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Raipur Property Survey: रायपुर में संपत्तियों का हाई-टेक सर्वे शुरू, रडार और 3D इमेजिंग से बनेगा शहर का नया डिजिटल नक्शा

Raipur Property Survey: रायपुर नगर निगम अब रडार और 3डी इमेजिंग तकनीक से शहर की सभी संपत्तियों का हाई-टेक सर्वे शुरू करने जा रहा है। 60 हजार तक नई संपत्तियों को रिकॉर्ड में जोड़ने की तैयारी है।

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Shashank Kumar
CG Raipur Property Survey

संपत्तियों का अब ड्रोन से होगा सर्वे

Raipur Property Survey : राजधानी रायपुर में नगर निगम अब शहर की सभी संपत्तियों का सबसे आधुनिक और तकनीकी सर्वे शुरू करने जा रहा है। निगम सूत्रों के अनुसार, सर्वे प्रक्रिया इस महीने के अंत तक शुरू हो जाएगी। इसके लिए एक निजी कंपनी से अनुबंध की अंतिम तैयारी चल रही है।

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इस सर्वे का मकसद उन संपत्तियों को टैक्स (Nagar Nigam Property Tax) दायरे में शामिल करना है जो अभी तक निगम के रिकॉर्ड में नहीं हैं, साथ ही पुराने रिकॉर्ड को डिजिटल और सटीक रूप में अपडेट किया जाना है। वर्क ऑर्डर जारी होते ही कंपनी घर-घर जाकर संपत्तियों का सर्वे करेगी।

2017-18 के बाद से नहीं हुआ सर्वे

Raipur Property Survey
2017-18 में हुआ था नगर निगम का पिछला संपत्ति सर्वे

नगर निगम का पिछला संपत्ति सर्वे 2017-18 में विश्व बैंक की मदद से GIS तकनीक पर आधारित था। उस समय करीब 3.52 लाख संपत्तियां दर्ज की गई थीं। लेकिन पिछले सात वर्षों में रायपुर तेजी से फैला और बड़ी संख्या में नए मकान, व्यावसायिक परिसर, मल्टीस्टोरी अपार्टमेंट और प्लॉटिंग प्रोजेक्ट विकसित हुए। निगम के अनुमान के अनुसार, इसके बाद से लगभग 50 से 60 हजार नई संपत्तियां अभी तक रिकॉर्ड में शामिल नहीं हो सकीं।

रडार तकनीक आधारित 3डी सर्वे को मंजूरी

पहले योजना थी कि सर्वे ड्रोन से किया जाएगा, लेकिन निगम की समिति ने अधिक सटीकता के लिए रडार तकनीक आधारित 3डी सर्वे को मंजूरी दी है। रडार तकनीक से ऐसे हाई- रेजोल्यूशन 3D मानचित्र (3D Mapping Raipur) तैयार होंगे, जिसमें प्रत्येक भवन की ऊंचाई, फ्लोर, कंस्ट्रक्शन टाइप और वास्तविक भू-आकृति स्पष्ट रूप से दर्ज होगी। 

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यह भविष्य में सड़क निर्माण, सीवरेज नेटवर्क, पेयजल पाइपलाइन और स्मार्ट सिटी प्लानिंग को बेहद आसान बनाएगा। दो करोड़ अतिरिक्त लागत के बावजूद निगम ने आधुनिक रडार तकनीक को प्राथमिकता दी है। कुल परियोजना लागत अब लगभग 62 करोड़ रुपए है।

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10 कंपनियों ने दी प्रेजेंटेशन

परियोजना के लिए 10 कंपनियों ने ड्रोन, रडार और सैटेलाइट सर्वे तकनीक पर प्रेजेंटेशन दिए। इनमें ड्रोन, रडार और सैटेलाइट आधारित सर्वे की अलग-अलग तकनीकों की तुलना की गई। पिछला सर्वे कई त्रुटियों से भरा था -

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  • लगभग 80 हजार संपत्तियों में माप व वर्गीकरण में त्रुटिया
  • लगभग 1.5 लाख संपत्तियों में पूरा डेटा उपलब्ध नहीं
  • 40 हजार संपत्तियों में मालिकाना हक बदलने के बाद भी रिकॉर्ड अपडेट नहीं
  • कई मामलों में निगम के पास न तो मोबाइल नंबर थे और न ही वर्तमान पता

इन गलतियों को ध्यान में रखते हुए इस बार दोहरी तकनीक + डोर-टू-डोर सत्यापन अपनाया जाएगा।

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डोर-टू-डोर सत्यापन और दावा-आपत्ति प्रणाली 

रडार सर्वे (CG Radar Survey) के बाद दूसरा चरण बेहद महत्वपूर्ण होगा। निगम की टीम घर-घर जाकर संपत्ति का सत्यापन करेगी। प्रत्येक संपत्ति मालिक को फोटो सहित विवरण और नया डिमांड नोटिस सौंपा जाएगा। यदि किसी को डेटा में त्रुटि लगती है तो वह 7 दिनों में दावा-आपत्ति दर्ज करा सकेगा। इसके लिए निगम अलग सेल बनाएगा।

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ऐसे समझें खर्च और लाभ का पूरा गणित

रडार तकनीक से सर्वे की कुल लागत 80-90 करोड़ रुपए तक पहुंच सकती है। इसकी औसत लागत 150 रुपए प्रति संपत्ति होगी। निगम अनुमानित है कि 50-60 हजार नई संपत्तियां टैक्स दायरे (Raipur Property Tax Update) में आएंगी, जिससे हर साल लगभग 100 करोड़ रुपए का अतिरिक्त राजस्व प्राप्त हो सकता है।

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