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Golu Agnihotri ED Case: इंदौर के कांग्रेस नेता (Indore Congress Leader) विशाल उर्फ गोलू अग्निहोत्री की मुश्किलें बढ़ गई हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अवैध डब्बा ट्रेडिंग और ऑनलाइन सट्टेबाजी से जुड़े बहुचर्चित मामले में इंदौर स्थित स्पेशल पीएमएलए कोर्ट (PMLA Court) में चालान पेश कर दिया है।
गोलू के साथ उसके करीबी तरुण श्रीवास्तव के खिलाफ भी अभियोजन पत्र (Prosecution letter) दाखिल किया गया है। जांच में सामने आया है कि यह संगठित नेटवर्क इंदौर से लेकर मुंबई, अहमदाबाद, चेन्नई और दुबई तक फैला हुआ था।
गोलू मास्टरमाइंड, तरुण संभालता था पूरा फाइनेंस
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ईडी की जांच के मुताबिक इस पूरे रैकेट का मुख्य संचालक विशाल उर्फ गोलू अग्निहोत्री था, जबकि तरुण श्रीवास्तव रोजमर्रा के वित्तीय लेन-देन और फर्जी खातों के संचालन की जिम्मेदारी संभालता था। नेटवर्क में श्रीनिवासन रामासामी ने फर्जी ट्रेडिंग सिस्टम और MT5 सर्वरों को कॉन्फिगर किया था, जिससे निवेशकों को नकली मुनाफे का झांसा दिया जाता था।
फर्जी तरिके से 404 करोड़ की कमाई
जांच में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ कि V Money और 8Stock Height जैसे प्लेटफॉर्म किसी भी मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज से जुड़े नहीं थे। वहीं LotusBook247 और 11Starss जैसे सट्टेबाजी प्लेटफॉर्म एन्क्रिप्टेड नेटवर्क और गुमनाम खातों के जरिए चलाए जा रहे थे। इन फर्जी ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म, अवैध सट्टेबाजी वेबसाइटों और व्हाइट-लेबल ऐप्स से कुल 404.46 करोड़ रुपये की आपराधिक आय अर्जित की गई।
34.26 करोड़ की संपत्ती कुर्क
ईडी ने कार्रवाई के दौरान 34.26 करोड़ रुपये की संपत्तियों को अस्थायी रूप से कुर्क किया है। इसमें 28.60 करोड़ रुपये की अचल संपत्तियां, 3.83 करोड़ रुपये की चल संपत्तियां और 1.83 करोड़ रुपये बैंक व डीमैट खातों में शामिल हैं। तलाशी में 5.21 करोड़ रुपये नकद, करीब 60 किलो चांदी, सोने की छड़ें, 1.94 करोड़ रुपये के आभूषण और 4.77 करोड़ रुपये की लग्जरी घड़ियां जब्त की गईं। इसके अलावा 41 लाख रुपये से अधिक की क्रिप्टोकरेंसी होल्डिंग्स को फ्रीज किया गया है।
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व्हाइट-लेबल एप और हिस्सेदारी का खेल
ईडी के अनुसार गोलू अग्निहोत्री ने अवैध डब्बा ट्रेडिंग और सट्टेबाजी प्लेटफॉर्म के एडमिन अधिकार मुनाफे में हिस्सेदारी के आधार पर हासिल किए थे। LotusBook प्लेटफॉर्म के एडमिन राइट्स उसे 5 फीसदी हिस्सेदारी पर मिले थे, जिन्हें बाद में उसने धवल देवराज जैन को ट्रांसफर कर दिया। इसके बाद 11Starss जैसे एप के जरिए नेटवर्क को और फैलाया गया।
इस पूरे मामले की शुरुआत इंदौर पुलिस में दर्ज एफआईआर से हुई थी। दिसंबर 2024 में गोलू के ठिकानों पर ईडी की छापेमारी हुई, जिसके बाद जनवरी 2025 में केस दर्ज किया गया। इसी आधार पर मुंबई में भी कार्रवाई हुई और अब ईडी ने कोर्ट में चालान पेश कर दिया है। एजेंसी का कहना है कि हवाला नेटवर्क और अन्य सहयोगियों की भूमिका की जांच अभी जारी है।
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