ने हालात का फायदा उठाकर परिवार को और मुसीबत में डाल दिया।
गुजरात से यूपी लौट रहा था पूरा परिवार
राघवेंद्र परिहार पिछले करीब दस वर्षों से गुजरात में पानी पुरी का ठेला लगाकर परिवार का पेट पाल रहे हैं। वह अपनी 9 माह की गर्भवती पत्नी नेहा परिहार (24), दो छोटी बेटियों यशिका (3) और रितिका (2) तथा मां मालती के साथ गुजरात के लाठीपुरा, जिला आनंदपुर से उत्तर प्रदेश के उरई जा रहे थे। यात्रा के लिए उन्होंने घोसी ब्रदर्स की प्राइवेट स्लीपर कोच बस (UP-78 CT 3798) पकड़ी थी।
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रात करीब 3 बजे, जब बस आगरा-मुंबई नेशनल हाईवे 46 पर गुना जिले के पटाई क्षेत्र में पहुंची, तभी नेहा परिहार को अचानक तेज लेबर पेन होने लगा। बस में मौजूद परिवार पूरी तरह घबरा गया। हालात को देखते हुए पति राघवेंद्र ने बिना देर किए 108 एंबुलेंस सेवा पर कॉल किया।
सिर्फ 10 मिनट में पहुंची 108
कॉल मिलते ही केंट क्षेत्र में तैनात 108 एंबुलेंस मात्र 10 मिनट के भीतर मौके पर पहुंच गई। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए एंबुलेंस में तैनात ईएमटी अमित कुमार वर्मा और पायलट संतोष कुमार ने बिना समय गंवाए बस के अंदर ही डिलीवरी कराने का फैसला लिया। यह फैसला आसान नहीं था।
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बस के अंदर सुरक्षित डिलीवरी
ईएमटी अमित वर्मा की सूझबूझ और अनुभव के चलते बस के अंदर ही सुरक्षित प्रसव कराया गया। नेहा परिहार ने एक स्वस्थ बेटे को जन्म दिया। डिलीवरी के बाद मां और बच्चा दोनों पूरी तरह सुरक्षित पाए गए। 108 एंबुलेंस टीम ने संवेदनशीलता और जिम्मेदारी के साथ काम किया।
जहां इंसानियत दिखी, वहीं शर्मनाक चेहरा भी आया सामने
एक ओर 108 एंबुलेंस सेवा जीवन रक्षक बनकर सामने आई, वहीं दूसरी ओर घोसी ब्रदर्स की बस के स्टाफ का अमानवीय रवैया उजागर हो गया। डिलीवरी के तुरंत बाद बस कर्मचारियों ने महिला के पति राघवेंद्र से बदतमीजी शुरू कर दी। उनसे कहा गया कि बस की सीट बदलनी पड़ेगी और इसके लिए 6000 रुपये देने होंगे।
गरीब परिवार से वसूले गए 2500 रुपये
राघवेंद्र की मजबूरी का फायदा उठाते हुए बस स्टाफ ने गाड़ी साफ कराने के नाम पर 2500 रुपये वसूल लिए। परिवार का आरोप है कि जब उन्होंने पैसे देने में असमर्थता जताई, तो कर्मचारियों ने मारपीट पर उतर आने की कोशिश की। हालत यह हो गई कि अब उनके पास उत्तर प्रदेश के उरई पहुंचने तक के पैसे भी नहीं बचे। राघवेंद्र परिहार खुद पानी पुरी का ठेला लगाकर जैसे-तैसे परिवार चला रहे हैं।
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