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हाइलाइट्स
- अल- फलाह यूनिवर्सिटी के चेयरमैन को बड़ी राहत।
- फिलहाल नहीं चलेगा जवाद अहमद के घर पर बुलडोजर।
- दिल्ली ब्लास्ट से जुड़े विवाद के बीच हाईकोर्ट से राहत।
Jawad Ahmed Siddiqui Indore High Court Demolition Stay: दिल्ली कार धमाके से जुड़े विवाद के बीच अल-फलाह यूनिवर्सिटी के संस्थापक और चैयरमैन जवाद अहमद सिद्दीकी को इंदौर हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। अदालत ने जवाद अहमद के पैतृक मकान पर होने वाली बुलडोजर कार्रवाई को फिलहाल रोक दिया गया है। नोटिस में कई कानूनी खामियां सामने आने के बाद मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को 15 दिन का समय देते हुए कैंट बोर्ड की कार्रवाई पर अंतरिम स्टे दे दिया है। साथ ही कोर्ट ने विस्तृत जवाब दाखिल करने के लिए अतिरिक्त समय दिया है।
सिद्दीकी को इंदौर हाईकोर्ट से मिली राहत
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने शुक्रवार को अल-फलाह यूनिवर्सिटी के चेयरमैन जवाद अहमद सिद्दीकी के पिता हम्माद अहमद के पैतृक घर पर जारी कैंटोनमेंट बोर्ड की तोड़फोड़ कार्रवाई पर बड़ी राहत प्रदान की। यह मामला महू कैंटोनमेंट क्षेत्र के मुकेरी मोहल्ला स्थित चार मंजिला पुराने मकान से जुड़ा है, जिसे कैंट बोर्ड ने अवैध निर्माण बताते हुए तीन दिन के भीतर तोड़ने का नोटिस दिया था।
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सिद्दीकी को इंदौर हाईकोर्ट से मिली राहत
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने शुक्रवार को अल-फलाह यूनिवर्सिटी के चेयरमैन जवाद अहमद सिद्दीकी के पिता हम्माद अहमद के पैतृक घर पर जारी कैंटोनमेंट बोर्ड की तोड़फोड़ कार्रवाई पर बड़ी राहत प्रदान की। यह मामला महू कैंटोनमेंट क्षेत्र के मुकेरी मोहल्ला स्थित चार मंजिला पुराने मकान से जुड़ा है, जिसे कैंट बोर्ड ने अवैध निर्माण बताते हुए तीन दिन के भीतर तोड़ने का नोटिस दिया था।
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याचिकाकर्ता ने जताई नोटिस पर आपत्ति
मकान में रह रहे अब्दुल मजीद की ओर से दाखिल याचिका में कहा गया कि चार मंजिला मकान पहले हम्माद सिद्दीकी (जवाद सिद्दीकी के पिता) के नाम था। बाद में इसे विधिवत गिफ्ट डीड के माध्यम से अब्दुल मजीद को हस्तांतरित कर दिया गया। कैंट बोर्ड के नोटिस में यह नहीं बताया गया कि अवैध निर्माण किस हिस्से में है। केवल तीन दिन का समय देना कानून के खिलाफ है।
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SC गाइडलाइन का नहीं हुआ पालन
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अजय बगड़िया ने अदालत को बताया कि सुप्रीम कोर्ट के साल 2025 के निर्देशों के अनुसार तोड़फोड़ से पहले कम से कम 15 दिन का नोटिस जरूरी है। नोटिस न सिर्फ अस्पष्ट था बल्कि कानूनी आवश्यकताओं के अनुरूप भी नहीं था। 1996 और 1997 में भी ऐसे नोटिस जारी हुए थे, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई।
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हाईकोर्ट का फैसला, फिलहाल नहीं चलेगा बुलडोजर
इंदौर हाईकोर्ट की जस्टिस विवेक रूसिया की बेंच ने कहा कि याचिकाकर्ता को अपना पक्ष विस्तार से रखने के लिए 15 दिन का समय दिया जाए। इस अवधि में बुलडोजर कार्रवाई न हो, यदि बोर्ड कोई नया आदेश पास करता है तो चुनौती देने के लिए 10 दिन का अतिरिक्त समय दिया जाएगा।
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दिल्ली ब्लास्ट केस की वजह से बढ़ी संवेदनशीलता
यह मामला इसलिए भी चर्चा में है क्योंकि जवाद सिद्दीकी दिल्ली कार ब्लास्ट और मनी लॉन्ड्रिंग केस में जांच का सामना कर रहे हैं। हालांकि मौजूदा विवाद केवल ‘अवैध निर्माण’ से संबंधित है।
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