Advertisment

NEET PG Councelling 2025: सुप्रीम कोर्ट ने नीट पीजी सीट आवंटन विवाद पर डीएमई से मांगा जवाब, एमपी के छात्रों को प्राथमिकता नहीं

मप्र नीट पीजी आवंटन विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने DME से दो हफ्ते में जवाब मांगा। छात्रों ने मेरिट, डोमिसाइल और कोटा नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाया।

author-image
Wasif Khan
neet pg mp (1)

NEET PG Councelling 2025: मध्यप्रदेश में नीट पीजी सीट आवंटन को लेकर उठा विवाद अब देश की सर्वोच्च अदालत तक पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट ने डायरेक्टोरेट ऑफ मेडिकल एजुकेशन यानी DME को नोटिस जारी करते हुए दो हफ्ते में विस्तृत जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। मुद्दा सीट अलॉटमेंट, मेरिट व्यवस्था और आरक्षण प्रावधानों में कथित गड़बड़ियों से जुड़ा है।

Advertisment

ये भी पढ़ें- MP Dowry Case: फेरों से पहले दूल्हे ने की 10 लाख की डिमांड, दहेज नहीं मिला तो मंडप से लौटी बारात, लड़की वालों ने हाइवे पर लगाया जाम

हाईकोर्ट के बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा

मामले की जड़ उस नए सीट चार्ट में बताई जा रही है, जिसे मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के निर्देश पर जारी किया गया था। आरोप है कि यह चार्ट नियमों के अनुरूप नहीं बनाया गया। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि नियम साफ तौर पर कहते हैं कि एमपी के मेडिकल कॉलेज से MBBS करने वाले उम्मीदवारों को पीजी सीट में प्राथमिकता मिलनी चाहिए, लेकिन इसके बजाय डोमिसाइल व्यवस्था हटाकर 50% सीटें ऑल इंडिया उम्मीदवारों के लिए खोल दी गईं। इससे प्रदेश के छात्रों के हिस्से की सीटें कम हुईं और उनका हक प्रभावित हुआ।

ये भी पढ़ें- MP Weather Update: एमपी में ठंड ने तोड़ा 84 साल का रिकॉर्ड, दिसंबर में और बढ़ेगी सर्दी, शीतलहर और बारिश का अलर्ट

Advertisment

एनआरआई और इन-सर्विस कोटे पर भी सवाल उठे

याचिकाकर्ता आकाश सोनी, डॉ. शौर्य सिंह चौहान और अन्य अभ्यर्थियों ने यह भी बताया कि NRI कोटा की सीटों को जस का तस रखा गया, जबकि इन सर्विस कोटे की सीटों को घटाकर 15% कर दिया गया। उनका तर्क है कि इन सर्विस सीटें घटने से प्रदेश में डॉक्टर्स की उपलब्धता पर असर पड़ेगा और ग्रामीण क्षेत्रों में सेवा देने वाले विशेषज्ञ कम पड़ जाएंगे।

ये भी पढ़ें- Jabalpur ITI Teacher: आईटीआई टीचर ने छात्र से की अभद्रता, कहा- जूते मारूंगा, NSUI ने की कार्रवाई की मांग

सुनवाई में उठी मेरिट प्राथमिकता की मांग

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं पक्ष के अधिवक्ता ने जोर देकर कहा कि मेरिट सूची में प्रदेश के छात्रों को प्राथमिकता देना जरूरी है। उनका कहना था कि दूसरे राज्यों से आने वाले उम्मीदवार अक्सर पीजी पूरा करने के बाद अपने गृह राज्य लौट जाते हैं, जबकि एमपी के छात्र बॉण्ड पोस्टिंग और सेवा अवधि तक राज्य में बने रहते हैं। इससे प्रदेश की हेल्थ सिस्टम को सीधा फायदा होता है।

Advertisment

ये भी पढ़ें- IAS Santosh Verma Controversy: एससी संगठनों में बढ़ी नाराजगी, संतोष वर्मा को सुरक्षा देने की मांग, 30 सेकंड के वीडियो क्लिप को बताया भ्रामक

supreme court jabalpur high court  news MP High Court News MP High Court News hindi NEET PG Councelling 2025
Advertisment
WhatsApp Icon चैनल से जुड़ें