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MP Nursing Admission 2025 Update: मध्यप्रदेश की हाईकोर्ट ने नर्सिंग छात्रों के हित में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है।
जबलपुर हाइकोर्ट ने प्रदेश में खाली पोस्ट बेसिक बीएससी (PB.B.Sc) और एमएससी (M.Sc) नर्सिंग सीटों को भरने के लिए काउंसलिंग के अंतिम दौर को आयोजित करने के निर्देश दिए हैं। जस्टिस विवेक रूसिया और जस्टिस प्रदीप मित्तल की खंडपीठ ने भारतीय नर्सिंग परिषद (INC) को इस संबंध में तत्काल औपचारिक अनुमति जारी करने का आदेश दिया है। इस आदेश से उन सैंकड़ों छात्रों को भविष्य संवारने का मौका मिलेगा, जो पहली काउंसलिंग में पसंदीदा कॉलेज नहीं पा सके थे।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बढ़ा मामला
यह याचिका रवि परमार समेत अन्य द्वारा दायर की गई थी। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने 2 दिसंबर 2025 को प्रदेश में खाली नर्सिंग सीटों को भरने के लिए एडमिशन की तारीख 31 दिसंबर 2025 तक बढ़ा दी थी। हालांकि, भारतीय नर्सिंग परिषद (INC) ने सिर्फ एएनएम, जीएनएम और बीएससी नर्सिंग के एडमिशन का ही अनुमति पत्र जारी किया था, जिससे पीबीएससी और एमएससी नर्सिंग के हजारों छात्र अधर में लटक गए थे।
अदालत में पेश हुए रिक्त सीटों के आंकड़े
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से उप महाधिवक्ता अभिजीत अवस्थी ने रिक्त सीटों का ब्यौरा पेश किया।
PB.B.Sc नर्सिंग: सरकारी कॉलेजों में 66 और निजी कॉलेजों में 3018 सीटें रिक्त हैं।
M.Sc नर्सिंग: सरकारी कॉलेजों में 70 और निजी कॉलेजों में 1120 सीटें रिक्त हैं।
दो सिलेबस काउंसलिंग बाहर नहीं रख सकते
कोर्ट ने माना कि जब सुप्रीम कोर्ट ने सीटों को भरने की अनुमति दी है, तो केवल तकनीकी कारणों से इन दो पाठ्यक्रमों को काउंसलिंग से बाहर नहीं रखा जा सकता। भारतीय नर्सिंग परिषद को 17 दिसंबर 2025 तक औपचारिक पत्र जारी करना होगा, ताकि काउंसलिंग प्रोसेस शुरू हो सके।
सात में से तीन याचिका खारिज कर दी
कोर्ट ने सात में से तीन याचिकाकर्ताओं की याचिका खारिज कर दी गई, क्योंकि वे प्रवेश परीक्षा में शामिल हुए थे लेकिन अयोग्य (Fail) घोषित किए गए थे। पूरी प्रोसेस और प्रवेश 31 दिसंबर 2025 तक अनिवार्य रूप से संपन्न करने होंगे।
ये कैंडिडेट्स काउंसलिंग में होंगे शामिल
कोर्ट ने आगे कहा कि काउंसलिंग में सिर्फ वही कैंडिडेट्स शामिल हो सकेंगे, जिन्होंने मध्यप्रदेश राज्य द्वारा आयोजित प्रवेश परीक्षा दी थी और जो INC के नियमों के तहत योग्य हैं।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह आदेश केवल मध्यप्रदेश राज्य के लिए प्रभावी है। यह उन सभी कैंडिडेट्स पर लागू होगा, जो सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित पात्रता मानदंडों को पूरा करते हैं।
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