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Ind-SA Ticket Controversy : नवा रायपुर में भारत–दक्षिण अफ्रीका वनडे के टिकट सेल पर उठे गंभीर सवाल, 10 मिनट में कैसे बिकीं 17 हजार टिकटें ?

नवा रायपुर में 3 दिसंबर के भारत–दक्षिण अफ्रीका वनडे के टिकटों की दूसरी किस्त में 10 मिनट से भी कम समय में 17 हजार टिकट बिकने से दर्शक आश्चर्यचकित हैं और ऑनलाइन बिक्री पर सवाल उठा रहे हैं।

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Shashank Kumar
Ind-SA Ticket Controversy

Ind-SA Ticket Controversy

Ind-SA Ticket Controversy:टिकट बिक्री की तेजी ने न सिर्फ स्टेडियम में जाने की चाहत रखने वाले युवाओं और परिवारों को हैरान किया, बल्कि सोशल मीडिया पर भी गुस्सा और शंका बढ़ा दी है। नवा रायपुर के शहीद वीर नारायण अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम में 3 दिसंबर को होने वाले दूसरे वनडे मैच के लिए टिकटों के दूसरे चरण में 10 मिनट से भी कम समय में 17 हज़ार से अधिक टिकटें बिक जाने की खबर से कई लोग शॉक्ड हैं।

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मामले (India South Africa ticket controversy) में कई लोग ये दावा कर रहे हैं कि वे मोबाइल और लैपटॉप पर लगातार स्क्रीन पर नजर टिकी रखे थे, बावजूद इसके टिकट मिनटों में गायब हो गईं। टिकटिंग विंडो उसी साइट पर शाम करीब 5 बजे खुली और 5:10 बजे से पहले पूरा स्टॉक खत्म दिखा, जिससे श्रोताओं ने सिस्टम की पारदर्शिता पर सवाल उठाये।

मांग अत्यधिक, टिकट कम

प्रारंभिक चरण में भी इसी तरह का तेज बिकना हुआ था। 22 नवंबर की पहली बिक्री में लगभग 18 हज़ार टिकटें 16-20 मिनट में बिक चुकी थीं, जो यह संकेत देती है कि मांग अत्यधिक थी और प्लेटफॉर्म पर जाम की स्थिति बन रही थी। दर्शकों के अनुसार भले ही ऑनलाइन काउंटर पर बारकोड और ऑटोमेटेड पेज रिफ्रेश के जरिए टिकट के लिए ओटीपी आता रहा, फिर भी कई लोग टिकट न मिल पाने पर निराश हुए।

कुछ अधोवर्ती शिकायतें यह भी बताती हैं कि बॉट्स (bots) या जनरेटेड ऑर्डर की संभावना की जाँच की जानी चाहिए, ताकि वास्तविक फ़ैन तक टिकट पहुँचे और सेकेंडरी मार्केटिंग की अवैधता रोकी जा सके। 

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कलेक्टर ने बुलाई अधिकारियों की बैठक

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Raipur Collector Dr. Gaurav Kumar Singh

प्रशासन ने मामले को गंभीरता से लिया है और कलेक्टर डॉ गौरव कुमार सिंह ने कलेक्टोरेट सभाकक्ष में सभी संबंधित अधिकारियों की बैठक बुलाकर स्पष्ट निर्देश दिये कि जो भी जिम्मेदारी दी गई है उसे पूरी गंभीरता के साथ किया जाए। किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

उन्होंने यह भी दोहराया कि स्टेडियम में केवल फिजिकल टिकट ही वैध होंगे, इसलिए ऑनलाइन बुकिंग (online ticketing controversy) करने वालों को भी फिजिकल टिकट लेने के लिये निर्दिष्ट काउंटर पर पहुंचना होगा। इसके साथ ही टिकटिंग कंपनी और आयोजक से मांग की गई है कि वे बिक्री लॉग, सर्वर रिपोर्ट और खरीदारी के रिकॉर्ड सत्यापित कराएँ ताकि शुद्धता सुनिश्चित हो सके और जरूरत पाए तो रिप्लेसमेंट या रिफंड प्रक्रिया त्वरित हो।

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टिकट मिलने से वंचित हुए कई लोग

दर्शकों की नाराजगी के बीच टिकट मिलने से वंचित हुए कई लोगों ने सोशल मीडिया पर अपनी घटनाएँ साझा कीं और टिकटिंग हेल्पलाइन पर लगातार कॉल किया। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म की कन्फर्मेशन नीति और टिकट जारी करने की प्रक्रिया को लेकर आयोजकों को स्पष्टीकरण देना पड़ेगा, वरना मैच के दिन प्रवेश द्वार पर कतारों व विवादों का जोखिम बना रहेगा। प्रशासन ने कहा है कि अगर किसी प्रकार की अनियमितता पाई जाती है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी और संबंधित पक्षों को जवाबदेह ठहराया जाएगा।

क्रिकेट प्रेमियों की इच्छाशक्ति और स्टेडियम में उत्साह दोनों को देखते हुए यह ज़रूरी है कि टिकट वितरण पारदर्शी, समतुल्य और तकनीकी रूप से सुरक्षित रहे। आयोजक व टिकटिंग एजेंसी से अब माँग उठ रही है कि वे बिक्री के विस्तृत आँकड़े और उपयोग किए गए सर्वर व सुरक्षा प्रोटोकॉल सार्वजनिक करें, ताकि रैफराल और बॉट-आधारित खरीद पर पूरी तरह अंकुश लगाया जा सके और असली दर्शक ही स्टेडियम में पहुँच सकें।

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