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पेंशन व्यवस्था में फेरबदल: एमपी में जिला पेंशन कार्यालय बंद करने की तैयारी, काम होगा पूरी तरह सेंट्रलाइज

मध्यप्रदेश में जिला पेंशन कार्यालय बंद करने की तैयारी है। 1 अप्रैल से इंटीग्रेटेड पेंशन स्कीम लागू होगी, जिससे काम भोपाल से ऑनलाइन होंगे। पढ़ें पूरी खबर...

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Wasif Khan
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District Pension Office News: मध्यप्रदेश सरकार ने सेवानिवृत्त कर्मचारियों को विभागीय लाभ दिलाने वाले जिला पेंशन कार्यालयों को बंद करने की दिशा में तैयारी शुरू कर दी है। 1 अप्रैल से प्रदेश में इंटीग्रेटेड पेंशन स्कीम (Integrated Pension Scheme) लागू करने की योजना है, जिसके बाद जिला स्तर के सभी काम ऑनलाइन भोपाल से किए जाएंगे। इस फैसले से जहां 500 से अधिक कर्मचारी प्रभावित होंगे, वहीं पेंशनर्स को भी कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

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जिला स्तर के कार्यालय होंगे समाप्त

सरकार की योजना के तहत प्रदेश के सभी जिला पेंशन कार्यालयों को धीरे-धीरे समेटा जाएगा। जिला स्तर पर होने वाला काम अब राजधानी भोपाल से सेंट्रलाइज तरीके से निपटाया जाएगा। इसके लिए संचालनालय पेंशन भविष्य निधि एवं बीमा मप्र के माध्यम से आवश्यक निर्देश जारी किए जाने लगे हैं, हालांकि अब तक जिला कार्यालयों को बंद करने को लेकर कोई स्पष्ट लिखित आदेश जारी नहीं हुआ है।

1 अप्रैल से लागू होगी नई व्यवस्था

विभागीय अधिकारियों के अनुसार, 1 अप्रैल से नई व्यवस्था लागू मानी जा रही है। इसके तहत पेंशन प्रकरणों के निपटारे के लिए राज्य केंद्रीयकृत पेंशन प्रोसेसिंग सेल (Centralized Pension Processing Cell) काम करेगी। अधिकारी मौखिक रूप से यह भी कहने लगे हैं कि इस तारीख के बाद जिला स्तर के कार्यालयों की भूमिका लगभग समाप्त हो जाएगी।

कर्मचारियों पर पड़ेगा सीधा असर

इस फैसले से जिला पेंशन कार्यालयों में पदस्थ 500 से ज्यादा कर्मचारी प्रभावित होंगे। शुरुआती दौर में स्थानीय काम निपटाने के लिए एक या दो कर्मचारियों को ही जिला स्तर पर रखा जा सकता है। बाकी कर्मचारियों को या तो अन्य स्थानों पर स्थानांतरित (transfer) किया जाएगा या फिर किसी दूसरे विभाग में मर्ज (merge) किया जा सकता है। इसे लेकर कर्मचारी असमंजस की स्थिति में हैं और भविष्य को लेकर चिंता जता रहे हैं।

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पेंशनर्स की बढ़ सकती है परेशानी

पूरी प्रक्रिया सेंट्रलाइज होने से बुजुर्ग पेंशनर्स को दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। दस्तावेजों में त्रुटि या किसी समस्या की स्थिति में उन्हें सीधे जिला कार्यालय के बजाय ऑनलाइन सिस्टम पर निर्भर रहना होगा। अधिकारियों का तर्क है कि सेंट्रलाइज व्यवस्था लागू होने के बाद काम में तेजी आएगी। कर्मचारी की सर्विस डायरी ऑनलाइन सबमिट होते ही भोपाल से पीपीओ (PPO) जारी हो जाएगा। जांच या सत्यापन के नाम पर कर्मचारियों और पेंशनर्स को बार-बार दफ्तरों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे।

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