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हाइलाइट्स
- रायपुर दक्षिण विधायक सुनील सोनी को फोन पर धमकी
- पहलगाम हमले में नंबर ट्रेस होने की बात कही
- विधायक को अज्ञात नंबर से आया ठगों का फोन
CG News: रायपुर दक्षिण के विधायक सुनील सोनी को बुधवार की शाम एक कॉल आया जिसमें कॉलर ने खुद को इंटेलिजेंस ब्यूरो (Intelligence Bureau) का अधिकारी बताया। उसने दावा किया कि सोनी का नंबर हाल-हाल में कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की जांच में ट्रेस हुआ है और उसी नंबर से कई कॉल्स आ चुकी हैं।
कॉलर ने सोनी से पूछताछ के लिए IB कार्यालय आने को कहा। जब विधायक ने अपना परिचय व स्थिति स्पष्ट की, तो कॉलर सहमत नहीं हुआ और दबाव बनाने की कोशिश की। कॉल कटने के बाद सोनी ने तत्काल रायपुर साइबर थाना व एसएसपी लाल उमेद सिंह को सूचना दी। उन निर्देशों पर विधायक ने पूरे घटनाक्रम को लिखित में साइबर सेल के अफसर मित्तल को भेजा। अब साइबर पुलिस मामले की जांच कर रही है।
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— Bansal News Digital (@BansalNews_) November 21, 2025
क्या है ‘डिजिटल अरेस्ट’ कहलाने वाला स्कैम?
वास्तव में “डिजिटल अरेस्ट” नामक कोई आधिकारिक कानूनी प्रक्रिया भारत में नहीं है। इस तरह का स्कैम (scam) साइबर अपराधियों द्वारा निम्न तरीके से किया जाता है— वे खुद को पुलिस अधिकारी, साइबर सेल एजेंट या अन्य सरकारी एजेंसी का सदस्य बताकर कॉल करते हैं। फिर दावा करते हैं कि आपके खिलाफ अश्लील वीडियो, मनी लॉन्ड्रिंग, ड्रग्स या अन्य गंभीर मुकदमें दर्ज हैं। डराने-धमकाने के लिए वे वीडियो कॉल पर फेक पुलिस आईडी, वॉरंट या कोर्ट का आदेश दिखाते हैं। इसके बाद डर के कारण व्यक्ति से मोटी रकम वसूलने की कोशिश होती है, यह रकम लाखों से लेकर करोड़ों तक जा सकती है।
भारतीय कानून में गिरफ्तारी के लिए ठोस प्रक्रिया, न्यायालय आदेश व पुलिस जांच अनिवार्य है। कोई भी एजेंसी सिर्फ कॉल या मैसेज के माध्यम से “डिजिटल अरेस्ट” नहीं कर सकती। यही वजह है कि इस तरह की धमकी सिर्फ एक फ्रॉड (fraud) है, जिसे गंभीरता से लेना चाहिए।

इस घटना का राजनीतिक-साइबर परिप्रेक्ष्य
विधायक सुनील सोनी की यह शिकायत (Chhattisgarh Fraud Case) इस बात की ओर संकेत है कि साइबर अपराध सिर्फ आम नागरिकों तक सीमित नहीं बल्कि राजनैतिक हस्तियों को भी निशाना बना रहा है। छत्तीसगढ़ में साइबर फ्रॉड की संख्या पहले से ही चिंताजनक है। राज्य में जनवरी 2023 से जून 2025 के बीच राष्ट्रीय साइबरक्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल में 67,389 शिकायतें दर्ज हुईं। ऐसे माहौल में जब साइबर सुरक्षा की चुनौतियाँ बढ़ती जा रही हैं, इस तरह की धमकी कॉल राजनीतिक सुरक्षा, डिजिटल सुरक्षा व लोक-विश्वास के लिहाज से बेहद चिंतनीय है।
स्थानीय प्रशासन एवं पुलिस के लिए भी यह एक चेतावनी है कि साइबर सेल-थानों, विशेषज्ञों व जागरूकता अभियानों को और सुदृढ़ करना होगा ताकि इस तरह के फ्रॉड से जनता व पदाधिकारियों को सुरक्षित रखा जा सके।
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क्या करें अगर आपको भी ऐसा कॉल मिले?
- किसी नाम, एजेंसी या गिरफ्तारी की धमकी देने वाले कॉलर की बात में तुरंत आमंत्रित न हों।
- कॉल पर किसी बैंक खाते, वॉलेट या व्यक्तिगत जानकारी न दें।
- कॉल रिकॉर्ड रखें, कॉल आए नम्बर का स्क्रीनशॉट लें।
- स्थानीय साइबर थाना या पुलिस कंट्रोल रूम में तुरंत शिकायत दर्ज करें।
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