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Khalghat Farmers Protest: धार में किसानों का आंदोलन थमा, हाईवे पर घंटों ट्रैफिक जाम, प्रशासन ने मांगों को दिल्ली तक पहुंचाने का भरोसा दिया

धार में किसानों का चक्काजाम कलेक्टर के आश्वासन पर थमा। मांगों को दिल्ली भेजने और प्रतिनिधिमंडल के मिलने के भरोसे के बाद आंदोलन स्थगित किया गया।

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Wasif Khan
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चार जिलों के करीब चार हजार किसान धरने पर बैठे हैं।

Khalghat Farmers Protest: धार जिले के खलघाट टोल पर सोमवार (1 दिसंबर) को शुरू हुआ किसानों का दिनभर लंबा आंदोलन देर शाम प्रशासन की पहल के बाद थम गया। किसानों ने राष्ट्रीय मजदूर किसान महासंघ के आह्वान पर नेशनल हाईवे 52 पर चक्काजाम किया था। सुबह पांच बजे से शुरू हुआ यह विरोध शाम तक बना रहा, जिससे हाईवे का ट्रैफिक कई घंटों तक रुका रहा। आखिर में कलेक्टर और एसपी के आश्वासन के बाद किसानों ने आंदोलन स्थगित कर दिया।

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कलेक्टर और एसपी के आश्वासन के बाद किसानों ने आंदोलन स्थगित कर दिया।

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आंदोलन स्थल पर दिनभर रहा तनाव

खलघाट टोल पर सुबह से हजारों किसान सड़क पर बैठकर अपनी मांगों पर सरकार का ध्यान आकर्षित करते रहे। संगठन के पदाधिकारियों ने स्पीकर के माध्यम से अपनी बातें लगातार किसानों तक पहुंचाई। शाम करीब आठ बजे धार कलेक्टर प्रियंक मिश्रा और एसपी मयंक अवस्थी मौके पर पहुंचे और प्रतिनिधियों से विस्तारपूर्वक से बातचीत की। पदाधिकारियों ने प्रशासन के सामने विधिवत ज्ञापन रखा, जिसमें मौजूदा कृषि नीतियों और खरीदी व्यवस्था से जुड़े मुद्दों को प्रमुखता से उठाया गया।

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किसानों ने कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन।

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कलेक्टर ने किसानों को दिया आश्वासन

प्रशासन ने किसानों से पूरा ज्ञापन सुना और कलेक्टर प्रियंक मिश्रा ने आश्वासन दिया कि उनके सभी बिंदु मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री तक भेजे जाएंगे। साथ ही यह भी बताया गया कि किसानों की बात दिल्ली में नीतिगत स्तर पर रखी जाएगी। इसी दौरान केंद्रीय राज्य मंत्री सावित्री ठाकुर के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल तैयार होने की जानकारी दी गई, जो जल्द ही दिल्ली जाकर केंद्र सरकार के सामने किसानों की स्थिति और मांगों को रखेगा। इस भरोसे के बाद किसान संघ ने धरना स्थगित करने की घोषणा की और हाईवे पर यातायात फिर से शुरू हुआ।

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किसानों का आरोप था कि केंद्र सरकार उद्योगपतियों का कर्ज माफ कर रही है, लेकिन किसानों की ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा।

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ये हैं किसानों की प्रमुख मांगें

किसानों ने आयात-निर्यात नीति में बदलाव की जरूरत बताते हुए दलहन, कपास और प्याज के निर्यात पर लगी रोक हटाने की मांग रखी। उन्होंने कहा कि यह रोक बाजार और फसल मूल्य पर असर डालती है। इसके साथ ही गौ माता को राष्ट्रमाता का दर्जा देने की मांग भी उठी। मक्का, सोयाबीन और कपास की सरकारी खरीदी पूर्व निर्धारित योजना के अनुसार करने का आग्रह किया गया। किसानों ने ऋण मुक्ति और एमएसपी की कानूनी गारंटी को भी अपनी मुख्य प्राथमिकताओं में शामिल किया।

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