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Sukma News: नक्सली सोनू दादा ने संघर्ष विराम व सरेंडर की जताई इच्छा, MP-CG-महाराष्ट्र CM के नाम पत्र किया जारी

सुकमा से वायरल पत्र में माओवादी संगठन ने तीन राज्यों के मुख्यमंत्रियों से सुरक्षा अभियान रोकने और फरवरी तक सरेंडर का समय मांगा है। पत्र में पीएलजीए सप्ताह रद्द करने और हथियार छोड़ने की बात कही गई है।

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Shashank Kumar
Sukma News

माओवादी प्रवक्ता अनंत का पत्र वायरल, सोनू दादा ने संघर्ष विराम व सरेंडर की इच्छा जताई

Sukma Newsछत्तीसगढ़ के सुकमा में नक्सल मोर्चे से एक बड़ा और चौंकाने वाला घटनाक्रम सामने आया है। माओवादी संगठन (Maoist Organisation) की महाराष्ट्र–मध्यप्रदेश–छत्तीसगढ़ स्पेशल जोनल कमेटी (MMC Zone) के नाम से जारी एक कथित पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है।

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पत्र में प्रवक्ता अनंत ने दावा किया है कि माओवादी नेतृत्व तीनों राज्यों- छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र से सुरक्षा बलों के ऑपरेशन रोकने (cease operations) का निवेदन कर रहा है। हालांकि इस पत्र की आधिकारिक पुष्टि अभी तक नहीं हुई है, लेकिन इसके सामने आने के बाद सुरक्षा एजेंसियों (Security Agencies) में हलचल तेज हो गई है।

सोनू दादा ने हथियार छोड़ने का दिया संकेत

Moists Letter
Moists Letter

वायरल पत्र में यह दावा किया गया है कि माओवादी संगठन के केंद्रीय समिति (Central Committee) और पोलित ब्यूरो सदस्य सोनू दादा ने तत्काल प्रभाव से हथियार त्याग कर अस्थायी संघर्ष विराम (temporary ceasefire) की घोषणा का निर्णय लिया है।

प्रवक्ता के मुताबिक, संगठन चाहता है कि सरकारें उन्हें 15 फरवरी 2026 तक का समय दें ताकि यह संदेश जमीनी स्तर पर सभी साथियों तक पहुंच सके। यह समयसीमा सरकार की माओवाद समाप्ति की निर्धारित डेडलाइन 31 मार्च 2026 के भीतर ही आती है।

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संगठन ने यह भी कहा कि वह राज्य सरकारों की रीहैबिलिटेशन पॉलिसी (Rehabilitation Policy) को स्वीकार करने के लिए तैयार है और बातचीत (dialogue process) के लिए सकारात्मक माहौल बनाना चाहता है।

PLGA सप्ताह रद्द करने का भी आश्वासन

पत्र में लिखा है कि इस बार PLGA Week नहीं मनाया जाएगा- यह संगठन के भीतर बड़े बदलाव का संकेत माना जा रहा है। यह आश्वासन सुरक्षा एजेंसियों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि PLGA सप्ताह (26 नवंबर–2 दिसंबर) के दौरान सामान्यत: नक्सल गतिविधियों में वृद्धि दर्ज की जाती है।

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सरकार से ‘सकारात्मक प्रतिक्रिया’ की उम्मीद जताई

वायरल विज्ञप्ति में साफ कहा गया है कि संघर्ष विराम का उद्देश्य बातचीत आगे बढ़ाना और जनता से जुड़े मुद्दों पर समाधान तलाशना है। पत्र में लिखा है कि यदि सरकारें सकारात्मक माहौल नहीं बनातीं, तो संगठन “अपना मार्ग स्वयं तय करेगा।”

विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह पत्र वास्तविक है, तो यह पिछले एक दशक में नक्सल आंदोलन के सबसे बड़े बदलावों में से एक माना जाएगा। छत्तीसगढ़ में लगातार बढ़ रहे सुरक्षा बलों के दबाव, सड़क- इंफ्रास्ट्रक्चर विस्तार और कम होती जनसमर्थन ने माओवादी संरचना को कमजोर किया है।

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सुरक्षा एजेंसियों ने बढ़ाई सतर्कता

हालांकि पत्र सोशल मीडिया पर तेजी से फैल रहा है, लेकिन पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों ने अभी इसकी ऑथेंटिसिटी (authenticity) की पुष्टि नहीं की है। छत्तीसगढ़ पुलिस सूत्रों का कहना है कि पत्र के हर पहलू की जांच की जा रही है, क्योंकि कई बार नक्सल संगठन भ्रम फैलाने के लिए मनोवैज्ञानिक रणनीति अपनाते हैं। फिलहाल सुकमा, बीजापुर, दंतेवाड़ा, नारायणपुर और बस्तर में सुरक्षा व्यवस्था और भी सख्त कर दी गई है।

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