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Bilaspur High Court:छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने राज्य की जेलों की भयावह भीड़भाड़ और वेलफेयर अधिकारियों की कमी को लेकर गहरी चिंता जताई है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बी.डी. गुरु की डिवीजन बेंच ने सोमवार को सुनवाई के दौरान राज्य सरकार और जेल महानिदेशक को स्पष्ट निर्देश दिए कि जेल व्यवस्थाओं को सुधारने के लिए तत्काल कदम उठाए जाएं। कोर्ट का रुख बेहद सख्त नजर आया, क्योंकि जेलों में कैदियों की संख्या क्षमता से 40% से अधिक (CG Jail Overcrowding issue) है, जो सुरक्षा और स्वास्थ्य दोनों के लिए गंभीर खतरा है।
20 जिला जेलों में नए वेलफेयर ऑफिसर होंगे नियुक्त
सरकार की तरफ से पेश जवाब में बताया गया कि जेल सुधार प्रक्रिया को मजबूत किया जा रहा है और जल्द ही वेलफेयर ऑफिसर की भर्ती (CGPSC recruitment) प्रक्रिया शुरू होगी। इसके लिए CGPSC के माध्यम से परीक्षा आयोजित की जाएगी।
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जवाब में यह भी जानकारी दी गई कि पहले वेलफेयर ऑफिसर और प्रोबेशन ऑफिसर दो अलग-अलग पद थे, लेकिन अब इन्हें एकीकृत कर प्रोबेशन एंड वेलफेयर ऑफिसर नाम से एक ही पद बनाया गया है। इस पद की नियुक्ति के लिए राज्य की 20 जिला जेलों में 20 नए पद सृजित किए जाने का प्रस्ताव भेजा गया है, जिसे वित्तीय वर्ष 2026-27 के मुख्य बजट में शामिल किया जाएगा।
सरकार ने यह भी बताया कि छत्तीसगढ़ जेल नॉन-गजटेड-III मिनिस्टीरियल और नॉन-मिनिस्टीरियल सर्विस रूल्स 2022 में आवश्यक संशोधन किए गए हैं, ताकि भर्ती प्रक्रिया और पद संरचना स्पष्ट और आधुनिक हो सके।
‘मॉडल प्रिजन मैनुअल 2016’ का पालन नहीं
याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को बताया गया कि राज्य में नई जेल बिल्डिंग का निर्माण बिना Model Prison Manual 2016 के प्रावधानों का पालन किए किया जा रहा है, जबकि यह मैनुअल कैदियों की सुरक्षा, अधिकारों और पुनर्वास से जुड़ी महत्वपूर्ण व्यवस्था निर्धारित करता है। (Model Prison Manual)
कोर्ट ने इस मुद्दे को बेहद गंभीर मानते हुए स्पष्ट कहा कि नई जेलों के निर्माण और संचालन में मैनुअल का पालन अनिवार्य रूप से किया जाना चाहिए। इसके साथ ही अदालत ने DGP, Prisons & Correctional Services को विस्तृत शपथपत्र दाखिल करने का निर्देश दिया है। अब मामले की अगली सुनवाई मार्च 2026 में निर्धारित की गई है।
जेलों में 40% अधिक कैदी
सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने राज्य की जेलों में बेहद चिंताजनक स्थिति का उल्लेख किया। कोर्ट को बताया गया कि 33 जेलों की कुल क्षमता 14,883 कैदियों की है, लेकिन वर्तमान में उनमें 21,335 कैदी बंद हैं, जो क्षमता से लगभग 40% अधिक है।
भीड़भाड़ कम करने के लिए कई जिलों में नए बैरक बनाए जा रहे हैं। सरकार ने कहा कि बेमेतरा जिले में नई जेल का निर्माण पूरा कर लिया गया है, और अन्य जिलों में भी निर्माण तेजी से चल रहा है।
लेकिन अदालत का कहना था कि सिर्फ नई इमारतों से समस्या हल नहीं होगी। हर जेल में वेलफेयर ऑफिसर की नियुक्ति और कैदियों को न्यूनतम मानक सुविधाएं देना equally जरूरी है, क्योंकि यह कैदियों के अधिकारों और जेल प्रशासन दोनों की सुरक्षा से जुड़ा हुआ है।
सुरक्षा और स्वास्थ्य पर मंडरा रहा खतरा
कोर्ट को बताया गया कि छत्तीसगढ़ की मौजूदा जेलें, जिनकी संयुक्त क्षमता लगभग 15,000 कैदियों की है, उनमें 20,500 से अधिक कैदी बंद हैं। यह स्थिति न केवल भीड़भाड़ बढ़ा रही है, बल्कि भीतर हिंसा, बीमारी फैलने, और कैदियों व जेल कर्मियों दोनों की सुरक्षा पर बड़ा खतरा (prison health concerns) पैदा कर रही है।
सरकार ने आश्वस्त किया कि कई नई जेलें निर्माणाधीन हैं और पुराने ढांचे का विस्तार भी किया जा रहा है। लेकिन अदालत का जोर इस बात पर रहा कि जब तक वेलफेयर ऑफिसर, काउंसिलर, मनोवैज्ञानिक, और पर्याप्त स्टाफ नहीं होगा, तब तक सुधार अधूरा रहेगा।
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