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Ambikapur NH-43 Road Scam
Ambikapur NH-43 Road Scam: छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले के अंबिकापुर में राष्ट्रीय राजमार्ग-43 की मरम्मत ने सरकारी दावों और जमीनी हकीकत के बीच का फर्क उजागर कर दिया है। शहर के सदर रोड इलाके में रातों-रात बनाई गई सड़क सुबह होते-होते उखड़ गई।
हालात इतने बदतर थे कि नगर निगम के सफाईकर्मियों को बेलचा चलाकर नई सड़क की परत उखाड़नी पड़ी और उसे कचरा गाड़ी में भरकर हटाना पड़ा। यह दृश्य अब सोशल मीडिया पर वायरल (Viral Video) होकर विभाग और ठेकेदार की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है।
6 करोड़ की मरम्मत, कुछ घंटों में उखड़ी परत
जानकारी के मुताबिक, NH-43 पर चल रहा पैच रिपेयरिंग कार्य करीब 6 करोड़ रुपये की लागत से कराया जा रहा है। शनिवार रात सड़क पर डामर की नई परत बिछाई गई थी, लेकिन रविवार सुबह स्थानीय लोगों ने देखा कि सड़क की ऊपरी परत गिट्टी और डामर के रूप में बिखर चुकी है। नई बनी सड़क महीनों पुरानी और जर्जर सड़क (Ambikapur Road Scam) जैसी नजर आने लगी, जिससे काम की गुणवत्ता पर सवाल उठने लगे।
बेलचा और ट्रैक्टर से “सड़क की सफाई”
सबसे चौंकाने वाला नजारा तब सामने आया, जब नगर निगम के कर्मचारी बेलचा लेकर मौके पर पहुंचे और उखड़ी सड़क को कचरे की तरह ट्रैक्टर में भरकर ले गए। लोगों ने इसे “सड़क की सफाई” बताया। मौके के वीडियो और तस्वीरें सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही हैं, जिन्हें देखकर लोग हैरान हैं कि करोड़ों की सड़क कचरे में कैसे बदल गई।
ठंड में काम, नियमों की अनदेखी का आरोप
स्थानीय नागरिकों और सड़क निर्माण से जुड़े जानकारों का कहना है कि मरम्मत कार्य में तकनीकी मानकों की अनदेखी की गई। इन दिनों अंबिकापुर में रात का तापमान 5 से 6 डिग्री सेल्सियस तक गिर रहा है, जबकि नियमों के अनुसार 10 डिग्री से कम तापमान में डामरीकरण का काम नहीं किया जाना चाहिए। ठंड के कारण बिटुमेन और गिट्टी का मिश्रण ठीक से नहीं जम पाया, जिससे सड़क की परत पपड़ी की तरह निकलने लगी।
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जल्दबाजी में लीपापोती की कोशिश?
सड़क उखड़ने के बाद विभाग और ठेकेदार की ओर से जल्दबाजी में कार्रवाई करने के आरोप भी लग रहे हैं। लोगों का कहना है कि उखड़े मटेरियल को हटाने के बाद उसी ठंडे डामर को दोबारा गड्ढों में भरकर सड़क को ठीक दिखाने की कोशिश की गई, जो नियमों के पूरी तरह खिलाफ है। इससे लोगों का गुस्सा और भड़क गया।
जनता में आक्रोश, जांच और कार्रवाई की मांग
स्थानीय निवासियों का कहना है कि यह जनता के टैक्स के पैसों की खुली बर्बादी है। रविवार को दफ्तर बंद होने के कारण जिम्मेदार अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचे और उनसे संपर्क करने की कोशिश भी बेकार रही। लोगों ने मांग की है कि पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच हो और घटिया काम के लिए जिम्मेदार अधिकारियों व ठेकेदार पर सख्त कार्रवाई की जाए। अब सवाल यह है कि वायरल वीडियो के बाद भी सिस्टम जागेगा या यह मामला भी फाइलों में दबकर रह जाएगा।
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