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MP High Court: मध्य प्रदेश में न्यायाधीशों की सुरक्षा को लेकर चिंता गहराती जा रही है। हाई कोर्ट (Jabalpur High Court) ने स्पष्ट किया कि अगर जज ही सुरक्षित नहीं होंगे, तो न्याय व्यवस्था कैसे सुरक्षित रह पाएगी। अदालत ने राज्य सरकार की ओर से प्रस्तुत जवाब पर असंतोष जताते हुए कहा कि 2014 में दिए गए निर्देशों के बाद भी सुरक्षा व्यवस्था में कोई ठोस सुधार नहीं दिखा।
राज्य सरकार को 2014 से लंबित निर्देश
28 जनवरी 2014 को हाई कोर्ट ने जजों की सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करने के निर्देश दिए थे। इसके बावजूद हालात जस के तस बने हुए हैं। 23 जुलाई 2016 को मंदसौर में प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट राजवर्धन गुप्ता पर हाईवे पर हमला हुआ था। इस घटना के बाद कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेकर सुनवाई शुरू की, लेकिन यह मामला अब भी नौ साल से लंबित है। बीते महीने अनूपपुर में जेएमएफसी अमनदीप सिंह छाबड़ा के सरकारी आवास पर हमला होने के बाद मामले ने फिर जोर पकड़ा।
सरकार पेश करे नई रिपोर्ट
कोर्ट में पेश ब्रजेश नाथ मिश्रा ने बताया कि जजों की सुरक्षा से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी पुलिस को भेज दी गई है, लेकिन राज्य सरकार ने इस पर और समय मांगा है। हाई कोर्ट इस रवैये से संतुष्ट नहीं हुआ और सरकार से नई स्टेटस रिपोर्ट पेश करने को कहा।
जजों पर बढ़े लगातार हमले
राज्य में जजों पर हमले और धमकी की घटनाएं लगातार सामने आई हैं। 2016 में मंदसौर में लोकायुक्त जज राजवर्धन गुप्ता पर हमला हुआ। 28 मार्च 2021 को ग्वालियर में मजिस्ट्रेट कॉलोनी में जज सचिन जैन पर हमला हुआ। 28 मई 2024 को इंदौर जिला न्यायालय में सत्र न्यायाधीश विजय दांगी से अभद्रता हुई। 25 अक्टूबर 2025 को अनूपपुर में जेएमएफसी अमनदीप छाबड़ा के आवास पर हमला हुआ, जबकि सितंबर 2025 में रीवा में जेएमएफसी मोहिनी भदौरिया को धमकी भरा पत्र मिला, जिसमें 500 करोड़ की मांग की गई थी।
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