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Hidma death controversy: बस्तर (Bastar) क्षेत्र में वर्षों से सक्रिय मोस्ट वांटेड नक्सली कमांडर मांडवी हिड़मा (Hidma Naxal) की मौत को लेकर अब नया विवाद खड़ा हो गया है। नक्सलियों की केंद्रीय कमेटी (Central Committee) के प्रवक्ता अभय (Abhay) ने प्रेस नोट (press note) जारी करते हुए इस पूरी कार्रवाई को "फर्जी मुठभेड़" (fake encounter) करार दिया है।
अभय का दावा है कि हिड़मा इलाज कराने के लिए विजयवाड़ा (Vijayawada) गया था, जहां उसे सुरक्षा एजेंसियों ने पकड़ लिया। प्रेस नोट में कहा गया कि एजेंसियां उसे जीवित सरेंडर (surrender) कराना चाहती थीं, लेकिन प्रयास असफल होने पर हिड़मा और उसके साथ मौजूद छह अन्य नक्सलियों की हत्या कर दी गई।
नक्सलियों का आरोप- 'नेतृत्व को खत्म करने की बड़ी रणनीति'
नक्सलियों की केंद्रीय कमेटी का कहना है कि यह घटना एक सामान्य ऑपरेशन नहीं बल्कि संगठन के शीर्ष नेतृत्व को खत्म करने की सुविचारित योजना है। उन्होंने सुरक्षा बलों पर मानवाधिकार उल्लंघन (human rights violation) का आरोप लगाया है और जनता से 23 नवंबर को "प्रतिरोध दिवस" (Protest Day) मनाने की अपील की है।
प्रवक्ता अभय ने बयान में कहा कि हिड़मा की मौत न सिर्फ संगठन पर हमला है बल्कि बस्तर के आदिवासी आंदोलन को कमजोर करने की रणनीति भी है।
सुरक्षा एजेंसियों ने आरोपों को बताया भ्रम फैलाने की कोशिश
दूसरी ओर सुरक्षा एजेंसियों ने नक्सलियों के आरोपों को पूरी तरह निराधार, राजनीतिक और भ्रामक बताया है। अधिकारियों का कहना है कि हिड़मा की मौत जिस ऑपरेशन (operation) में हुई, वह पूरी तरह वैधानिक (legal) और साक्ष्यों के आधार पर चलाया गया था।
सुरक्षा अधिकारियों ने कहा कि नक्सली संगठन अपने नेतृत्व की कमजोर होती पकड़ और लगातार हो रही नुकसानों को छुपाने के लिए ऐसे आरोप लगा रहा है, ताकि सहानुभूति और समर्थन जुटाया जा सके।
23 नवंबर को प्रतिरोध दिवस की घोषणा के बाद बस्तर में सुरक्षा कड़ी
हिड़मा संगठन के सबसे आक्रामक और रणनीतिक कमांडरों में से एक माना जाता था। उसकी मौत के बाद से ही बस्तर संभाग में सुरक्षा अलर्ट (security alert) पहले से बढ़ा हुआ है।
नक्सलियों द्वारा 23 नवंबर को देशव्यापी प्रतिरोध दिवस की घोषणा के बाद संवेदनशील जिलों सुकमा (Sukma), दंतेवाड़ा (Dantewada), बीजापुर (Bijapur) और पड़ोसी राज्यों के सीमावर्ती इलाकों में सुरक्षा और कड़ी कर दी गई है।
पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों ने जंगलों, सड़कों और चौकियों पर निगरानी बढ़ा दी है। ड्रोन, वायरलेस और लॉन्ग रेंज पेट्रोलिंग टीमों को सक्रिय किया गया है ताकि किसी भी संभावित हमले या आंदोलन को रोका जा सके।
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