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Ram Mandir Donation Case: राम मंदिर का चंदा लिए जाने को लेकर लगी एक जनहित याचिका के मामले में पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) गुरुवार, 27 नवंबर को इंदौर हाईकोर्ट में पेश हुए। उन्होंने अपने केस में खुद बहस की। सुनवाई से पहले दूसरे पक्ष की दलील पर लाइव स्ट्रीमिंग बंद करने के अनुरोध पर दिग्वजिय सिंह ने भी सहमति दी।
दिग्विजय ने कहा- यहां राजनीतिक लाभ के लिए आया
दूसरे पक्ष के एडवोकेट मनीष गुप्ता ने कहा, दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) एक राजनीतिक व्यक्ति हैं। इसलिए वे इस सुनवाई की लाइव स्ट्रीम का फायदा राजनीति में उठा सकते हैं। इस पर दिग्विजय सिंह ने जबाव दिया कि 45 साल से राजनीति में हूं। यहां राजनीतिक लाभ के लिए नहीं आया हूं, आप चाहें तो लाइव स्ट्रीमिंग बंद करा सकते हैं। जिसे कोर्ट ने भी मान लिया और लाइव स्ट्रीमिंग बंद करा दी गई। इसके बाद पूरी सुनवाई बिना लाइव स्ट्रीमिंग के हुई।
महाधिवक्ता ने कहा- दिग्विजय सिंह पर 12 FIR
शासन की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता ने दलील दी कि दिग्विजय सिंह के खिलाफ हाल ही में 12 एफआईआर दर्ज हुई हैं, इसलिए उन्हें ऐसी जनहित याचिका दायर करने का अधिकार नहीं है। केस में देपालपुर मामले में जांच कराने और अधिकारी नियुक्त करने का दावा भी किया गया।
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दिग्विजय ने कहा- मॉब लिंचिंग मामलों की जांच की कराई जाए
इस पर दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) ने सुप्रीम कोर्ट की SOP का हवाला दिया और कहा कि मॉब लिंचिंग मामलों की जिम्मेदारी एसपी स्तर के अफसर पर तय होनी चाहिए, एक थाना नामित हो और सीसीटीवी फुटेज से तुरंत गिरफ्तारी हो, लेकिन प्रदेश में न तो एक भी पुलिसकर्मी सस्पेंड हुआ, न कोई गिरफ्तारी हुई। शासन ने की ओर से कहा गया, दिग्विजय सिंह बिना तथ्यों की जानकारी बहस कर रहे हैं। सिंह ने जवाब दिया कि सभी घटनाओं की स्टेटस रिपोर्ट मंगाई जाए। हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को सुनकर फैसला सुरक्षित रख लिया।
महाधिवक्ता ने कहा- दिग्विजय सिंह के खिलाफ 12 FIR
शासन की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता ने दलील दी कि दिग्विजय सिंह के खिलाफ हाल ही में 12 एफआईआर दर्ज हुई हैं, इसलिए उन्हें ऐसी जनहित याचिका दायर करने का अधिकार नहीं है। केस में देपालपुर मामले में जांच कराने और अधिकारी नियुक्त करने का दावा भी किया गया।
दिग्विजय ने कहा- मॉब लिंचिंग मामलों की जांच कराई जाए
इस पर दिग्विजय सिंह ने सुप्रीम कोर्ट की SOP का हवाला दिया और कहा कि मॉब लिंचिंग मामलों की जिम्मेदारी एसपी स्तर के अफसर पर तय होनी चाहिए, एक थाना नामित हो और सीसीटीवी फुटेज से तुरंत गिरफ्तारी हो, लेकिन प्रदेश में न तो एक भी पुलिसकर्मी सस्पेंड हुआ, न कोई गिरफ्तारी हुई। शासन ने की ओर से कहा गया, दिग्विजय सिंह बिना तथ्यों की जानकारी बहस कर रहे हैं। सिंह ने जवाब दिया कि सभी घटनाओं की स्टेटस रिपोर्ट मंगाई जाए। हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को सुनकर फैसला सुरक्षित रख लिया।
इससे पहले 10 नवंबर को हुई सुनवाई के दौरान एडवोकेट रवींद्र छाबड़ा ने कोर्ट से आग्रह किया था कि केस को लेकर सिंह भी कुछ तथ्य कोर्ट के सामने रखना चाहते हैं। इस पर कोर्ट ने आज (27 नवंबर 2025) तारीख तय की थी।
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आधा घंटे चली सुनवाई, सिंह ने खुद रखा पक्ष
