MP BLO Death: मध्य प्रदेश में चल रहे स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) अभियान के दौरान बूथ लेवल अफसरों (BLO) पर बढ़ते काम के दबाव और लगातार सामने आ रही मौत की खबरों ने कर्मचारियों के संगठन को गंभीर चिंता में डाल दिया है। इसी को देखते हुए तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के महामंत्री उमाशंकर तिवारी ने मुख्य चुनाव आयुक्त नई दिल्ली, मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी भोपाल और भोपाल जिला निर्वाचन अधिकारी को विस्तृत पत्र भेजकर मुआवजा और इलाज की व्यवस्था को लेकर औपचारिक मांग की है।
Advertisment
तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के महामंत्री उमाशंकर तिवारी द्वारा लिखा गया पत्र।
निर्वाचन कार्य के दौरान हो रही मौतों पर संघ ने उठाई आवाज
तिवारी ने अपने पत्र में उल्लेख किया कि SIR प्रक्रिया में सभी विभागों के कर्मचारियों को जोड़ा गया है और यह कार्य लगातार एक महीने तक चलता है। इस दौरान कुछ कर्मचारियों की मौत हो चुकी है, जबकि कई गंभीर बीमारियों का शिकार हो गए हैं। पत्र में कहा गया कि जैसे दो दिन की मतदान ड्यूटी के दौरान मृत्यु पर 10 अप्रैल 2019 के आदेश के अनुसार 15 लाख रुपए का प्रावधान है, उसी तरह SIR में लगे कर्मचारियों को भी उसी श्रेणी में शामिल किया जाए, क्योंकि काम का तनाव और जोखिम किसी भी रूप में कम नहीं है। संघ का तर्क है कि बीमार कर्मचारियों के इलाज का पूरा खर्च भी सरकार को उठाना चाहिए।
SIR के बीच लगातार बढ़ रही घटनाएं, चार बीएलओ की मौत
राज्य में SIR ड्यूटी के दौरान अब तक मध्य प्रदेश में चार बीएलओ की मौत हो चुकी है। रायसेन जिले में बीएलओ रमाकांत पांडे की मौत ने काम के बढ़ते दबाव पर कई सवाल खड़े कर दिए। परिवार के अनुसार वे लगातार कई दिनों तक नहीं सो पाए थे और ऑनलाइन मीटिंग के बाद अचानक बेहोश होकर गिर पड़े। उन्हें बचाया नहीं जा सका।
तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के महामंत्री उमाशंकर तिवारी।
दमोह के बीएलओ सीताराम गोंड भी फॉर्म भरते समय बीमार हुए और इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। रायसेन के बीएलओ नारायण सोनी छह दिन से लापता हैं। परिजनों का कहना है कि लगातार टारगेट, देर रात होने वाली मीटिंग और निलंबन की चेतावनी ने उन्हें मानसिक दबाव में डाल दिया था।
भोपाल में 22 नवंबर को ड्यूटी कर रहीं बीएलओ कीर्ति कौशल और मोहम्मद लईक को अचानक हार्ट अटैक आया। दोनों अस्पताल में भर्ती हैं। इससे पहले दमोह में 6 नवंबर को सड़क दुर्घटना में श्याम शर्मा की मौत हुई थी। दतिया में उदयभान सिहारे ने 11 नवंबर को तनाव के चलते आत्महत्या कर ली थी।
अगर चुनाव-ड्यूटी के दौरान किसी कर्मचारी की मौत हो जाए तो क्या उसके परिवार को मुआवजा मिलता है?
हां, मिलता है। चुनाव आयोग ने इस स्थिति के लिए स्पष्ट व्यवस्था बनाई है। यदि कोई शिक्षक, कर्मचारी, अधिकारी, पुलिसकर्मी या कोई भी चुनाव-ड्यूटी पर तैनात व्यक्ति ड्यूटी के दौरान मृत्यु का शिकार हो जाता है, तो उसके परिवार को Ex-Gratia Compensation दिया जाता है। अधिकांश राज्यों में यह राशि 15 लाख रुपए तय है और यह 10 अप्रैल 2019 के आदेश के आधार पर लागू है। इसका लाभ तभी मिलता है जब यह साबित हो कि व्यक्ति चुनाव-सम्बंधित कार्य में तैनात था और मृत्यु उसी अवधि के दौरान हुई। तैनाती आदेश, ड्यूटी प्रमाणपत्र और मृत्यु का कारण, ये सभी दस्तावेज इस प्रक्रिया में जरूरी होते हैं।
यदि चुनाव-ड्यूटी के दौरान कोई कर्मचारी गंभीर रूप से बीमार हो जाए या हार्ट अटैक, स्ट्रोक या किसी दुर्घटना का शिकार हो जाए, तो क्या उसका इलाज सरकार कराती है?
हां, सरकार इलाज का खर्च वहन कर सकती है, बशर्ते बीमारी या दुर्घटना ड्यूटी के दौरान या ड्यूटी-कनेक्टेड स्थिति में हुई हो। चुनाव आयोग के नियम Injury-Related Ex-Gratia को भी कवर करते हैं, जिसमें गंभीर बीमारी, मेडिकल इमरजेंसी, रोड एक्सीडेंट या अचानक स्वास्थ्य बिगड़ने जैसी स्थिति शामिल है। कर्मचारी को अस्पताल में भर्ती कराए जाने के बाद इलाज का प्राथमिक खर्च सरकारी स्तर पर वहन किया जा सकता है। कई राज्यों में इसके लिए जिला निर्वाचन अधिकारी (DEO) की अनुमति और मेडिकल रिपोर्ट जरूरी होती है।
अगर किसी कर्मचारी को चुनाव-ड्यूटी के दौरान चोट आए, स्थायी अपंगता हो जाए या वह लंबे समय तक अस्वस्थ हो जाए, तो क्या उसके लिए अलग प्रावधान हैं?
हां, इसके लिए भी अलग व्यवस्था है। चुनाव आयोग के दिशानिर्देशों के अनुसार चुनाव-ड्यूटी की वजह से अगर कोई कर्मचारी स्थाई चोट, आंशिक अपंगता या गंभीर स्वास्थ्य-हानि का शिकार हो जाता है, तो उसे Ex-Gratia सहायता दी जा सकती है। राशि राज्यों के अनुसार अलग-अलग होती है, लेकिन इसमें आमतौर पर दो श्रेणियां होती हैं- 1. स्थायी अपंगता होने पर अधिक राशि 2. आंशिक चिकित्सीय हानि या घायल होने पर कम राशि इस प्रक्रिया में मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट, ड्यूटी संबंधी प्रमाण और घटना का सत्यापन महत्वपूर्ण होता है।