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Rajya Sabha Member Digvijay Singh: राज्यसभा में दिग्विजय सिंह का बड़ा हमला; RSS, PM मोदी, अमित शाह और चुनाव आयोग पर उठाए गंभीर सवाल

राज्यसभा में चर्चा के दौरान कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS), प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और देश के चुनाव आयोग (ECI) की कार्यप्रणाली पर तीखे हमले किए।

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sanjay warude
Rajya Sabha Member Digvijay Singh

Rajya Sabha member Digvijay Singh: राज्यसभा में चर्चा के दौरान कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS), प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और देश के चुनाव आयोग (ECI) की कार्यप्रणाली पर तीखे हमले किए। उन्होंने चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता, संवैधानिक संस्थाओं की स्वायत्तता और संघ की सदस्यता को लेकर कई गंभीर आरोप लगाए।

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1. RSS की सदस्यता और पंजीकरण पर सवाल

RSS पंजीकरण: दिग्विजय सिंह ने पूछा कि RSS NGO के रूप में पंजीकृत है या नहीं ? उन्होंने पीएम मोदी के लाल किले से दिए गए बयान का हवाला देते हुए कहा कि यदि यह पंजीकृत नहीं है, तो इस पर कोई कानून लागू नहीं होता। उन्होंने तंज कसते हुए कहा, खाता ना बही, जो मोदी जी कहें वही सही। अमित शाह कहें वही सही।

गुरु दक्षिणा: उन्होंने बीजेपी सांसद घनश्याम तिवारी की ओर इशारा करते हुए पूछा कि RSS की गुरु दक्षिणा करोड़ों रुपए में आती है, वह किस खाते में जाती है? 

अमित शाह की सदस्यता: दिग्विजय सिंह ने दावा किया कि उन्होंने RSS के मित्रों से पता किया और सबने कहा कि अमित शाह कभी RSS में नहीं रहे।

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केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल का जवाब:

मेघवाल ने स्पष्ट किया कि अमित शाह ने संसद में कहा था कि वह 21 साल की उम्र से नारा लगा रहे हैं और संघ की बात करते हुए कहा कि जो व्यक्ति एक बार शाखा में ध्वज प्रणाम कर लेता है, वह संघ का सदस्य होता है।

2. चुनाव आयोग और सरकार पर गंभीर आरोप

गुमराह करने का आरोप: दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने गृह मंत्री को गुमराह करके सदन में गलत बयानी कराई। उन्होंने सवाल किया कि क्या चुनाव आयोग गुमराह कर रहा है या गृह मंत्री हम लोगों को ? उन्होंने दोनों में से किसी एक पर कार्रवाई की मांग की।

पत्रों पर संज्ञान नहीं: उन्होंने सदन के पटल पर चुनाव आयोग को लिखे 21 पत्रों की प्रतिलिपियां रखीं, जिनमें सिटिजन कमीशन ऑन इलेक्शंस के जस्टिस लोकुर द्वारा दिए गए 21 याचिकाएं शामिल थीं। उन्होंने कहा कि इन पर संज्ञान तक नहीं लिया गया।

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समय न देना: दिग्विजय ने आरोप लगाया कि इंडिया अलायंस ने (नीतीश कुमार सहित) चुनाव आयोग से मिलने का समय मांगा, लेकिन पावती तक नहीं मिली। उन्होंने कहा कि यह सब काम पूर्व चुनाव आयुक्त राजीव कुमार के बनने के बाद शुरू हुआ।

3. संवैधानिक संस्थाओं पर कब्जा

फासीवादी तानाशाही: दिग्विजय सिंह ने राहुल गांधी के बयान का समर्थन करते हुए आरोप लगाया कि 2014 के बाद देश की सभी संवैधानिक संस्थाओं पर निश्चित विचारधारा के लोगों को बैठाया जा रहा है। इसके माध्यम से वे फासिस्ट डिक्टेटरशिप लागू करना चाहते हैं।

मोदी की तुलना: उन्होंने नरेंद्र मोदी की तुलना हिटलर और मुसोलिनी से की, यह कहते हुए कि वे भी चुनाव जीतकर आए थे, लेकिन अंत में संवैधानिक संस्थानों पर कब्जा करके तानाशाही कायम की।

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चुनाव की विश्वसनीयता: उन्होंने कहा कि रूस के पुतिन और नॉर्थ कोरिया के किम भी चुनाव जीतकर आने का दावा करते हैं, और देश में भी इसी प्रकार के चुनाव हो रहे हैं। उन्होंने 90% वोट स्ट्राइक रेट पर सवाल उठाया।

