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SC Women Reservation: सुप्रीम कोर्ट ने महिला वकीलों के प्रतिनिधित्व को मजबूत करने के लिए ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। Supreme Court Women Reservation से जुड़े इस महत्वपूर्ण आदेश में कोर्ट ने कहा है कि सभी स्टेट बार काउंसिलों में महिलाओं के लिए 30% रिजर्वेशन अनिवार्य रूप से लागू किया जाएगा और इस मुद्दे पर कोई समझौता नहीं होगा।
राज्यों के बार काउंसिल चुनावों में महिला आरक्षण से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान CJI सूर्य कांत ने स्पष्ट किया कि जहां चुनाव अधिसूचना अभी जारी नहीं हुई है, वहां 30% सीटों पर महिला अधिवक्ताओं का प्रतिनिधित्व अनिवार्य किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, इस साल 20% सीटें चुनाव के माध्यम से और 10% सीटें को-ऑप्शन (नामांकन प्रणाली) द्वारा महिलाओं से भरी जाएंगी। Co-option Seats Bar Council
क्यों लिया गया यह फैसला?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कई राज्य बार काउंसिलों में महिला वकीलों का प्रतिनिधित्व बेहद कम है, जो न्यायिक व्यवस्था में असंतुलन पैदा करता है। जिन काउंसिलों में महिलाओं की संख्या कम है, वहां को-ऑप्शन को एक प्रभावी उपाय माना गया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि को-ऑप्शन का प्रस्ताव उन काउंसिलों के सामने रखा जाना चाहिए, जहां महिला प्रतिनिधित्व पर्याप्त नहीं है। State Bar Council 30 Percent women reservation
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि 6 राज्य बार काउंसिलों, जहां चुनाव प्रक्रिया पहले ही शुरू हो चुकी है — जैसे बिहार और छत्तीसगढ़ — में यह नियम अभी लागू नहीं होगा। इसका कारण चुनावी प्रक्रिया का पहले से प्रारंभ होना है।
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महिलाओं के चुनाव लड़ने पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
CJI सूर्य कांत ने आंध्र प्रदेश, पंजाब एवं हरियाणा, उत्तर प्रदेश और तेलंगाना की चार बार काउंसिलों का उल्लेख करते हुए कहा कि वहां चुनाव लड़ रहीं महिला अधिवक्ताओं को पूरा प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि वकील-वोटर यह सुनिश्चित करें कि बार की महिला सदस्यों को सही प्रतिनिधित्व मिले।
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प्रैक्टिस बिना चुनाव लड़ने वालों पर सख्ती
सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा कि कई राज्यों में महिलाओं की संख्या तो है, लेकिन सक्रिय प्रैक्टिस करने वाली महिला वकीलों की संख्या बेहद कम है। इस पर CJI सूर्य कांत ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि जो लोग कोर्ट में सक्रिय रूप से प्रैक्टिस नहीं करते, उन्हें चुनाव नहीं लड़ना चाहिए। ऐसे लोग बार काउंसिल का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकते। Women Lawyers Representation
उन्होंने कहा कि “बार काउंसिल का चेहरा वही होना चाहिए जो न्यायिक प्रणाली से प्रत्यक्ष रूप से जुड़े हों।”
ऐतिहासिक कदम क्यों माना जा रहा है यह आदेश?
यह फैसला न केवल महिला वकीलों के लिए अवसरों के द्वार खोलेगा, बल्कि कानूनी व्यवस्था में महिला नेतृत्व और जेंडर बैलेंस को भी मजबूत करेगा। इस निर्णय से देशभर की बार काउंसिलों में महिलाओं की भागीदारी और निर्णय लेने की शक्ति में बढ़ोतरी होगी।
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