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UP 69000 Teacher Recruitment: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 69 हजार सहायक अध्यापक भर्ती से जुड़े एक अहम मामले (Allahabad High Court Order ) में चार शिक्षकों को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने भर्ती प्रक्रिया में अंकों से संबंधित विसंगतियों के आधार पर की गई उनकी सेवा समाप्ति के आदेश को रद्द करते हुए उन्हें दोबारा सेवा में बहाल करने का निर्देश दिया है। साथ ही, बेसिक शिक्षा विभाग को इन शिक्षकों के प्रति सहानुभूतिपूर्ण रवैया अपनाने को कहा है। यह फैसला उन शिक्षकों के लिए राहत लेकर आया है जिनकी सेवाएं कथित अनियमितताओं के चलते समाप्त कर दी गई थीं।
यह आदेश न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान ने सहायक अध्यापक (Assistant Teacher Service Restored) भर्ती परीक्षा 2019 से संबंधित दो याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिया। याचिकाकर्ताओं ने अपनी सेवा समाप्ति को चुनौती दी थी। सेवा समाप्ति का आधार यह था कि आवेदन पत्र में उन्होंने अपने वास्तविक शैक्षणिक अंकों की तुलना में अधिक अंक दर्शाए थे, जिसके आधार पर उनका चयन हुआ था।
इन अभ्यर्थियों को नहीं मिलेगी राहत
कोर्ट ने अपने निर्णय में स्पष्ट किया कि यदि किसी अभ्यर्थी ने जानबूझकर अंकों में हेरफेर कर अनुचित लाभ लेने का प्रयास किया है, तो उसे किसी भी प्रकार की राहत नहीं दी जा सकती। लेकिन जहां सद्भावनापूर्ण भूल हो या ऐसी त्रुटि हो जिससे अभ्यर्थी को कोई लाभ न मिला हो, वहां सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण अपनाया जाना चाहिए। अदालत ने शीर्ष न्यायालय और उच्च न्यायालयों के पूर्व निर्णयों का हवाला देते हुए लाभदायक और नुकसानदायक स्थिति के बीच स्पष्ट अंतर भी बताया। UP Teacher Recruitment News
4 शिक्षकों को सेवा बहाल का आदेश
रिकॉर्ड के अवलोकन के बाद कोर्ट ने पाया कि प्रीति, मनीष कुमार माहौर, रिंकू सिंह और स्वीटी शौकीन के मामलों में अंकों को लेकर हुई विसंगति जानबूझकर लाभ लेने के उद्देश्य से नहीं थी। कुछ मामलों में विश्वविद्यालय द्वारा संशोधित मार्कशीट जारी होने से अंकों में बदलाव हुआ, जबकि अन्य मामलों में ऐसी त्रुटि थी जिससे याचियों को कोई अनुचित लाभ नहीं मिला। इन परिस्थितियों में कोर्ट ने उनकी सेवाएं बहाल करने का आदेश दिया। High Court Teacher Recruitment Case
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किसी भी तरह की धोखाधड़ी मंजूर नहीं
हालांकि, अन्य याचियों के मामलों में कोर्ट ने पाया कि उन्होंने आवेदन पत्र में जानबूझकर वास्तविक अंकों से अधिक अंक दर्शाए, जिससे उनकी मेरिट सूची में स्थिति प्रभावित हुई और उन्हें अनुचित लाभ मिला। अदालत ने इसे गंभीर आचरण बताते हुए कहा कि धोखाधड़ी किसी भी प्रक्रिया को दूषित कर देती है और ऐसे मामलों में राहत संभव नहीं है।
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