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MPRDC की कार्रवाई पर उठे सवाल।
Raisen Nayagaon Bridge Collapse Case: मध्यप्रदेश के रायसेन जिले के बरेली स्थित नयागांव पुल हादसे के बाद जांच तेज हो गई है, लेकिन मप्र रोड डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (MPRDC) की कार्रवाई खुद सवालों के घेरे में आ गई है। आरोप है कि विभाग ने गलती से उन अधिकारियों पर कार्रवाई कर दी जो घटना स्थल के लिए जिम्मेदार ही नहीं थे, जबकि जिन अफसरों के अधीन पुल का कार्यक्षेत्र था, उन्हें केवल नोटिस देकर छोड़ दिया गया।
इस गंभीर हादसे में MPRDC पर गलत अधिकारी पर कार्रवाई करने और वास्तविक जिम्मेदार को बचाने के आरोप लग रहे हैं। निलंबन आदेश से लेकर वरिष्ठ अफसरों के बयानों तक, हर कदम पर विरोधाभास सामने आ रहा है, जिससे पूरे मामले की पारदर्शिता पर सवाल खड़े हो गए हैं। इस हादसे में एक पूर्व CRPF जवान की मौत और चार लोगों के घायल होने से मामला और गंभीर हो गया है।
नयागांव पुल ढहने से पूर्व सैनिक की मौत
बता दें कि सोमवार को नयागांव के पास बना पुराना पुल अचानक भरभराकर ढह गया था, पुल गिरने के समय उसके ऊपर से गुजर रहे बाइक और स्कूटी वाहन नीचे जा गिरे थे, जिसमें पूर्व CRPF जवान देवेंद्र धाकड़ की मौत हुई थी, अन्य 4 लोग घायल हुए। सभी घायलों के सिर, हाथ और पैर में गंभीर चोटें आई हैं। पुल टूटने से पिपरिया-भोपाल हाईवे पर यातायात पूरी तरह ठप हो गया था। पुलिस प्रशासन ने तुरंत मोर्चा संभालते हुए सभी वाहनों को वैकल्पिक मार्ग से डायवर्ट किया।
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पुल हादसे में विभाग पर गंभीर आरोप
पुल ढहने के कुछ ही घंटों ने MPRDC ने लापरवाही के चलते बड़ी कार्रवाई करते हुए मैनेजर ए.ए. खान को सस्पेंड कर दिया। साथ ही तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की गई है। आदेश में लिखा गया कि “पुल उनकी देखरेख में बन रहा था।” लेकिन विवाद यहीं शुरू हुआ—क्योंकि खान इस पुल परियोजना के लिए जिम्मेदार ही नहीं थे।
मैनेजर ए.ए. खान भोपाल संभागीय कार्यालय में पदस्थ हैं और हादसे की शाम वे केवल वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर मदद के लिए घटनास्थल पर पहुंचे थे। इसके बावजूद उन्हें दोषी मानकर तत्काल सस्पेंड कर दिया गया। (MPRDC Action Controversy)
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असली जिम्मेदारी एजीएम को सिर्फ नोटिस
MPRDC पर गलत अधिकारी को सस्पेंड करने का आरोप लगने के बाद विवाद गहरा गया है। जांच में सामने आया कि वास्तविक रूप से पुल का पूरा कार्यक्षेत्र, बजट अनुमोदन और साइट मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी एडिशनल जनरल मैनेजर (AGM) विक्रम सिंह ठाकुर के पास थी।
उनके पदस्थापना आदेश में बरेली–पिपरिया रोड, स्टेट हाइवे 31 और 62 का स्पष्ट उल्लेख है। इसके बावजूद विक्रम सिंह को केवल शोकॉज नोटिस दिया गया, जबकि प्रथमदृष्टया जिम्मेदारी उन्हीं पर बनती थी।
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वरिष्ठ अफसरों के बयान में विरोधाभास
निलंबन आदेश जारी करने वाले मुख्य महाप्रबंधक प्रशासन प्रदीप जैन ने दावा किया— “खान मैनेजर हैं, इसलिए पहली जिम्मेदारी उनकी बनती है।” हालांकि यह तथ्यात्मक रूप से गलत निकला, क्योंकि पुल की देखरेख खान नहीं बल्कि विक्रम सिंह कर रहे थे। बाद में जैन ने सफाई देते हुए कहा कि “विक्रम सिंह को भी नोटिस दिया है।”
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MPRDC के MD बोले-जांच चल रही है
MPRDC की कार्रवाई पर उठे सवालों को लेकर कॉर्पोरेशन के प्रबंध संचालक भरत यादव ने कहा, “बाकी अधिकारियों को भी नोटिस दिए गए हैं। तीन सदस्यीय जांच समिति बनाई गई है, कार्रवाई जारी है।”
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