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Raipur FIITJEE Case
Raipur FIITJEE Case: राजधानी के जिला उपभोक्ता आयोग ने चर्चित कोचिंग संस्थान FITJEE के खिलाफ अहम और नजीर बनने वाला फैसला सुनाया है। आयोग ने स्पष्ट कहा कि छात्रों से पूरी फीस लेने के बाद तय अवधि तक कक्षाएं संचालित नहीं करना सेवा में कमी और अनुचित व्यापारिक व्यवहार की श्रेणी में आता है।
सुनवाई के दौरान आयोग (Raipur Consumer Court) ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि एक या डेढ़ महीने तक कक्षाएं चलाना पूरे कोर्स की पूर्ति नहीं माना जा सकता। आयोग के अनुसार, फीस लेकर अचानक कक्षाएं बंद करना छात्रों के भविष्य के साथ गंभीर खिलवाड़ है, जिसे किसी भी सूरत में सही नहीं ठहराया जा सकता।
IIT की तैयारी के लिए लिया था दो वर्षीय कोर्स
परिवादी पूर्णिमा सक्सेना ने आयोग को बताया कि उनकी बेटी ने IIT प्रवेश परीक्षा की तैयारी के लिए भिलाई के न्यू सिविक सेंटर स्थित FITJEE में दो वर्षीय कोर्स में दाखिला लिया था। 75 प्रतिशत छूट के बाद भी उन्होंने कुल 1,42,300 रुपये फीस जमा की थी।
परिवादी (Complainant) के अनुसार, अप्रैल 2024 में रायपुर केंद्र में कक्षाएं शुरू हुईं, लेकिन महज एक माह सात दिन बाद ही नियमित कक्षाएं पूरी तरह बंद कर दी गईं। इसके बाद न तो कक्षाएं दोबारा शुरू हुईं और न ही जमा की गई फीस वापस की गई।
वेतन न मिलने से शिक्षकों ने पढ़ाने से किया इनकार
मामले के दौरान यह भी सामने आया कि स्थानीय शिक्षकों को तीन से चार माह से वेतन नहीं मिला था। इसी वजह से उन्होंने कक्षाएं लेना बंद कर दिया, जिससे छात्रों की पढ़ाई पूरी तरह प्रभावित हुई।
कई बार शिकायत, फिर भी नहीं मिला समाधान
परिवादी ने स्थानीय केंद्र, भिलाई कार्यालय और दिल्ली स्थित FITJEE के हेड ऑफिस तक ई-मेल और आवेदन भेजे, लेकिन कहीं से भी संतोषजनक जवाब नहीं मिला। आयोग में पेश दस्तावेजों और ई-मेल से यह साफ हुआ कि संस्थान अपनी जिम्मेदारी निभाने में विफल रहा।
1.27 लाख रुपये 6% ब्याज सहित लौटाने का आदेश
जिला उपभोक्ता आयोग ने FITJEE के स्थानीय और मुख्य कार्यालय को संयुक्त रूप से जिम्मेदार ठहराते हुए आदेश दिया कि 45 दिनों के भीतर परिवादी को 1,27,800 रुपये 6% वार्षिक ब्याज सहित लौटाए जाएं। इसके अलावा 10 हजार रुपये मानसिक क्षतिपूर्ति और 5 हजार रुपये वाद व्यय के रूप में अदा करने के निर्देश भी दिए गए हैं।
यह फैसला न केवल अभिभावकों और छात्रों के लिए राहत भरा है, बल्कि कोचिंग संस्थानों के लिए भी एक स्पष्ट संदेश है कि फीस लेकर पढ़ाई बंद करना कानूनन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
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