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Surajpur News
Surajpur News: छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले में एक बेहद चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां निजी स्कूल की टीचर ने होमवर्क न करने पर KG-2 के छात्र को पेड़ से लटका दिया। मामला वीडियो वायरल होने के बाद तेजी से चर्चा में आया। जांच में यह तथ्य सामने आया कि जिस टीचर ने बच्चे को सजा दी, वह खुद अभी बालिग नहीं है। 12वीं की मार्कशीट के अनुसार उसकी उम्र अभी 18 वर्ष भी पूरी नहीं हुई।
जांच रिपोर्ट के बाद स्कूल की मान्यता रद्द
घटना (Surajpur School Case) की गंभीरता को देखते हुए सूरजपुर DEO ने जांच शुरू कराई। हाईकोर्ट ने भी इस मामले को जनहित याचिका के रूप में लेते हुए कड़ा रुख दिखाया और स्कूल शिक्षा सचिव से शपथपत्र समेत जवाब मांगा। जांच पूरी होने पर हंसवानी विद्या मंदिर की मान्यता रद्द कर दी गई और संचालक सुभाष शिवहरे के खिलाफ धारा 127 (2) तथा किशोर न्याय अधिनियम की धाराओं 75 और 82 के तहत FIR दर्ज की गई।
60 से अधिक छात्र दूसरे स्कूलों में भेजे जाएंगे
मान्यता रद्द होने के बाद अब स्कूल में पढ़ने वाले 60 से ज्यादा छात्रों को आसपास के दूसरे स्कूलों में एडजस्ट किया जाएगा। हालांकि कई अभिभावकों ने स्कूल बंद न करने की मांग की और विधायक भूलन सिंह मरावी से हस्तक्षेप भी करवाया, लेकिन प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया कि कानूनी प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और स्कूल दोबारा नहीं खोला जा सकता।
कैसे हुआ खुलासा ?
मामला तब सामने आया जब गांव के एक ग्रामीण ने बच्चें को पेड़ पर लटकते देख वीडियो बनाया और सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया। वीडियो वायरल हुआ तो परिजन स्कूल पहुंचे और वहां हंगामा कर दिया। पुलिस और शिक्षा विभाग की टीम मौके पर पहुंची, परिजनों के बयान दर्ज किए और पूरे मामले की विस्तृत जांच की गई।
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18 वर्ष पूरा होने से पहले ही नौकरी
जांच में पता चला कि टीचर (cg minor teacher) की 10वीं की मार्कशीट में जन्मतिथि 2 दिसंबर 2007 दर्ज है। यानी 2 दिसंबर 2025 को ही उसकी उम्र 18 पूरी होती। इसके बावजूद स्कूल ने उसे टीचर के रूप में नियुक्त कर रखा था। वह कॉलेज में पढ़ाई करते हुए पार्ट-टाइम टीचर का काम कर रही थी। यह नियुक्ति शिक्षा विभाग के मानकों का सीधा उल्लंघन माना गया।
संचालक खुद सरकारी स्कूल में गेस्ट टीचर
स्कूल संचालक सुभाष शिवहरे सरकारी स्कूल में गेस्ट टीचर के रूप में कार्यरत हैं। इसके बावजूद उन्होंने निजी स्कूल के संचालन में कई अनिवार्य नियमों का पालन नहीं किया। बीईओ की विस्तृत जांच रिपोर्ट में पाया गया कि स्कूल न तो निर्धारित मानकों पर खरा उतरता था और न ही नियुक्तियों से लेकर सुरक्षा नियमों तक किसी का पालन किया जा रहा था।
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