मामले में दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) की ओर से एडवोकेट रवींद्र छाबड़ा और एडवोकेट अमन अरोरा पैरवी कर रहे हैं। लेकिन गुरुवार को करीब आधे घंटे चली सुनवाई के दौरान सिंह ने अपना पक्ष खुद रखा। उन्होंने तहसीन पूनावाला केस का भी जिक्र किया।
सिंह ने कहा, हम राम मंदिर निर्माण ( Ram Mandir News) के पवित्र काम का समर्थन करते हैं, लेकिन यह फंड कलेक्शन स्वैच्छिक होना चाहिए। दान देने के लिए अल्पसंख्यक वर्ग पर दबाव नहीं बनाना चाहिए और ना धमकाना चाहिए। दान देने की आड़ में कुछ संगठनों ने अल्पसंख्यक वर्ग को टारगेट किया।
उन्होंने कहा, धन संग्रह रैलियों के दौरान आयोजकों ने सुनियोजित तरीके से हिंसा फैलाने का काम किया। इसकी शिकायतें अधिकारियों को की गईं, वहां भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। शासन को भी अवगत कराया। जब कुछ नहीं हुआ तो याचिका दायर की।
सिंह ने कहा, श्री राम मंदिर ( Ram Mandir News) के लिए दान संग्रह किया गया। इसकी आड़ में इंदौर, उज्जैन व मंदसौर में साम्प्रदायिक हिंसा की घटनाएं हुईं।
हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा
हाईकोर्ट ने सभी पक्ष सुनने के बाद मामला हियर्ड एंड रिजर्व में रख लिया है। सिंह की याचिका में मप्र शासन, पीएस गृह विभाग, डीजीपी के साथ ही इंदौर, उज्जैन, मंदसौर कलेक्टर और एसपी को भी पक्षकार बनाया है।
सिंह की हाईकोर्ट से अपील, पुलिस-प्रशासन 4 बिंदुओं का पालन करे
पूर्व सीएम और याचिकाकर्ता दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) ने इंदौर के चंदनखेड़ी में 2020 में हुए विवाद का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि पूर्व विधायक मनोज चौधरी के नेतृत्व में तलवार, स्टिक व अन्य हथियार लेकर कुछ लोग निकले। यहां अल्पसंख्यकों पर हमले हुए लेकिन पुलिस और प्रशासन ने कुछ नहीं किया। इसके साथ ही
सिंह ने सुप्रीम कोर्ट के तीन फैसलों को लागू करने की मांग की। शासन का तर्क- सरकार सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का पालन कर रही है। जबाव में सिंह ने कहा कि सरकार ऐसे मामलों की स्टेटस रिपोर्ट जारी करे।
पहला- मॉब लिंचिंग और मॉब वायलेंस पर कड़ी कार्रवाई की अपील की।
दूसरा- धार्मिक रैलियों और जुलूसों के दौरान शांति बनाए रखने की मांग की। कई बार मस्जिदों के बाहर डीजे-माइक बजाए जाते हैं, पुलिस यहां मूक बनी खड़ी रहती है।
तीसरा- जिले में नोडल पुलिस अधिकारी और टास्क फोर्स बनाने की सलाह दी। इन अधिकारियों को इंटेलिजेंस जानकारी और हेट स्पीच पर निगरानी रखने का काम सौंपा जाए।
चौथा- ऐसे मामलों में जहां सरकार ने गाइडलाइन का पालन किया है, उसकी स्टेटस रिपोर्ट जारी की जाए या न्याय मित्र नियुक्त किया जाए।
2021 में लगाई थी जनहित याचिका
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) ने इंदौर हाईकोर्ट की डबल बेंच में 2021 में एक जनहित याचिका लगाई थी। उसमें कहा गया था कि राम मंदिर निर्माण को लेकर देशभर में जो चंदा एकत्रित किया जा रहा है। उसके कारण कई सांप्रदायिक घटनाएं भी देशभर में हो रही हैं।
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दिग्विजय सिंह ने भी भेजा था चंदा
यहां बता दें, 5 साल पहले दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) ने राम मंदिर निर्माण में योगदान के लिए श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को 1 लाख 11 हजार 111 रुपए का चेक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के माध्यम से भेजा था। साथ में एक पत्र भी भेजा था। जिसमें उन्होंने अपील की थी कि राम मंदिर के लिए देश में लोगों से चंदा एकत्रित करने का काम सौहार्दपूर्ण वातावरण में होना चाहिए। साथ ही विश्व हिंदू परिषद से पुराने चंदे का हिसाब मांगा था।
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