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Railway Group D Bharti
Railway Group D Bharti: दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में ग्रुप D की नौकरी का इंतज़ार कर रहे 100 से अधिक अभ्यर्थियों के लिए बिलासपुर हाईकोर्ट (Bilaspur High Court) का फैसला उम्मीद की किरण बनकर आया है। बिलासपुर हाईकोर्ट ने रेलवे की सभी याचिकाएं खारिज करते हुए साफ कहा है कि वैध रूप से तैयार किए गए चयन पैनल को यूं ही नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।
इस फैसले से उन उम्मीदवारों को राहत मिली है, जिन्होंने 2010 की अधिसूचना के तहत रेलवे ग्रुप D की भर्ती (Railway Group D Vacancy) के लिए आवेदन किया था और वर्षों से नियुक्ति का इंतजार कर रहे थे।
HC- योग्य उम्मीदवार नियुक्ति पाने का हकदार
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जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद की डबल बेंच ने अपने विस्तृत आदेश में कहा कि किसी भी चयन पैनल में शामिल उम्मीदवार को नियुक्ति का ‘निहित अधिकार’ (Right to Appointment) भले न हो, लेकिन वह उचित, निष्पक्ष और कानूनी विचार पाने का पूरा हकदार है। अदालत ने टिप्पणी की कि रेलवे जैसे बड़े संस्थान द्वारा चयन पैनल को मनमाने ढंग से दरकिनार करना न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है।
रेलवे ने अपनी याचिका में दावा किया था कि चयन पैनल में शामिल होने भर से किसी उम्मीदवार को नियुक्ति का अधिकार नहीं मिल जाता। लेकिन हाईकोर्ट ने यह तर्क खारिज करते हुए कहा कि जब योग्य उम्मीदवार मेरिट पर हो और पद खाली भी हों, तो नियुक्ति को ठोस कारणों के बिना नकारा नहीं जा सकता।
विवाद की जड़ 2010 की रेलवे ग्रुप D अधिसूचना
रेलवे भर्ती बोर्ड (RRB Bilaspur) ने 15 दिसंबर 2010 को दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के लिए ग्रुप D पदों की भर्ती की अधिसूचना (Railway Group D Notification) जारी की थी। इसके बाद लंबे समय तक भर्ती नहीं हुई, जिस पर नाराज अभ्यर्थियों ने मामला केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (CAT) में प्रस्तुत किया।
CAT ने 6 मार्च 2024 के फैसले में रेलवे को यह निर्देश दिया था कि वह 2008 की अधिसूचना के तहत रिप्लेसमेंट कोटा (Replacement Quota) में उपलब्ध रिक्तियों की जांच करे और पद खाली पाए जाने पर योग्य अभ्यर्थियों को नियुक्ति देने पर विचार करे। रेलवे इस आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंचा था। लेकिन अब हाईकोर्ट ने सभी याचिकाएं खारिज कर दी हैं, जिससे अभ्यर्थियों की उम्मीद फिर से जाग उठी है।
हाईकोर्ट ने रेलवे को दिया आदेश
अदालत ने रेलवे को स्पष्ट निर्देश दिया है कि उच्च स्तरीय अधिकारी की अध्यक्षता में तत्काल ऑडिट प्रक्रिया शुरू की जाए। यह जांच की जाए कि:
2010 की भर्ती में कितने पद स्वीकृत थे,
कितने पद भरे नहीं गए, और
कितने पद रिप्लेसमेंट/वेटिंग लिस्ट से भरे जा सकते हैं।
कोर्ट ने आदेश दिया कि यह ऑडिट पूर्णतः निष्पक्ष, पारदर्शी और तथ्यात्मक होना चाहिए। साथ ही यह भी कहा गया कि योग्य उम्मीदवारों को और देरी न हो, इसलिए रेलवे यह पूरी प्रक्रिया चार महीने के भीतर पूरी करे।
इस महत्वपूर्ण फैसले के बाद ग्रुप D अभ्यर्थियों में खुशी का माहौल है। एक दशक से अधिक समय से भर्ती की प्रतीक्षा कर रहे उम्मीदवार अब रिप्लेसमेंट कोटा (Replacement Quota Recruitment) के तहत अपनी नियुक्ति की राह देख सकते हैं।
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