4. मतदाता सूची और SIR पर विवाद

फूल प्रूफ सूची: उन्होंने कहा कि सफल लोकतंत्र के लिए फूल प्रूफ मतदाता सूची जरूरी है और यह चुनाव आयोग की जिम्मेदारी है।

SIR (समरी रिवीजन) पर सवाल: उन्होंने SIR (समरी रिवीजन) प्रक्रिया पर आपत्ति जताते हुए कहा कि अब लोगों से नागरिकता के प्रश्न पूछे जा रहे हैं, बाप-दादा का पूछा जा रहा है, और मेट्रिकुलेशन सर्टिफिकेट मांगा जा रहा है। उन्होंने इसे 'नागरिकता का चयन' बताया।

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फाइल पर आदेश नहीं: दिग्विजय सिंह ने दो RTI का हवाला दिया, जिसमें पता चला कि SIR 2025 को लेकर और बिहार में SIR करने का निर्णय फाइल पर किसी आदेश द्वारा नहीं लिया गया।

5. वोट चोरी, डी-डुप्लीकेशन सॉफ्टवेयर

वोट चोरी के प्रमाण: उन्होंने कर्नाटक, हरियाणा और महाराष्ट्र में वोट चोरी के प्रमाणों का उल्लेख किया।

सॉफ्टवेयर का दुरुपयोग: उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति के तीन-चार जगह नाम जुड़े होने की बात सामने आने पर, चुनाव आयोग ने डी-डुप्लीकेशन सॉफ्टवेयर का उपयोग करना बंद कर दिया, जो पक्षपात दर्शाता है।

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वोटर लिस्ट फ्रीज: उन्होंने सुझाव दिया कि चुनाव की घोषणा के दिन ही वोटर लिस्ट को फ्रीज कर देना चाहिए, ताकि मतदान के दिन तक नाम जोड़ने या हटाने का अधिकार खत्म हो।

6. मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट और अन्य कानून

MCC का पक्षपात: दिग्विजय ने आरोप लगाया कि MCC के हर पहलू पर पक्षपात हो रहा है।

पीएम मोदी के भाषण: कर्नाटक में बजरंगबली का नाम लेकर वोट मांगना। हर भाषण में मुसलमान, श्मशान, कब्रिस्तान, पाकिस्तान जैसे शब्दों का प्रयोग MCC का उल्लंघन है, पर नोटिस नहीं दिया गया।

पुलवामा के शहीदों के नाम पर वोट: राजस्थान में पुलवामा शहीदों के नाम पर वोट मांगने पर भी नोटिस नहीं दिया गया।

दल-बदल कानून (Anti-Defection Law): उन्होंने मांग की कि दल बदल करने वाले विधायकों को 6 साल तक चुनाव लड़ने से रोका जाना चाहिए।

पार्टी सिंबल: उन्होंने महाराष्ट्र में शिवसेना और एनसीपी के चुनाव चिन्ह को शिंदे और अजित पवार को दिए जाने को पक्षपात बताया, जबकि सामान्यतः सिंबल फ्रीज कर दिया जाता है।

इलेक्शन फंडिंग: उन्होंने रिकोग्नाइज्ड पार्टियों (2663) की संख्या पर कठोर कार्रवाई की मांग की। उन्होंने चुनावी खर्च की सीमा (70 लाख रुपये) को हटाने, सुपर रिच टैक्स लगाने और नेशनल इलेक्शन फंड बनाने का सुझाव दिया।

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7. ईवीएम और वन नेशन वन इलेक्शन

वीवीपैट की मांग: दिग्विजय सिंह ने बैलेट पेपर के पक्ष में होने की बात दोहराई, लेकिन EVM पर सहमति के लिए वीवीपैट की 100% पर्ची वोटर के हाथ में देने और उसकी गिनती करने की मांग की।

काउंटिंग का समय: उन्होंने इस तर्क को खारिज किया कि 100% काउंटिंग में समय लगेगा और कहा कि 50 काउंटिंग टेबल लगाकर 7 घंटे में गिनती पूरी हो सकती है।

वन नेशन वन इलेक्शन: उन्होंने इसे भारत के फेडरल स्ट्रक्चर का अपमान और फासिस्ट डिक्टेटरशिप का रास्ता खोलने वाला बताया।

डीलिमिटेशन: उन्होंने मांग की कि डीलिमिटेशन (परिसीमन) जनसंख्या के आधार पर नहीं, बल्कि दक्षिण भारत और उत्तर भारत की सीटों के मौजूदा अनुपात के आधार पर होना चाहिए।

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