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Air Purifier Buying Guide: आज के समय में बढ़ते वायु प्रदूषण (Air Pollution) और स्मॉग की वजह से साफ हवा की जरूरत पहले से कहीं ज्यादा महसूस की जा रही है। खासकर शहरों में रहने वाले लोगों के लिए घर और ऑफिस में शुद्ध हवा बनाए रखना एक बड़ी चुनौती बन गया है। ऐसे में एयर प्यूरीफायर (Air Purifier) अब सिर्फ सुविधा नहीं बल्कि सेहत से जुड़ी जरूरत बन चुका है। लेकिन बाजार में मौजूद हर एयर प्यूरीफायर हर घर या हर स्थिति के लिए सही नहीं होता। खरीदने से पहले इसके तकनीकी पहलुओं और जरूरत के अनुसार चयन करना जरूरी है।
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कमरे के साइज के अनुसार कैपेसिटी चुनें
एयर प्यूरीफायर लेते समय सबसे पहले उसकी क्षमता यानी CADR (Clean Air Delivery Rate) पर ध्यान देना जरूरी होता है। CADR यह बताता है कि मशीन कितनी तेजी से किसी कमरे की हवा को साफ कर सकती है। अगर कमरे का साइज बड़ा है और मशीन की CADR कम है, तो हवा पूरी तरह से शुद्ध नहीं हो पाएगी। इसी तरह छोटे कमरे में ज्यादा क्षमता वाला प्यूरीफायर लेने से बिजली की खपत बढ़ सकती है। इसलिए बेडरूम, लिविंग रूम या ऑफिस के एरिया के हिसाब से CADR का चुनाव करना जरूरी माना जाता है।
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फिल्टर का रखें विशेष ध्यान
एयर प्यूरीफायर की प्रभावशीलता उसकी तकनीक और फिल्टर पर निर्भर करती है। HEPA फिल्टर (High Efficiency Particulate Air) धूल, स्मॉग और एलर्जी पैदा करने वाले बेहद बारीक कणों को हटाने में सक्षम होता है। वहीं एक्टिव कार्बन फिल्टर (Active Carbon Filter) धुएं, बदबू और गैसों को कम करने में मदद करता है। कुछ मॉडल्स में UV लाइट (Ultra Violet Light) तकनीक भी होती है, जो बैक्टीरिया और कीटाणुओं को खत्म करने में सहायक मानी जाती है। अगर आप अधिक प्रदूषित शहर में रहते हैं या घर में स्मोकिंग होती है, तो HEPA फिल्टर वाला एयर प्यूरीफायर बेहतर विकल्प माना जाता है।
खरीदने से पहले नॉइस लेवल जरूर जांचे
एयर प्यूरीफायर का नॉइस लेवल (Noise Level) भी एक अहम पहलू है। बेडरूम या ऑफिस जैसी शांत जगहों पर ज्यादा आवाज करने वाली मशीन परेशानी का कारण बन सकती है। इसलिए कम डेसिबल (Decibel) वाला मॉडल चुनना बेहतर रहता है। इसके साथ ही मशीन का रोजाना इस्तेमाल कितना आसान है, यह भी देखना जरूरी होता है। टच कंट्रोल, ऑटो मोड (Auto Mode) और एयर क्वालिटी इंडिकेटर जैसे फीचर्स उपयोग को सरल बनाते हैं।
फिल्टर की लाइफ और मेंटेनेंस खर्च को न करें नजरअंदाज
एयर प्यूरीफायर खरीदते समय फिल्टर की लाइफ और मेंटेनेंस खर्च को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। कुछ फिल्टर हर छह महीने में बदलने पड़ते हैं, जबकि कुछ की लाइफ ज्यादा होती है। इसके अलावा कई नए मॉडल स्मार्ट कनेक्टिविटी (Smart Connectivity), मोबाइल ऐप (Mobile App) और वॉइस कंट्रोल (Voice Control) जैसे फीचर्स के साथ आते हैं, जिससे मशीन को दूर से भी कंट्रोल किया जा सकता है। सही जानकारी के साथ चुना गया एयर प्यूरीफायर न सिर्फ हवा की क्वालिटी सुधारता है, बल्कि एलर्जी, अस्थमा और सांस से जुड़ी समस्याओं के खतरे को भी कम करता है।
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