BHOPAL: आपने देखा होगा की भारत में पोर्न मूवीज बैन हैं। इन मूवीज को बिना वीपीएन और अन्य तकनीकी तरीकों का उपयोग किये बिना एक्सेस नहीं किया जा सकता है। ऐसे में सवाल खड़ा होता है। फिर कैसे कई लोग पोर्न मूवीज देख रहे होते हैं।और अगर देख रहे होते हैं तो क्या यह कानूनी है?और अगर कानूनी नहीं है तो उन्हें सजा क्यों नहीं होती है?या फिर देख रहे हैं तो क्या उन्हें सजा हो सकती है?ऐसे तमाम सवाल आपके सामने खड़े हो जाते होंगे।आज हम आपके हर सवाल का जवाब इस आलेख के माध्यम से देने की कोशिश करेंगे और उम्मीद है कि आपके सभी सवालों के जवाब इस आलेख में मिल जायेंगे।Porn is legal or illegal
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पोर्नोग्राफी संबंधित भारतीय कानून
सबसे पहले उन भारतीय कानूनों को जान लेते हैं जो भारत में मुख्य रूप से पोर्नोग्राफी को कवर करते हैं।भारतीय कानून में, तीन अधिनियम मुख्य रूप से पोर्नोग्राफी के विषय को कवर करते हैं। और ये कानून हैं। सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम, 2000,भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), 1860,यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम, 2012
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पोर्न देखना अवैध नहीं है?
भारत में इस संबंध में कोई स्पष्ट तौर पर कोई कानूनी बात नहीं लिखी गई है। लेकिन भारत के संविधान का अनुच्छेद-21(जीवन का अधिकार) भारत के नागरिकों को जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार देता है।वहीं भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 2015 में मौखिक रूप से टिप्पणी की थी कि निजी कमरे में पोर्न देखना व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार के अंतर्गत आ सकता है। इसलिए इसे कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया से ही बंद किया जा सकता है।इसलिए जब तक आप अपने निजी स्थान पर पोर्न फिल्में देख रहे हैं, यह पूरी तरह से कानूनी है।
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संग्रहण में मिल सकती है सजा
जैसा कि आलेेख में उपर कानून बताए गए हैं।उनके मुताबिक ऐसी अश्लील सामग्री देखना या संग्रहित करना जो कि बाल पोर्नोग्राफ़ी या महिलाओं के खिलाफ बलात्कार या हिंसा को दर्शाती है, एक अपराध है, भले ही इसे निजी स्थान पर देखा जा रहा हो। यानि सरल शब्दों में कहें तो,अगर आप बच्चों से संबंधित पोर्न मूवीज देख रहे हैं या फिर आप ऐसी पोर्न मूवीज देख रहे हैं। जिनमें महिलाओं से रेप का दृश्यों का चित्रांकन है। तो यह पूरी तरह से कानूनी तौर पर अपराध है।और पकडे़ जाने पर आप को ऊपर दिये गए कानूनों के तहत कठोर से कठोर सजा हो सकती है।भले ही आप इसे अकेले में ही क्यों न कर रहे हों।
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भारत में पोर्न बैन कब-कब हुआ
जैसा कि हम जानते हैं कि हमें भारत के संविधान में भाग-3 में अनुच्छेद 12 से 35 तक मूल अधिकार दिए गए हैं।लेकिन आपको जानकारी होनी चाहिए कि भारत में कोई भी मौलिक अधिकार पूर्ण प्रकृति का नहीं है।सरल शब्दों में कहें तो हमारे संविधान का हर अधिकार उचित प्रतिबंधों के साथ आता है।और सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि, ‘नैतिकता और शालीनता’ एक ऐसा आधार है जिसके तहत किसी व्यक्ति के मौलिक अधिकार के प्रयोग को प्रतिबंधित किया जा सकता है।
उसी आधार पर जब बीजेपी की सरकार आई तो सरकार ने2015 में भारत में अश्लील सामग्री पर प्रतिबंध लगा दिया जो असफल रहा, और फिर से वर्ष 2018 में भी बन लगाया गया।
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तो सवाल पोर्न पर प्रतिबंध है तो इसे निजी तौर पर देखना कानूनी कैसे ?
इस सवाल का जवाब थोड़ा कानूनी दांवपेंच से निकलकर आता है।इसे ऐसे समझिये कि सरकार ने पोर्न बैन किया और अब इसकी जिम्मेदारी इंटरनेट प्रोवाइड़र कंपनी की है कि वो अपनी सेवा से पोर्न सेवाओं को स्थगित करे न कि नागरिक या यूजर की इसलिए यदि कोई वयस्क नागरिक VPN जैसे उपकरणों का उपयोग करके अश्लील वेबसाइटों तक पहुंचने का कोई तरीका ढूंढता है तो यह सेवा प्रदाता कि जिम्मेदारी है न कि नागरिक की।अब दूसरी बात भारत में पोर्न पर बैन लगाने के पीछे सरकार का प्रमुख उद्देश्य चाइल्ड पोर्नोग्राफी और ऐसे पोर्नोग्राफी जिसमें महिलाओं के खिलाफ हिंसा को दर्शाया गया है को समाप्त करना था।यानि कि कोई व्यक्ति अगर चाइल्ड पोर्नोग्राफी या ऐसा पोर्न नहीं देख रहे हैं जो महिलाओं के खिलाफ हिंसा दिखाता है तो वह कानूनन सुरक्षित हैं। लेकिन स्मरण रहे कि अगर इन शर्तों का उल्लंघन किया गया तो आप कानूनी रूप से सजा के हकदार हैं।
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चाइल्ड पोर्नोग्राफी के कानून
युवा मन पर पोर्न के प्रतिकूल प्रभाव को देखते हुए बाल पोर्नोग्राफी पर राष्ट्रीय कानूनों को कड़ा किया गया है।POCSO अधिनियम की धारा 14 में एक बच्चे या बच्चों का अश्लील उद्देश्यों के लिए उपयोग करने के लिए सख्त दंड के साथ अपराध है। इसी अधिनियम की धारा 15 चाइल्ड पोर्नोग्राफी को स्टोर करना या अपने पास रखना अपराध बनाती है।वहीं आईटी अधिनियम की धारा 67बी इलेक्ट्रॉनिक रूप में स्पष्ट यौन कृत्यों में बच्चों का चित्रण करने वाली सामग्री को प्रकाशित करने या प्रसारित करने के लिए भी सख्त दंड देती है।
अंतत: यह कहा जा सकता है कि भारत में पोर्न बैन के मोटा-माटी कुछ खास उद्देश्य हैं जैसे कि युवाओं को पोर्न से दूर रखना,चाइल्ड पोर्न पर पूरी तरह से बैन लगाना,और अपने देश में पोर्न से उपजी महिलाओं के खिलाफ हिंसा को पूरी तरह समाप्त करना ।विदित हो कि पोर्न के समर्थक हमेंसा कहते है कि ये हमारी निजता का उल्लंघन है ऐसे में सवाल ये है कि सरकार ने आपको किसी भी तरीके से पोर्न न देखने के लिए पाबंद तो नहीं किया लेकिन इन सरकारी कदमों से बच्चों और महिलाओं को सुरक्षा मिलती है तो किसी को क्या आपत्ति।
तो कानूनविदों के अनुसार निष्कर्ष ये निकलकर आता है कि पोर्न देखना तब तक अपराध नहीं है जब तक कि यह एकांत से हटकर न किया जा रहा हो और यह बच्चों और महिलाओं की यौन हिंसा से संबंधित न हो।और हां 18 वर्ष से पहले पॉर्न देखना गैरकानूनी है।
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